नागरिकता संशोधन विधेयक किसी एक राज्य नहीं, पूरे देश के लिए: राम माधव
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर किसी को भी कोई संशय नहीं रखना चाहिए। इससे किसी एक राज्य पर कोई बोझ नहीं पड़ने वाला है और ना ही ये बिल किसी एक राज्य या विशेष क्षेत्र के लिए लाया गया है। ये विधेयक पूरे देश के लिए है। असम के लोगों को इसको लेकर किसी दुविधा में रहने की जरूरत नहीं है, हम असम के लोगों की पहचान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राम माधव ने कहा, पिछले कई दशकों में हमने देखा है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और दूसरे पड़ोसी देशों से अल्पसंख्यक भारत आ रहे हैं क्योंकि उनके पास जाने के लिए कोई और जगह नहीं है। ऐसे लोग भारत में शरण चाहते हैं और यह भारत का फर्ज है कि वह उनके लिए नागरिकता की सुविधा का विस्तार करे।
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नागरिकता संशोधन विधेयक पर एनडीए से अलग होने के असम गण परिषद (एजीपी) के फैसले पर राम माधव ने कहा, एजीपी ने एनडीए छोड़ने का फैसला किया, जबकि उनकी आशंकाओं में कोई सच्चाई नहीं है। एजीपी को एनडीए में वापस आने के बारे में सोचना चाहिए। हम असम के लोगों की पहचान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। नागरिकता पर ये मांग 1980 से चली आ रही है। हमारी सरकार ने एसटी स्टेटस का 6 समुदायों (थाई ओहम, टी ट्राइब्स और अन्य) में विस्तार करने का फैसला किया। उन्हें एक अलग आदिवासी समूह के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
नागरिकता (संशोधन) बिल 2016 के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मुहैया कराने का प्रावधान है। 1985 के असम समझौते में नागरिकता प्रदान करने के लिए कटऑफ तिथि 24 मार्च 1971 थी। नागरिकता बिल में इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2014 कर दिया गया है। असम में इस बिल का भारी विरोध हो रहा है।
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