चीन के राजदूत ने पैंगोंग झील पर किया दावा, कहा-भारतीय जवान LAC पार करने से बचें
नई दिल्ली। भारत में चीन के राजदूत सन विडोंग ने एक बार फिर भारत के साथ रिश्तों पर बयान दिया है। विडोंग ने कहा है कि उनका देश भारत के लिए रणनीतिक खतरा नहीं है और न ही उसका कोई विस्तारवादी एजेंडा है। उन्होंने दावा किया है कि उनका देश पूरी तरह से शांतिपूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। विडोंग ने यह बात उस समय कही जब भारत-चीन के रिश्तों पर एक वेबीनार का आयोजन हुआ था। इसी दौरान उन्होंने लद्दाख की पैंगोंग झील पर चीन के दावे को भी आगे बढ़ाया।
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भारत के लिए खतरा नहीं है चीन
जिस वेबीनार में विडोंग बोल रहे थे उसका आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज की तरफ से किया गया था। उन्होंने इस दौरान कहा कि एक 'अदृश्य वायरस' चीन से बड़ा खतरा है। उन्होंने कोरोना वायरस का नाम नहीं लिया लेकिन अपने बयान से इसी तरफ इशारा मिलता है। वेबीनार के बाद विडोंग ने कई ट्वीट्स किए। उन्होंने लिखा, 'भारत-चीन के रिश्तों को आगे ले जाने के लिए, मेरा मानना है कि हमें कई अहम मुद्ददों पर अपने नजरिए को मजबूत करने की जरूरत है। पहले तो चीन एक शांतिपूर्ण विकास चाहता है और वह भारत के लिए कोई रणनीतिक खतरा नहीं है।' विडोंग ने इसी दौरान पैंगोंग पर चीन का दावा जताया। आपको बता दें कि लद्दाख की पैंगोंग त्सो में चीनी जवान करीब आठ किलोमीटर भारतीय सीमा के अंदर तक आ गए हैं। विडोंग के मुताबिक चीन की पारंपरिक सीमा झील के उत्तर में एलएसी के मुताबिक ही है। विडोंग ने इस दावे को मानने से भी इनकार कर दिया कि चीन ने अपने पैंगोंग त्सो तक दावे को बढ़ा दिया है।
एक और कोर कमांडर वार्ता!
चीनी राजदूत की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और चीन के बीच पांचवें दौर की कोर कमांडर वार्ता की तैयारियां चल रवही हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में यह वार्ता हो सकती है। उन्होंने कहा, 'चीन की पारंपरिक सीमा एलएसी के अनुरुप ही है और इस तरह की कोई बात नहीं है कि चीन ने अपनी सीमा बढ़ा दी है। चीन को उम्मीद है कि भारतीय जवान सख्ती से द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल्स का पालन करेंगे और गैर-कानूनी तरीके से एलएसी को पार करने से बचेंगे।' उनके बयान पर भारत की तरफ से प्रतिक्रिया दी गई है। भारत का कहना है कि डिसइंगेजमेंट पर कुछ प्रगति थी लेकिन यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। विडोंग ने इसके साथ ही यह भी कहा कि हांगकांग, शिनजियांग और ताइवान चीन के आंतरिक मसले हैं और किसी को भी उसमें हस्तक्षेप का कोई अधिकार नही है। उनका कहना था कि चीन किसी भी देश के आंतरिक मसलों में हस्तक्षेप नहीं करता है और किसी को भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है।