चीनी उत्पाद के बहिष्कार के बीच भारत सरकार ने चीन की कंपनी को दिया 1000 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट, RSS की इकाई उतरी विरोध में
नई दिल्ली। कोरोना वायरस का संक्रमण चीन से पूरी दुनिया में फैला, जिसने लाखों लोगों की जान ले ली और तकरीबन 80 लाख से अधिक लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। इस वायरस की वजह से दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है और करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया है। इन सब के बीच भारत में चीन के उत्पाद, एप आदि का बहिष्कार करने की बात की जा रही है और वोकल को लोकल पर जोर दिया जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की बात अपने संबोधन में कही है। वहीं दिल्ली से मेरठ के बीच बनने वाले अंडरग्राउंड सड़क का काम चीन की कंपनी को दे दिया गया है।
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हो रहा विरोध
चीन की कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने इस काम के लिए सबसे कम बोली लगाई थी, जिसके बाद इस रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रोजेक्ट को चीन की कंपनी को दिया गया है। जिस तरह से देश में चीन का बहिष्कार हो रहा है, ऐसे में चीन की कंपनी को 1000 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के मिलने से एक बड़ा वर्ग नाराज भी है और इसका विरोध कर रहा है।
आरएसएस की इकाई उतरी विरोध में
अहम बात यह है कि इस प्रोजेक्ट का विरोध विपक्ष करता उससे पहले भाजपा की विचारधारा को प्रभावित करने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इकाई स्वदेशी जागरण मंच ने ही इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। संघ ने मोदी सरकार से मांग की है कि वह चीन के इस प्रोजेक्ट को रद्द करे। संघ का कहना है कि सरकार को आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनान चाहिए, चीन की कंपनियों को अहम प्रोजेक्ट्स में बोली लगाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। स्वदेशी जागरण संघ के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने इस बाबत केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से अपील की है और का है कि चीन की कंपनी को यह प्रोजेक्ट ना दिया जाए।
सीमा विवाद के बीच मिला प्रोजेक्ट
दिलचस्प बात यह है कि यह निविदा ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा था। 12 जून को शंघाई टनल इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे कम बोली लगाई। यह प्रोजेक्ट 5.6 किलोमीटर का है जिसके तहत न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच अंडरग्राउंड रास्ता बनना है जोकि दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कोरिडोर का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट कोक नेशनल कैपिटल ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन यानि एनसीआरटीसी ने के तहत आता है। कॉर्पोरेशन ने इसके लिए ऑनलाइन बोली की प्रक्रिया पिछले हफ्ते शुरू की थी।
सबसे कम बोली
एनसीआरटीसी
के
नतीजों
के
अनुसार
चीन
की
कंपनी
ने
पहले
राउंड
में
इसके
लिए
1126
करोड़
रुपए
की
बोली
लगाई
थी,
जबकि
भारत
की
कंपनी
एलएंडटी
ने
इसके
लिए
1170
करोड़
रुपए
की
बोली
लगाई
थी।
वहीं
सूत्रों
का
कहना
है
कि
सड़क
एवं
परिवहन
मंत्रालय
की
ओर
से
कहा
गया
है
कि
यह
बोली
बिल्कुल
साफ-सुधरे
तौर
पर
हुई
है
और
इसमे
भारतीय
कंपनियो
को
पूरा
मौका
दिया
गया
है
कि
वह
अपनी
बोली
लगा
सके।
एनसीआरटीसी
ने
इस
प्रोजेक्ट
के
लिए
पिछले
वर्ष
नवंबर
माह
में
बोली
की
प्रक्रिया
शुरू
की
थी,
जबकि
तकनीकी
बोली
की
प्रक्रिया
16
मार्च
को
शुरू
की
गई
है।
बता
दें
कि
लेटर
ऑफ
एक्सेपटेंस
जारी
किए
जाने
के
बाद
इस
सुरंग
का
काम
1095
दिनों
में
पूरा
किया
जाना
है।
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