अक्टूबर में दूसरी बार भारत आएंगे चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग, वाराणसी में पीएम मोदी करेंगे स्वागत!
नई दिल्ली। 30 मई को शपथ लेते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा कार्यकाल शुरू हो जाएगा। पीएम मोदी अपने इस दूसरे कार्यकाल में भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का स्वागत भारत में करने को तैयार हैं। सूत्रों की मानें तो जिनपिंग 11 अक्टूबर को भारत आएंगे। यहां पर वह, पीएम मोदी के साथ दूसरे अनौपचारिक सम्मेलन में शिरकत करेंगे। दिलचस्प बात है कि जिनपिंग के स्वागत के लिए इस बार पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को चुना है। साल 2014 में जब एनडीए की सरकार ने वापसी की थी तो उस समय जिनपिंग पहली बार भारत के दौरे पर आए थे।
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11 अक्टूबर को आ सकते हैं जिनपिंग
इंग्लिश डेली इंडियन एक्सप्रेस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक भारत ने अनौपचारिक सम्मेलन के लिए चीन के सामने 11 अक्टूबर की तारीख का प्रस्ताव रखा है। जगह के लिए इस बार वाराणसी को चुना गया है। पिछली बार जिनपिंग का स्वागत पीएम मोदी ने अहमदाबाद में किया था। चीन की ओर से भारत को बताया गया है कि उसके प्रस्ताव पर विचार विमर्श जारी है। जिनपिंग की ओर से पहले अनौपचारिक सम्मेलन के लिए 27 और 28 अप्रैल 2018 को पीएम मोदी चीन के शहर वुहान पहुंचे थे। यह दोनों नेताओं के बीच पहला अनौपचारिक सम्मेलन था। उस समय दोनों नेताओं ने साथ में 10 घंटे बिताए थे। बताया जा रहा है कि जिस तरह से वुहान में जिनपिंग ने मोदी का स्वागत किया था, पीएम भी उसी तरह से चीनी राष्ट्रपति का स्वागत करना चाहते हैं।
इसलिए इस बार चुना गया वाराणसी
पीएम मोदी ने जिनपिंग से मुलाकात के लिए वाराणसी को चुना है और इसकी एक खास वजह बताई जा रही है। चीनी राष्ट्रपति ने नौंवी ब्रिक्स समिट के दौरान जियामेन में पीएम मोदी को स्वागत किया था। साल 2017 में आयोजित इस सम्मेलन के लिए पीएम मोदी दूसरी बार चीन गए थे। जियामेन वही जगह है जहां से जिनपिंग ने 30 वर्ष पहले कम्युनिस्ट पार्टी के ऑफिस बियरर का पद संभाला था और अपनेराजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। इसी तरह से मोदी के लिए वाराणसी वह जगह हैं जहां से बतौर सांसद उनके करियर का आगाज हुआ था। पहली बार साल 2014 में मोदी ने यहां से चुनाव लड़ा और बंपर जीत हासिल की। मोदी के राजनीति जीवन का वह पहला चुनाव था।
13 और जून को होगी द्विपक्षीय मुलाकात
13 और 14 जून को किर्गिस्तान की राजधानी बिशकेक में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेश (एससीओ) समिट का आयोजन होना है। माना जा रहा है कि इसी दौरान अक्टूबर में होने वाले सम्मेलन की जानकारी दी जा सकती है। बिशकेक में भी पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच एक द्विपक्षीय वार्ता की कोशिशें जारी हैं। यह दोनों नेताओं की इस वर्ष की पहली द्विपक्षीय वार्ता होगी। जून 2017 में डोकलाम विवाद से पहले कजाख्स्तान के एश्टाना में आयोजित एससीओ समिट के दौरान दोनों नेताओं ने मुलाकात की थी।
वुहान समिट से दोनों देशों के बीच लौटा भरोसा
जिनपिंग और मोदी के बीच यह मुलाकात ऐसे समय में होगी जब चीन की वजह से भारत, मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने में कामयाब हो सका है। वुहान समिट का आयोजन जब हुआ तो दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद को सुलझे एक वर्ष का समय भी नहीं हुआ था। ऐसे में वुहान समिट का मकसद संबंधों को फिर से सामान्य करना था।जिनपिंग और मोदी की तरफ से कई तरह के रणनीतिक संदेश दिए गए ताकि दोनों देशों की सरकारों के बीच बेहतर तालमेल हो सके। वुहान समिट ने दोनों देशों के बीच खोए हुए भरोसे को बहाल करने का काम किया था।