जानिए, क्यों बिना अवरोध राज्यसभा में भी पास होगा नागरिकता संशोधन विधेयक 2019
बेंगलुरू। लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के आसानी से पास होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को राज्यसभा में विधेयक पेश करेगी। राज्यसभा में विधेयक को पास कराने के लिए सरकार को 245 सदस्यीय राज्यसभा में 121 सदस्यों के वोटों की जरूरत होगी, क्योंकि राज्यसभा की 5 सीटे रिक्त हैं।
संभावना है सरकार को नागिरकता संशोधन विधेयक 2019 के समर्थन में कुल 127 सदस्यों से अधिक साथ मिल सकता है, जो राज्यसभा के मौजूदा संख्याबल 240 के हिसाब से बहुमत के लिए जरूरी 121 से अधिक हैं। इसलिए माना जा रहा है कि विधेयक बिना किसी अवरोध के राज्यसभा में पारित हो जाएगा।
उम्मीद यह भी जताई जा रही है कि सरकार के पक्ष में पड़ने वाले वोटों की संख्या 137 तक पहुंच सकती है। विधेयक के राज्यसभा में पास होने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून की शक्ल ले लेगा। राज्यसभा में बिल पेश करने, बिल पर चर्चा करने और बिल पर वोटिंग के लिए कुल 6 घंटे निर्धारित किए गए हैं।
गौरतलब है लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को बीजेपी 80 वोटों के मुकाबले 311 सदस्यों के वोटों से पास कराने में कामयाब रही थी। लोकसभा में विधेयक के पक्ष में जेडीयू, शिवसेना, बीजेडी और पूर्वोत्तर के कई दलों का साथ मिला था।
हालांकि लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना ने राज्यसभा में बिल को पेश करने से पहले यू टर्न ले लिया है और राज्यसभा में विधेयक को समर्थन नहीं देने की कही है। वैसे, राज्यसभा में शिवसेना के सदस्यों की संख्या महज तीन हैं और अगर शिवसेना का समर्थन नहीं भी हासिल हुआ तब भी बिल का राज्यसभा में आसानी से पास होना तय है।
ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 हैं, लेकिन अभी राज्यसभा में कुल 5 सीटें रिक्त हैं, जिसके चलते फिलहाल कुल सदस्यों की संख्या 240 है। अगर सदन के सभी सदस्य मतदान करें तो राज्यसभा में विधेयक पास कराने के लिए बीजेपी को बहुमत के लिए 121 वोट की जरूरत पड़ेगी।
बीजेपी को नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा में जिन दलों ने समर्थन किया है। उस लिहाज से राज्यसभा में आंकड़ों को देखें तो राज्यसभा में बीजेपी के 83, JDU के 6, AIADMK के 11, BJD के 7, SSD के 3, RPI के 1, LJP के 1, YSR कांग्रेस के 2, TDP के 2, एजीपी के 1, BPF के 1, NPF के 1, SDF के 1, नॉमिनेटेड 3 सदस्य, निर्दलीय एवं अन्य 4 सदस्यों के साथ कुल 127 सांसद हैं, जो बिल के पक्ष में वोट कर सकते हैं।
जबकि विपक्ष राज्यसभा में इस विधेयक को रोकने में बहुत मजबूत स्थिति में नजर नहीं आ रहा है। राज्यसभा में बिल के विरोध में कांग्रेस के 46, TMC के 13, NCP के 4, सपा के 9, AAP के 3, BSP के 4, CPI के 1, CPM के 5, डीएमके के 5, IUML के 1, PDP के 2, JDS के 1, केरल कांग्रेस एम के 1, MDMK के 1, PMK के 1, RJD के 4, शिवसेना के 3, TRS के 6, 1 नॉमिनेटेड सदस्य और 2 निर्दलीय एवं अन्य के साथ कुल 113 राज्यसभा सदस्य हैं।
संभावना जताई जा रही है कि राज्यसभा में बुधवार 12 बजे जब नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 रखा जाएगा तो विपक्ष की मजबूती पर और सेंध लग सकती हैं। इनमें बसपा के 4 सदस्य और जेडीएस के 1 सदस्य बीजेपी के खेमे में वोट दे सकते हैं। वहीं, शिवसेना भी बिल के विरोध में वोट करने के बजाय सदन से वॉक आउट होने का रास्ता चुन सकती है।
बसपा इसलिए क्योंकि बसपा पहले भी अनुच्छेद 377 और तीन तलाक बिल पर सरकार का साथ दे चुकी हैं और जेडीस नेता एचडी कुमारास्वामी कर्नाटक उपचुनाव से पहले बीजेपी की ओर नर्म रूख अपनाए हुए हैं। इससे बीजेपी को शिवसेना के 3 सदस्यों के वोटों की कमी नहीं खलेगी। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि शिवसेना भी अंततः विधेयक के समर्थन में दांव चल सकती है।
शिवसेना चीफ और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने वाले नागरिकों के निर्वासन पर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा शिवसेना की मांग है कि भारत की नागरिकता हासिल करने वाले नागरिकों को 25 साल तक वोट करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। इसके पीछे शिवसेना की मंशा है कि बीजेपी को इस बिल से सीधा फायदा न मिले।
हालांकि सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ खड़े दलों के अलावा भी राज्यसभा में 18 सदस्य बचते हैं, जिनके रुख पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। इनमें असम गण परिषद के 1, बोडोलैंड पीपुल फ्रंट के 1, एमडीएमके 1, नागा पीपुल्स के 1, पीएमके के 1 और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के 1 राज्यसभा सदस्य हैं। वहीं, 6 राज्यसभा सदस्य निर्दलीय और अन्य के भी हैं, जो सत्ता और विपक्ष दोनों का खेल बना और बिगाड़ सकते हैं।
चूंकि केंद्र सरकार विधेयक पारित कराने के लिए पूरा जोर लगा रही है इसलिए माना जा रहा है कि राज्यसभा में हर हाल में विधेयक का पास होना तय है। यही कारण है कि विधेयक को राज्यसभा में पेश करने के 24 घंटे पहले तक सरकार के कई रणनीतिकारों ने बैठकें की हैं।
नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है। हालांकि विधेयक को लेकर फैलाए जा रहे भ्रांति पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं हैं।
बकौल अमित शाह, अगर कोई भी मुस्लिम भारत की नागरिकता हासिल करना चाहता है, तो उसे प्रतिबंधित नहीं किया गया है, वह पहले की तरह आवेदन कर सकता है और सरकार उस विचार भी कर सकती हैं। शाह इस दौरान कई पाकिस्तानी मुस्लिम नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने का हवाला भी दिया।
उल्लेखनीय है राज्यसभा में नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के पटल पर रखने और उस चर्चा और वोटिंग का कुल समय 6 घंटे निर्धारित किया गया है। मंगलवार को राज्यसभा की बिजनस अडवाइजरी कमिटी (BAC) की मीटिंग में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विधेयक पर चर्चा सहित वोटिंग के लिए कुल छह घंटे तय किए थे।
सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 बुधवार दोपहर 12 बजे राज्यसभा में पेश करेगी और लंच के बाद बिल पर चर्चा शुरू होगी। कांग्रेस सांसद आंनद शर्मा विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करेंगे और सत्ता पक्ष की ओर मोर्चा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ही संभालेंगे।
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