इन 5 राज्यों ने नागरिकता कानून लागू करने से किया इनकार, केंद्र ने कहा- सभी राज्यों में होगा लागू, दिए ये तर्क
नई
दिल्ली।
नागरिकता
सशोधन
बिल
के
संसद
के
दोनों
सदनों
में
पास
होने
के
बाद
राष्ट्रपति
के
पास
मंजूरी
के
लिए
भेजा
गया
था।
गुरुवार
को
राष्ट्रपति
रामनाथ
कोविंद
ने
इस
बिल
को
मंजूरी
दे
दी,
जिसके
बाद
अब
यह
बिल
कानून
बन
गया
है।
हालांकि,
इस
एक्ट
का
पूर्वोत्तर
के
राज्यों,
खासकर
असम,
त्रिपुरा
और
मेघालय
में
जमकर
विरोध
हो
रहा
है।
वहीं,
विपक्षी
दलों
ने
भी
इस
कानून
का
विरोध
किया
है।
एक्ट
को
लेकर
जारी
विरोध
के
बीच
5
राज्यों
ने
कहा
है
कि
वे
इसे
अपने
यहां
लागू
नहीं
करेंगे।
जिसपर
केंद्र
की
तरफ
से
प्रतिक्रिया
आई
है।
सभी राज्यों को लागू करना होगा संशोधन- सूत्र
सूत्रों के मुताबिक, सरकार का कहना है कि नागरिकता का मामला संविधान की 7वीं अनुसूची संघ सूची में आता है। ऐसा संशोधन सभी राज्यों पर लागू होता है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह समेत 5 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे इस एक्ट को अपने राज्यों में लागू नहीं करेंगे क्योंकि ये संशोधन असंवैधानिक है। इस एक्ट के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। टीएमसी, केरल कांग्रेस, पीस पार्टी और मुस्लीम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में एक्ट के खिलाफ याचिका दायर की है।
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केरल, पंजाब, बंगाल ने किया है कानून लागू करने से इनकार
कांग्रेस पार्टी ने संसद के अलावा सड़क पर भी इस बिल का जमकर विरोध किया है। सपा-बसपा, टीएमसी और एनसीपी ने सदन में नागरिकता संशोधन बिल का जमकर विरोध किया था। इस एक्ट को लेकर पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा था, 'यह कानून धर्मनिरपेक्षता के भारतीय चरित्र पर हमला है। कांग्रेस की सरकार, पंजाब विधानसभा में बहुमत के साथ इस कानून को लागू होने से रोक देगी। यह कानून बहुत ही विभाजनकारी है।'
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एमपी-छत्तीसगढ़ ने भी किया है कानून लागू करने से इनकार
जबकि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, 'यह कानून भारत की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक छवि पर हमला है। ऐसे असंवैधानिक कानून के लिए उनके राज्य में कोई जगह नहीं है। भारत का संविधान सभी भारतीयों के लिए नागरिकता के अधिकार की गारंटी देता है, चाहे उनका धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति, लिंग या पेशा कुछ भी हो।' इसी तरह, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि वे इस बिल को लागू नहीं करेंगी। जबकि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों का कहना है कि जो पार्टी का बिल पर स्टैंड है, वे उसके साथ हैं।