नागरिकता संशोधन बिल: CM नीतीश के फैसले से जदयू में दरार! पवन वर्मा ने ट्वीट कर कही ये बात
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) लोकसभा में पास हो गया है और इस विधेयक को जनता दल (यू) और शिवसेना समेत कई पार्टियों का समर्थन मिला है। वहीं, इस बिल को लेकर विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा किया लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने सभी के सवालों का बारी-बारी से जवाब दिया। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बिल को समर्थन देने के बाद उनकी पार्टी के ही कुछ नेताओं ने ट्विटर के माध्यम से उनके फैसले पर अपनी नाराजगी जताई है।
जनता दल (यू) में अलग-अलग राय
जनता दल (यू) में बिल को समर्थन देने के फैसले से पार्टी में दो अलग राय बन गई है, इस मुद्दे पर पार्टी नेताओं में मतभेद अब खुलकर सामने आ गया है। पहले जनता दल (यू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने अपना नाराजगी जाहिर की वहीं, मंगलवार को जदयू के प्रवक्ता पवन कुमार ने भी इस विधेयक पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने ट्वीट कर नीतीश कुमार के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने अपने पोस्ट में सीएम नीतीश से बिल को समर्थन देन के फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है।
पवन वर्मा ने ट्वीट कर कही ये बात
गौरतलब है कि लंबी बहस के बाद आखिरकार बीजेपी ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) को पास करा ही लिया। महाराष्ट्र में पार्टी से मुख मोड़ने वाली शिवसेना ने भी बिल का समर्थन किया, दूसरी तरफ बिहार में एनडीए की साथी जदयू का भी समर्थम मिलने के बाद सरकार के लिए रास्ता और आसान हो गया। इस पर पवन कुमार ने ट्वीट कर कहा कि, यह बिल पूरी तरह असंवैधानिक है और नागरिकता के खिलाफ है, सीएम नीतीश कुमार को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। उन्होंने आगे लिखा कि यह बिल जदयू के मूल विचारों के खिलाफ है, गांधी जी भी होते तो इसका विरोध करते।
JDU के रुख से प्रशांत किशोर नाराज
जदयू के समर्थन करने पर प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, 'जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ, ये बिल नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। ये पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें पहले पन्ने पर धर्मनिरपेक्ष शब्द तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है।' लोकसभा में नागरिकता बिल पर चर्चा के दौरान जदयू सांसद राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह ने इसका समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी बिल का समर्थन इसलिए कर रही है क्योंकि ये धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है।
बिल पर भड़के आजम खान
आजम खान ने कहा कि ताकत के बल पर फैसला हुआ है और ताकत भी बड़ी ताकत है। विपक्ष की तादाद कम है। विपक्ष कितना ही सही बात कहे तो उसकी सुनवाई नहीं होगी, लेकिन अच्छे लोकतंत्र की मिसाल यह है कि सत्ता पक्ष को विपक्ष की सही बात को ना सिर्फ सुनना चाहिए बल्कि उसे मान लेना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या आप मानते हैं कि देश आज बंटा हुआ है? तो उन्होंने कहा कि 1947 में भी देश बंटा था लेकिन जो लोग पाकिस्तान नहीं गए थे उनके पास पाकिस्तान जाने का रास्ता था।
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