राज्यसभा में CAB पेश होने से पहले बीजेपी संसदीय दल की बैठक, पीएम मोदी बोले- कई मुद्दों पर विपक्ष की भाषा पाकिस्तान जैसी
नई दिल्ली। लोकसभा से पास होने के बाद नागरिकता संशोधन बिल आज दोपहर दो बजे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल को सात घंटे से अधिक समय तक चली बहस के बाद लोकसभा में सोमवार आधी रात को पारित किया गया था। इस विधेयक के विरोध में विपक्ष के लामबंद होने के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा को उम्मीद है कि बुधवार को यह विधेयक जब राज्यसभा में लाया जाएगा तो इसे आसानी से पारित करवा लिया जाएगा। बिल पेश करने से पहले बीजेपी संसदीय दल की बैठक चल रही है। इस बैठक में पीएम मोदी ने इस विधेयक को ऐतिहासिक बताया है।
बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि सांसद अपने-अपने इलाकों में नागरिकता संशोधन बिल की जानकारी दें। पीएम मोदी ने विपक्ष पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर विपक्ष की भाषा बिल्कुल पाकिस्तान जैसी है। आपको बता दें कि अभी राज्य सभा में सांसदों की कुल संख्या 240 है। यानी 121 सांसद बिल पास करने के लिए चाहिए। एनडीए के पास 116 सांसदों का समर्थन है। बीजेडी के 7 सांसद बिल के समर्थन में वोट करेंगे।
Parliamentary Affairs Minister Prahlad Joshi after BJP parliamentary party meeting: PM Modi said the #CitizenshipAmendmentBill is a historic bill https://t.co/RjyOIdsdGp
— ANI (@ANI) December 11, 2019
वाईएसआर कांग्रेस के 2 सांसद भी बिल का समर्थन कर सकते हैं। यानी एनडीए को 125 सांसदों का समर्थन मिलता दिख रहा है। लेकिन ये समीकरण बदल भी सकता है क्योंकि 6 सांसदों वाले जेडीयू में बिल पर मतभेद सामने आ चुके हैं। इसी तरह उद्धव ठाकरे ने राज्यसभा में समर्थन के लिए नए इशारे किए हैं। टीआरएस के 6 सांसद बिल के विरोध में वोट करेंगे। टीआरएस नेता केशव राव ने एनडीटीवी से कहा, 'बिल भारत की सोच के खिलाफ है। हम इसके खिलाफ मतदान करेंगे।"
Sources: PM Modi in BJP Parliamentary party meeting said that some Opposition parties are speaking the same language as Pakistan on the #CitizenshipAmendmentBill pic.twitter.com/EqIcbZv0wH
— ANI (@ANI) December 11, 2019
जान लीजिए क्या है नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता संशोधन विधेयक का उद्देश्य छह समुदायों - हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी - के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। बिल के जरिये मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा, ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके। चूंकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है। खबरों के अनुसार, नए विधेयक में अन्य संशोधन भी किए गए हैं, ताकि 'गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे' लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचारों का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों में स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सके।
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक का संसद के निचले सदन लोकसभा में आसानी से पारित हो जाना तय है, लेकिन राज्यसभा में, जहां केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है, इसका पारित हो जाना आसान नहीं होगा।