भारत-पाकिस्तान के बीच सुलह कराने में जुटा चीन, लेकिन यहां दाल नहीं गलने वाली
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने और संघर्ष खत्म करने के लिए चीन पिछले काफी वक्त से अलग ही कोशिश में लगा हुआ है। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) में चीन और रूस ने मिलकर भारत और पाकिस्तान को इस ग्रुप में शामिल किया। फिर इसी माह जून में दोनों देशों को एक ही मंच पर लाने में मदद की। एससीओ समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन गर्मजोशी से हाथ मिलाकर थोड़ी देर बातचीत भी की थी। वहीं, चीन की कोशिशों का ही परिणाम है कि 'पीस मिशन 2018' के तहत भारत-पाकिस्तान की सेनाओं को एक साथ काउंटर-टेररिज्म के खिलाफ मिलिट्री एक्सरसाइज के लिए तैयार कर दिया। यह पहली बार होगा, जब भारत और पाकिस्तान की सेनाएं एक साथ मिलिट्री ड्रील करती नजर आएगी। इसके अलावा, हाल ही में भारत में चीनी राजदूत ने भारत-पाकिस्तान-चीन की त्रिपक्षीय शिखर वार्ता को लेकर वाकालत की थी।
इसलिए भारत-पाक से सुलह मे जुटा चीन
जिस गति से अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है, उसी गति से भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने की कोशिश में बीजिंग कोशिश कर रहा है। चीन की इकनॉमी ज्यादातर एक्सपोर्ट पर टिकी है, उधर अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर के चलते शी जिनपिंग सरकार कुछ हद तक नुकसान भी हो रहा है। ऐसे में पड़ोसी कम्युनिस्ट राष्ट्र अपने आर्थिक संबंध मजबूत करने के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच टेंशन को खत्म करने में लगा।
सीपैक भी है महत्वपूर्ण कारण
इसके अलावा, भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में गर्माहट लाने में चीन की कोशिश के जो अन्य कारण दिखते हैं, उनमें से सीपैक महत्वपूर्ण है। चीन की कोशिश है कि कैसे भी करके पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अपने सीपैक प्रोजेक्ट को पूरा किया जाए। चीन अपने पश्चिमी क्षेत्र से होकर मध्य-पूर्व अफ्रीका तक एक एक्सप्रेस लिंक बना रहा है, जिसके लिए 46 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है। गिलगिट-बाल्टिस्तान में सीपैक प्रोजेक्ट को लेकर भारत का विरोध जारी है और चीन चाहता है कि बिना भारत से रिश्ते खराब कर शांति से इसे निपटाया जाए।
चीन का व्यापार भारत पर टिका
अमेरिका से व्यापारिक रिश्ते खराब होने के बाद चीन की कोशिश है कि कैसे भी करके भारत के साथ संबंधों को स्थिर रखा जाए जिससे कि पड़ोसी देश के साथ व्यापार कमजोर ना हो। एक तरफ चीन के लिए भारत सबसे बड़ा ट्रेड मार्केट है, तो दूसरी तरफ ट्रेड ही चीन की सबसे बड़ी ताकत है। हालांकि, पाकिस्तान और भारत के रिश्तों में जमी हिमालयी बर्फ को पिघालना चीन के लिए इतना भी आसान नहीं है। क्योंकि कश्मीर पर एकमत राय रखते हुए पाकिस्तान से आतंकवाद के अलावा अन्य किसी मामले पर बात करने के लिए भारत की कोई दिलचस्पी नहीं है। वहीं, आतंकवाद मुद्दे के खिलाफ चीन का रुख हमेशा नरम रहा है।
इसलिए यहां दाल नहीं गलने वाली
जैश ए मोहम्मद का सरगना और पठानकोट हमले का गुनहगार मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए भारत की कोशिश को चीन ने कई बार पानी फेरा है। पिछले साल नवंबर में चीन ने सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए रोक लगा दी थी। इससे पहले मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी की रिहाई को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की भारत की मांग को संयुक्त राष्ट्र में चीन ने अड़ंगा डाला था। इसके अलावा न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में होने के लिए भारत की कोशिशों को चीन अभी भी अड़ंगा डाल रहा है। वहीं, अगले साल भारत में आम चुनाव है और तब पाकिस्तान के खिलाफ माहौल भी तेजी से बनने के आसार है, इसलिए चीन की कोशिश यहां असर नहीं दिखा पाएगी।