LAC पर 'गुआनदाओ' लेकर आए थे चीनी सैनिक, जानिए इस घातक हथियार के बारे में सबकुछ
नई
दिल्ली।
लद्दाख
में
पैंगोंग
झील
के
दक्षिणी
किनारे
पर
भारतीय
सेना
के
तैनाती
वाली
जगह
के
करीब
भाले
और
बंदूकों
से
लैस
चीनी
सैनिकों
की
तस्वीरें
सामने
आई
हैं।
रेजांग
ला
के
उत्तर
स्थित
मुखपुरी
में
धारदार
हथियारों
से
लैस
करीब
50
चीनी
सैनिकों
ने
भारतीय
इलाके
में
चोटी
पर
कब्जा
करने
की
कोशिश
की
थी,
जिस
पर
भारतीय
सैनिकों
ने
हवा
में
फायरिंग
कर
उन्हें
आगाह
करने
के
बाद
उन्हें
वापस
लौटने
को
मजबूर
कर
दिया।
भारतीय
चौंकियों
के
करीब
पहुंचे
चीनी
सैनिकों
ने
छड़,
भाले
और
'गुआनदाओ'
आदि
हथियार
ले
रखे
थे।
'गुआनदाओ' का एक मॉडिफाई वर्जन लेकर आए थे चीनी सैनिक
उस दिन की घटना की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें चीनी सैनिक 'गुआनदाओ' नाम का एक पारंपरिक चीनी हथियार लिए दिख रहे हैं। सैनिकों ने जिस धारदार हथियार को ले रखा था वह 'गुआनदाओ' का एक मॉडिफाई वर्जन है। 'गुआनदाओ' एक तरह का चीनी हथियार है जिसका इस्तेमाल चीनी मार्शल आर्ट के कुछ स्वरूपों में किया जाता है। इसके ऊपर धारदार ब्लेड लगा होता है।
पहले भी चीनी सैनिकों ने किया भारतीय सेना पर धारदार हथियारों से हमला
इससे पहले चीन के सैनिकों ने 15 जून को गलवान घाटी में झड़प के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। मंगलवार को भी भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया, तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 गोलियां चलाईं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल के अंतराल के बाद गोली चली है।
चीनी जनरल गुआन यू के नाम पर रखा गया है इस हथियार का नाम
'गुआनदाओ' एक तरह का चीनी हथियार है जिसका इस्तेमाल चीनी मार्शल आर्ट के कुछ स्वरूपों में किया जाता है। मंडेरियन में, इसे यैनयेडेओ या रिक्लाइनिंग मून ब्लेड के रूप में जाना जाता है। इस प्रतिष्ठित हथियार का नाम चीनी जनरल गुआन यू के नाम पर रखा गया था, जो लगभग 2,000 साल पहले चीनी के जनरल थे। हालांकि, हथियार का पहला प्रलेखित उपयोग 11 वीं शताब्दी से पहले का है।
इस हथियार को चलाने के लिए चाहिए प्रशिक्षण
'गुआनदाओ' कई आकृतियों और आकारों में आते हैं। शास्त्रीय रूप में, पारंपरिक 'गुआनदाओ' में ब्लेड पीछे की ओर चौड़े होता है, और अंत में स्पाइक होता है। 'गुआनदाओ' का उपयोग चीनी सदियों से करते आ रहे हैं। युद्ध के दौरान सैनिक 'गुआनदाओ' का इस्तेमाल पैरौं पर हमला और घोडे के पिछले शरीर पर वार करने के लिए करते थे। इसका विशाल ब्लेड और चमड़े में लिपटा हुआ मजबूत डंडा इसे और अधिक घातक बनाता है। इसके इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षण की जरूरत होती है।
कंगना
रनौत
को
अब
भाजपा
के
बाद
मिला
संघ
का
साथ,
कहा-
असत्य
के
हथौड़े
से
सत्य
की
नींव
नहीं
हिलती