लाल बहादुर शास्त्री की मौत के रहस्य से उठ सकता है पर्दा, पीएम लेंगे फैसला
नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के रहस्य से पर्दा उठने के बाद अब लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जा सकता है। सेंट्रल इंफोर्मेशन कमिशन ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से जुड़े तमाम दस्तावेजों को प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने रखना चाहिए, जिससे कि वह इस बात का फैसला कर सके कि इ दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाना है या नहीं। यह निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय के सेंट्रल पब्लिक इंफॉर्मेशन की ओर से दिया गया था।
पीएम के सामने रखे जाएंगे दस्तावेज
दअरसल इस बाबत एक आरटीआई दाखिल की गई थी जिसमे याचिकाकर्ता ने पुछा था कि क्या लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद उनकी ऑटोप्सी की गई थी। आपको बता दे कि लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 में ताशकंद में निधन हो गया था। आरटीआई दाखिल होने के बाद सीआईसी ने निर्देश दिया कि इन तमाम दस्तावेजों को पीएम और गृहमंत्री के सामने रखा जाए जिससे कि लोगों को इससे जुड़ी जानकारी दी जा सके। सीआईसी के कमिश्नर श्रीधर आचार्युलु ने बताया कि हम ने दस्तावेजों को पीएम और गृहंमंत्री के सामने रखेंगे जिसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि इन दस्तावेजों को विशेषज्ञ कमेटी के द्वारा जांच के बाद सार्वजनिक किया जाना है या फिर किसी और प्रक्रिया से।
रहस्यमय परिस्थिति में मौत
गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान के साथ 1965 में इंडो-पाक युद्ध में संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटो बाद ही लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया था। शास्त्रीजी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो जाने के बाद से ही इस बात का रहस्य बरकरार है कि आखिर कैसे लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया।
सरकार को देनी चाहिए जानकारी
सीआईसी कमिश्नर ने कहा इस घटना के बाद से ही लोग सवाल उठाते रहे हैं, जैसे कि लाल बहादुर शास्त्री के व्यक्तिगत डॉक्टर की हत्या, उनके दो असिस्टैंट की अलग-अलग हादसों में मौत, राज्यसभा कमेटी से तथ्यों की गैरमौजूदगी और पत्रकारों के तमाम सवाल अहम हैं। शास्त्री की पत्नी ललिता और परिवार के अन्य सदस्य और कमीशन इस पक्ष में है कि केंद्र सरकार को देश की जनता को बताना चाहिए कि आखिर कैसे और क्यों लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में मृत्यु हुई थी।
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