नागरिकता संशोधन विधेयक को मिली कैबिनेट की मंजूरी, अगले हफ्ते सदन में आ सकता है बिल
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नई दिल्ली। संसद में मोदी कैबिनेट की अहम बैठक बुलाई गई थी जहां नागरिकता संशोधन विधेयक, 1955 को मंजूरी मिल गई। इस बिल को अगले सप्ताह (9 दिसंबर) को संसद में पेश किया जा सकता है। नागरिकता संशोधन विधेयक का विपक्ष के कई दल विरोध कर रहे हैं, ऐसे में सरकार की तरफ से इस विधेयक को संसद के पटल पर रखे जाने पर हंगामे के आसार हैं।
इस बिल में पड़ोसी देशों से शरणार्थी के तौर पर आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस बिल का विपक्ष विरोध कर रहा है, उन्होंने इसे संविधान की भावना के विपरीत बताते हुए कहा है कि नागरिकों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। पूर्वोत्तर के राज्यों में भी इस बिल का विरोध हो रहा है। जिसपर पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि ये विधेयक एनआरसी से अलग है।
गृहमंत्री अमित शाह- नागरिकता संशोधन विधेयक से अलग है एनआरसी, देशभर में होगा लागू
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन विधेयक के मसले पर असम के छात्र निकायों और अलग-अलग समूहों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की थी। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने बिल के संबंध में अपनी चिंताओं से गृहमंत्री को अवगत कराया था। सूत्रों के मुताबिक, सीएम सर्बानंद सोनोवाल भी इस बैठक में मौजूद रहे। बताया है कि
संसद में अगले सप्ताह पेश किया जा सकता है नागरिकता संशोधन विधेयक, 1955
इसके पहले, नागरिकता संशोधन बिल पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिल जाएगी। इसलिए ही बिल को संशोधित करने की जरूरत थी ताकि जिन शरणार्थियों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है, उन्हें भारतीय नागरिकता मिल सके।