चीनी मीडिया ने कहा- लद्दाख की सर्दी में नहीं बच सकते हैं भारतीय सैनिक, Indian Army ने दिया तगड़ा जवाब
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में टकराव कब खत्म होगा कोई नहीं जानता है। अब इस क्षेत्र में कड़ी सर्दियों का मौसम शुरू होने को है। इंडियन आर्मी ने इस मौसम के लिए हर साजो-सामान इकट्ठा कर लिया है। वहीं चीन की मीडिया ने कहा है कि भारतीय जवान कड़ी सर्दी का मुकाबला नहीं कर सकते हैं और ऐसे में वह युद्ध की स्थिति में अपने आप ही हार स्वीकार कर सरेंडर कर दें। शनिवार को सेना की तरफ से ट्वीट कर चीन को आईना दिखाया गया है।
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'सैनिक कभी समझौता नहीं करता'
इंडियन आर्मी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल @ADGPI की तरफ से शनिवार को एक ट्वीट किया गया है। इस ट्वीट में लिखा है, 'सैनिक, जब किसी कार्य के लिए प्रतिबद्ध होता है, तो समझौता नहीं कर सकता। यह कर्तव्य और साहस के मानकों के प्रति वचनबद्धता है, राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा है। उद्देश्य प्राप्ति ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है।' सेना ने जो फोटोग्राफ अपने मैसेज के साथ पोस्ट की है उसमें सैनिकों को एक जमी हुई झील पर मोर्चे की तरफ मार्च करते हुए देखा जा सकता है। चीन के सरकारी अखबार हू शिजिन की तरफ से गुरुवार को ट्वीट किया गया था जिसमें उन्होंने सर्दी के मौसम में सेना को लेकर कई ऐसी बातें कहीं थीं, जिसके बाद अब पूर्व सैनिक चीनी मीडिया का मजाक उड़ा रहे हैं।
चीन के बड़बोले एडीटर
हू शिजिन ने अपनी ट्वीट में लिखा था, 'अगर भारतीय जवान पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे से नहीं हटते हैं तो फिर पीएलए उन्हें पूरी सर्दी टक्कर देगी। भारतीय जवानों के संसाधन बहुत खराब है और बहुत से भारतीय सैनिकों की मौत या तो खून जमा देने वाली सर्दी से हो जाएगी या फिर कोविड-19 से वह मर जाएंगे। अगर युद्ध हुआ तो फिर भारतीय सेना को तुरंत ही शिकस्त का सामना करना पड़ेगा।' हू शिजिन का यह ट्वीट ऐसे समय आया है जब कुछ ही दिनों पहले चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया था उसे जल्द से जल्द लद्दाख में डिसइंगेजमेंट की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एक रेगुलर प्रेस ब्रीफिंग में इस बात की उम्मीद जताई है कि जवान अपने कैंपिंग एरिया में चले जाएंगे और आने वाले दिनों में बॉर्डर के इलाकों में ज्यादा टकराव नहीं होगा।
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-50 डिग्री तापमान पर देश की सुरक्षा
लिजियान ने कहा था, 'आप जानते हैं कि इस जगह पर प्राकृतिक स्थितियां बहुत ही खराब हैं और यह 4,000 मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई पर है। यह जगह इंसानों के रहने के लिए अच्छी नहीं है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि राजनयिक और मिलिट्री चैनल्स के जरिए और परामर्श के जरिए जल्द से जल्द डिसइंगेजमेंट का लक्ष्य हासिल हो सकेगा और हम किसी नतीजे पर पहुंच पाएंगे।' लद्दाख में जब सर्दियां शुरू होती हैं तो तापमान -50 डिग्री तक चला जाता है और हवा भी 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। सेना के जवानों को अब उसी प्रकार के सुरक्षा उपकरण मिलने वाले हैं जो सियाचिन में तैनात ट्रूप्स के पास हैं।
हर हालात में रहते हैं भारतीय जवान
भारतीय सैनिक पूरे साल सियाचिन, कारगिल और लेह जैसी जगहों पर तैनात रहते हैं। ये देश के ऐसे इलाके हैं जहां पर तापमान -60 तक हो पहुंच जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं सेना की माउंटेन ब्रिगेड ने पैंगोंग त्सो की ऊंचाईयों पर अपना नियंत्रण किया हुआ है। इस ब्रिगेड के सैनिकों को कश्मीर से लेकर सियाचिन तक के हालातों का अनुभव होता है। ब्रिगेड पहाड़ों पर लड़ने में महारत रखती है। पूर्व सैनिक हू शिजिन को ट्वीट को पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) का प्रपोगेंडा करार दे रहे हैं और उनका कहना है कि भारतीय सैनिकों के मंसूबे इससे कभी कमजोर नहीं हो सकते हैं।