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नागरिकता संशोधन बिल: असम में तेज हुआ विरोध प्रदर्शन, बुलानी पड़ी सेना, कई ट्रेनें रद्द

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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर न सिर्फ राज्यसभा में बल्कि देश के कई हिस्सों में भी बवाल मचा हुआ है। विधेयक के खिलाफ असम में विरोध प्रदर्शन जारी है, बुधवार को बड़ी संख्या में छात्रों ने सचिवालय की तरफ कूच किया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प भी हुई, छात्रों ने रोड पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया जिससे यातायात सेवा पर भी असर पड़ा। पहले गुवाहाटी और फिर डिब्रूगढ़ में प्रदर्शनकारियों की झड़प पुलिस हुई इसमें एक पत्रकार के भी घायल होने की खबर है।

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यातायात पर पड़ा असर

यातायात पर पड़ा असर

डिब्रूगढ़ में प्रदर्शनकारी की संख्या बढ़ने की वजह से सेना को बुलाया गया और आंसू गैस दाग कर उन्हें बिखेरने की कोशिश की गई। इस विरोध प्रदर्शन का असर रेलवे पर भी देखने को मिला, कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया तो कई के रूट बदल दिए गए। वहीं कई गाड़ियों के टाइम टेबल में भी बदलाव किया गया। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुभानन ने बताया कि कम से कम 14 ट्रेनों को या तो रद्द करना पड़ा या फिर उनको मंजिल पर पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया है।

किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं बिल

किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं बिल

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बताया कि उनमें से कई लोग पुलिस की लाठीचार्ज में घायल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में बर्बर सरकार का शासन चल रहा है, जबतक सीएबी को वापस नहीं ले लिया जाता तब तक यह प्रदर्शन ऐसे ही जारी रहेगा। बिल का विरोध कर रहे ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (एएएसयू) ने बताया कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं होती तो बिल के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। एएएसयू के सलाहकार ने समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि, मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि चाहे जो भी हो उत्तर पूर्व के लोग नागरिकता संशोधन विधेयक को किसी भी हालत में नहीं स्वीकार करेंगे।

क्या है नागरिकता संशोधन बिल?

क्या है नागरिकता संशोधन बिल?

नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में 'नागरिकता अधिनियम' 1955 में बदलाव के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: नागरिकता संशोधन बिल राज्‍यसभा में पेश, बोले अमित शाह- मुस्‍लिमों को डरने की जरूरत नहीं, वो देश के नागरिक थे और रहेंगे

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English summary
Citizenship Amendment bill Protest intensified in Assam army called many trains canceled
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