नागरिकता बिल पर शिवसेना ने फिर दिखाए तेवर, अब संजय राउत ने दिया बड़ा बयान
नागरिकता संशोधन बिल पर एक बार फिर शिवसेना के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं। जानिए, संजय राउत ने क्या कहा..
नई दिल्ली। लोकसभा में पेश होने के बाद नागरिकता संशोधन बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश कर दिया गया। राज्यसभा में इस बिल को लेकर केंद्र सरकार की राह आसान नजर नहीं आ रही है। लोकसभा में जहां शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में वोट दिया था, वहीं राज्यसभा में शिवसेना के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेन अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को बयान दिया था कि जब तक चीजें स्पष्ट नहीं होतीं, हम नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन नहीं करेंगे। अब राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी इस बिल को लेकर बड़ा बयान दिया है।
'फिर से हिंदू-मुस्लिम विभाजन का प्रयास मत कीजिए'
शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा में पेश होने से ठीक पहले कहा, 'हमें इस बिल पर अपनी शंकाओं को दूर करना है और अगर हमें संतोषजनक जवाब नहीं मिलता तो लोकसभा में जो हमारा रुख था, राज्यसभा में उससे अलग हो सकता है। वोटबैंक की राजनीति नहीं होनी चाहिए, यह सही नहीं है। देश में फिर से एक हिंदू-मुस्लिम विभाजन करने का प्रयास मत कीजिए। इसके अलावा श्रीलंका के तमिल हिंदुओं के लिए इस बिल में कुछ भी नहीं है।'
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'केवल भाजपा को ही देश की परवाह नहीं है'
वहीं, मंगलवार को शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा में पेश होने से ठीक एक दिन पहले बयान देते हुए कहा, 'जब तक चीजें स्पष्ट नहीं होतीं, हम नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन नहीं करेंगे। अगर किसी नागरिक के मन में इस बिल को लेकर कोई डर है तो सबसे पहले उसकी शंकाओं को दूर किया जाना चाहिए। वे हमारे नागरिक हैं, इसलिए सरकार को उनके सवालों का जवाब देना ही चाहिए। जो भी उनसे असहमत है, वो 'देशद्रोही' है, ऐसा सोचना उनका भ्रम है। हमने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक में बदलाव का सुझाव दिया है। यह एक भ्रम है कि केवल भाजपा को ही देश की परवाह है।'
विरोध के बावजूद शिवसेना ने लोकसभा में किया समर्थन
इससे पहले शिवसेना ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया था। शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बिल पर समर्थन को लेकर बताया, 'हमने राष्ट्र के हित में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया। कांग्रेस और एनसीपी के साथ 'न्यूनतम साझा कार्यक्रम' केवल महाराष्ट्र में लागू है।' हालांकि सोमवार को शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा था कि यह बिल हिंदुओं और मुसलमानों के 'अदृश्य विभाजन' का कारण बन सकता है। शिवसेना ने इस बिल पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या इस बिल का उद्देश्य 'वोट बैंक बनाना' है। अगर ऐसा है तो यह बिल देश के लिए ठीक नहीं है।
सामना में उठाए बिल पर सवाल
शिवसेना ने हालांकि सीधे तौर पर बिल का विरोध नहीं किया, लेकिन अपने मुखपत्र सामना में लिखा, 'गृह मंत्री अमित शाह से हमारी मांग है कि अगले 25 सालों के लिए नए नागरिकों को मतदान का अधिकार ना दिया जाए। क्या यह स्वीकार्य है?' शिवसेना ने मोदी सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें डर है कि हिंदू अवैध प्रवासियों की चयनात्मक स्वीकृति देश में एक धार्मिक युद्ध को बढ़ावा देने का काम करेगी। सामना में मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए शिवसेना ने कहा कि यह बिल हिंदुओं और मुसलमानों के 'अदृश्य विभाजन' का कारण बन सकता है।
'वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है'
शिवसेना ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल से वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है, जो देश के हितों के खिलाफ है। इसके अलावा शिवसेना ने बिल की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए। शिवसेना ने कहा, 'इस समय हमारा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है और ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल केवल एक विवादास्पद कदम साबित होगा।' शिवसेना ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों को बसाने के लिए सरकार कुछ कर रही है या नहीं?