एयरपोर्ट पर स्थानीय भाषा जानने वाले कर्मियों को तैनात करेगा CISF, इस वजह से लिया फैसला
नई दिल्ली। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) अब एयरपोर्ट पर ज्यादातर उन कर्मियों की तैनाती करेगा, जिन्हें स्थानीय भाषा की जानकारी होगी। ताकि कर्मियों को यात्रियों के साथ बातचीत करते समय किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े। ये कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब हाल ही में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता कनिमोझी ने शिकायत की थी कि चेन्नई एयरपोर्ट पर जब वह हिंदी नहीं बोल पाईं तो एक सीआईएसएफ अधिकारी ने उनसे पूछा कि क्या वह भारतीय नहीं हैं?
सीआईएसएफ के एक अधिकारी का कहना है, सीआईएसएफ अब स्क्रीनिंग, फ्रिस्किंग और अन्य फ्रंटलाइन कार्यों के लिए स्थानीय भाषा की जानकारी रखने वाले अधिक से अधिक कर्मियों को तैनात करने का प्रयास करेगा। क्योंकि इस काम में तकनीकी और व्यवहार कौशल शामिल हैं, इसलिए ऐसे में 100 फीसदी तैनाती कर पाना संभव नहीं होगा। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, जब कनिमोझी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह चेन्नई में सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी से बात कर चुकी हैं और उन्होंने अनुरोध किया है कि उनसे सवाल करने वाली महिला अधिकारी पर कोई सख्त कार्रवाई ना की जाए। लेकिन मामले की गंभीरता की संवेदनशीलता बताई जाए।
वहीं सीआईएसएफ के डीआईजी और चीफ पब्लिक रिलेशन अफसर अनिल पांडे का कहना है, 'हम यात्रियों की भावनाओं का सम्मान करने का पूरा ध्यान रखते हैं। दो दशक से हम आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने और हवाईअड्डों पर सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुपालन को सुनिश्चित करने का काम करते हैं। फिर चाहे वीआईपी हों, चुने हुए प्रतिनिधि या अन्य, सुरक्षा मानदंडों को सुनिश्चित करते हुए हम हर किसी के साथ सम्मान के साथ पेश आते हैं।' उन्होंने कहा कि अब वह कोशिश करेंगे कि आगे से संवाद में किसी प्रकार की परेशानी ना आए। इसके अलावा एयरपोर्ट स्टाफ का भी यही कहना है कि अगर स्थानीय भाषा का ज्ञान रखने वाले अधिक कर्मियों की तैनाती की जाएगी, तो संवाद करने से संबंधित परेशानी को दूर किया जा सकता है।
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दरअसल इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए कनिमोझी ने अपने ट्वीट में लिखा था, 'आज हवाईअड्डे पर एक CISF अधिकारी ने मुझसे पूछा कि क्या 'मैं एक भारतीय हूं', ऐसा तब हुआ जब मैंने उनसे तमिल या अंग्रेजी में मुझसे बोलने के लिए कहा क्योंकि मुझे हिंदी नहीं आती थी। मैं जानना चाहूंगी कि भारतीय होना हिंदी जानने के बराबर कब से हो गया है।' डीएमके नेता ने अपने साथ हुई इस घटना को हिंदी थोपा जाना करार दिया था। बता दें कि दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु की राजनीति में भाषा का बड़ा रोल है। दक्षिण भारत में अक्सर भाषा को राजनीतिक मुद्दा बनाया जाता रहा है, तमिलनाडु के तमाम राजनीतिक दलों ने कई बार केंद्र सरकार और उत्तर भारत पर हिंदी को थोपने का आरोप लगाया है।
हिंदी न बोल पाने पर कनिमोझी से पूछा- आप भारतीय नहीं? CISF ने दिए जांच के आदेश