सिटिजनशिप बिल: ये चार पार्टियां तय करेंगी राज्यसभा में विधेयक फंसेगा या पास होगा
सिटिजनशिप बिल: ये चार पार्टी तय करेंगी, फंसेगा या पास होगा विधेयक
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया है। इस बिल का विपक्ष भारी विरोध कर रहा है और इसे संविधान के खिलाफ बता रहा है। इसके बावजूद ये तय है कि लोकसभा में बिल आसानी से पास हो जाएगा। लोकसभा में भाजपा के पास ही बहुमत के आंकड़े से ज्यादा, 303 सांसद हैं लेकिन राज्यसभा में भाजपा को एनडीए के बाहर से भी मदद की जरूरत होगी। ऐसे में चार दलों पर सबकी निगाहें हैं।
इन चार पार्टियों का रुख अहम
राज्यसभा में एनडीए के सभी दल मिलकर भी बहुमत तक नहीं पहुंचते हैं। वहीं एनडीए के सहयोगी दल जदयू का रुख भी कुछ साफ नहीं है। जिन चार दलों के रुख पर राज्यसभा में निगाहें रहेंगी। वो हैं- शिवसेना, टीआरएस, वायएसआर कांग्रेस और जदयू। शिवसेना ने बिल के समर्थन की बात कही है लेकिन उसके भाजपा से हालिया रिश्ते को देखते हुए कुछ कहना आसान नहीं होगा।
राज्यसभा में क्या हैं आंकड़ा
राज्यसभा में इस समय 239 सदस्य हैं। ऐसे में बहुमत 120 पर होगा। भाजपा के 83 सदस्य हैं। एनडीए 110 पर तक पहुंचता है। ऐसे में इन दलों का किरदार अहम रहेगा। वहीं कांग्रेस के अलावा, टीएमसी, सपा, आप, सीपीएम, डीएमके, एनसीपी, बसपा ने इस विधेयक का विरोध का ऐलान किया है।
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क्या है बिल में
अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (मुसलमानों को छोड़कर) समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। बिल के जरिए छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन की बात है।
इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने भी इसका विरोध किया है। विपक्षी दलों का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता भारत के संविधान और उसकी तहजीब के खिलाफ है।