सिटिजनशिप बिल: राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं दी जाएगी नागरिकता
नई दिल्ली। पूर्वोत्तर के राज्यों में नागरिकता संशोधन विधेयक पर हो रहे विरोध को देखते हुए केंद्र ने कहा कि किसी को भी नागरिकता के लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी होगी। मंगलवार को गृह मंत्रालय ने कहा कि किसी भी विदेशी को राज्य सरकार की सहमति के बाद ही नागरिकता मंजूर की जाएगी।
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 लोकसभा से पारित होने के बाद इस पर असम और नॉर्थ-इस्ट के राज्यों में इसका भारी विरोध हो रहा है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अशोक प्रसाद ने मंगलवार को बताया कि नागरिकता के लिए किसी भी आवेदन की जांच उपायुक्त या जिलाधिकारी स्तर पर होगी और इसके बाद वो इसे राज्य सरकार को सौंपेंगे। बिना राज्य सरकार की सिफारिश पर किसी को भी भारतीय नागरिकता नहीं दी जाएगी।
असम, मणिपुर, मेघालय और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के खिलाफ कई महीनों से विरोध हो रहा है। इनका कहना है कि यह विधेयक 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा जिसके तहत 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई थी, भले ही उसका धर्म कोई भी हो। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा समेत कई राजनीतिक पार्टियां भी लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं। सबका कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है।
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