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5,000 वर्ष का इतिहास बताकर बोला चीन- 'आक्रमण और विस्तावाद हमारे जीन में नहीं'

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नई दिल्ली- चीन का कहना है कि आक्रमण और विस्तार की बातें सोचना और दूसरे देशों के इलाकों को हड़प लेना तो वह सोच ही नहीं सकता, क्योंकि ये चीजें उसके खून में ही नहीं हैं। अब चीन ये सब किसको समझाने के लिए कह रहा है और उसपर यकीन कौन करेगा ये तो पता नहीं, लेकिन वह अमेरिका को जरूर विस्तारवादी बता रहा है। अपनी दलील को पुख्ता करने के लिए वामपंथी चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार चीन के 5,000 साल का इतिहास बता रही है, जिस वामपंथी पार्टी की विचारधारा ही खूनी मानसिकता पर टिकी हुई है। चीन सरकार की ओर से बाकायदा बयान देकर इस तरह की बातें कही गई हैं।

'आक्रमण और विस्तावाद हमारे जीन में नहीं'

'आक्रमण और विस्तावाद हमारे जीन में नहीं'

चीन ने भारत के लद्दाख में गलवान घाटी पर अपना दावा ठोका, नेपाल के गांवों के सीमाओं का अतिक्रमण कर उन्हें अपने प्रशासित क्षेत्र तिब्बत में मिला लिया, भूटान की एक वाइल्ड लाइफ सैंचुरी पर भी गलत नजर डाली, लेकिन इसके बावजूद उसकी दलील है कि किसी दूसरे देश के हिस्से में अतिक्रमण या आक्रमण करना या विस्ताव करने वाली भावना उसकी जीन में नहीं है। इस दलील के लिए उसने अपने 5,000 साल के इतिहास का हवाला दिया है। गलवान में तो उसने भारत की जमीन पर दावा जताने के लिए खूनी संघर्ष का तनाबाना भी बुना, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए और चीन तो इस हालत में भी नहीं है कि वह अपने मारे गए सैनिकों की सही संख्या देश और दुनिया को बता सके। लेकिन, अब वह चाहता है कि दुनिया उसकी बातों पर भरोसा कर ले कि ड्रैगन तो दूसरों की जमान को हाथ भी नहीं लगाता। चीन के विदेश मंत्री ने चीन के इतिहास और नीयत बताने के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है, उसका जिक्र आगे कर रहे हैं।

5,000 वर्ष पुराने इतिहास की दुहाई

5,000 वर्ष पुराने इतिहास की दुहाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेह में 11,000 फीट की ऊंचाई से आवाज लगाकर पूरी दुनिया को इस बात का एहसास दिलाया कि चीन एक विस्तारवादी देश है। शायद इसी के जवाब में अब चीन ने सफाई देनी शुरू कर दी है। चीन के विदेश मंत्री वैंग यी ने कहा है, 'आक्रमण और विस्तार चीनी राष्ट्र के जीन में इसके 5,000 वर्षों के इतिहास में कभी भी नहीं रहा और चीन कभी भी एक और अमेरिका न हो सकता है और न ही होगा।' चाइनीज विदेश मंत्री ने अमेरिकी-चीन संबंधों पर बोलते हुए ये बयान दिया है। उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि अमेरिका चीन की अधिक उद्देश्यपूर्ण समझ और उसके प्रति अधिक तर्कसंगत नीति को अपनाएगा।

दक्षिण चीन सागर में भी आक्रामक रहा है चीन

दक्षिण चीन सागर में भी आक्रामक रहा है चीन

दरअसल, चीन और अमेरिका के बीच कोरोना वायरस की पैदाइश को लेकर शुरू हुआ तनाव गलवान घाटी और दक्षिण चीन सागर में उसकी आक्रमक हरकतों के चलते और बढ़ चुकी है। अमेरिका ने किसी भी कीमत पर चीन के आक्रमण को चुपचाप देखते रहने से इनकार कर दिया है। उसके जंगी जहाजों और लड़ाकू विमानों ने चीन की धमकियों को चुनौती देते हुए दक्षिण चीन सागर में ताल ठोक दिया है। अमेरिका के रक्षा मंत्री माइक पॉम्पियो कह चुके हैं कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी भारत समेत वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलपींस और साउथ चाइना सी के लिए खतरा है और यह मौजूदा दौर की सबसे बड़ी चुनौती है।

लद्दाख पर नजर, अक्साई चिन पर अवैध कब्जा

लद्दाख पर नजर, अक्साई चिन पर अवैध कब्जा

सवाल ये है कि चीन जिस तरह से गलवान की घटना के बाद घड़ियाली आंसू बहाने की कोशिश कर रहा है, उसपर यकीन करने के लिए कौन तैयार होगा। दुनिया मानती है कि पूरी मानवता को कोरोना जैसी महामारी के संकट में धकेलने के लिए अकेले चीन जिम्मेदार है। लेकिन, जब दुनिया इस जानलेवा बीमारी से लड़ रही है, उसने अपने चारों और अपने विस्तारवाद के एजेंडे को आगे बढ़ा दिया है। लद्दाख में कई मोर्चों पर तो वह भारत के सामने खड़ा है ही, हिमालय के छोटे से दो देश नेपाल और भूटान पर भी अतिक्रमण करने की ताक में है। जबकि, भारत के अक्साई चिन को तो वह पहले से ही कब्जाए हुए है।

नेपाल-भूटान को भी हड़पने की साजिश

नेपाल-भूटान को भी हड़पने की साजिश

चीन ने नेपाल में तो कई हेक्टयर जमीन पर अवैध कब्जा कर ही लिया, उधर अरुणाचल प्रदेश से सटे भूटान के एक वाइल्डलाइफ सैंचुरी को भी हड़पने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं, उसने रूस और जापान जैसे ताकतवर देशों को भी नहीं छोड़ा है। रूस के एक शहर को अपना बताने लगा है तो जापान के समुद्री क्षेत्र का उल्लंघन करता पाया गया है। पूर्वीं तुर्किस्तान और तिब्बत जैसे देशों को तो उसने अपने कब्जे में कर ही रखा है तो उधर धीरे-धीरे पूरे दक्षिण चीन सागर को भी हथियाने के हथकंडों में जुटा हुआ है। लेकिन, फिर भी वह चाहता है कि लोग उसे विस्तारवादी न समझें। इससे तो लगता है कि वह अपने 5,000 साल के इतिहास को सबसे बड़ा मजाक बना रहा है।

इसे भी पढ़ें- 'चीन में नरसंहार की जांच करें'- उइगर और दूसरे मुसलमानों ने UN से लगाई गुहार

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English summary
China told '5,000 years of history -' Aggression and expansion is not in our genes'
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