नॉर्थ ईस्ट में बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में चीन, म्यांमार के आतंकियों को मिल रही मदद ने बढ़ाई चिंता
नई दिल्ली। पिछले दिनों थाइलैंड के माए ताओ क्षेत्र में बड़े स्तर पर चीन में बने हथियारों को जब्त किया गया है। इन हथियारों को गैर-कानूनी तरीके से हासिल किया गया था। माए ताओ क्षेत्र, म्यांमार-थाइलैंड बॉर्डर पर है और इस घटना से भारत की चिंताएं दोगुनी हो गई हैं। यूरोप के एक थिंक-टैंक की मानें तो इस तरह की घटनाओं ने भारत को भयभीत कर दिया है कि नॉर्थ-ईस्ट में जिस मेहनत और रणनीति की वजह से शांति बहाल हुई है, वहां पर ऐसी घटनाओं से अशांति बढ़ सकती है। इन घटनाओं के पीछे चीन का नेतृत्व है और ऐसे में चिंता लाजिमी है।
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थाइलैंड में मिले थे हथियार
23 जून को आई एक रिपोर्ट के हवाले से थिंक टैंक इरावाडी ने कहा है कि शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इन हथियारों को म्यांमार में सक्रिय चरमपंथी संगठनों की तरफ से भेजे गए थे। लेकिन इस घटनाक्रम ने दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस घटना के बाद डर है कि चीन की तरफ क्षेत्र में मौजूद आतंकी संगठनों को समर्थन दिया जा रहा है। आतंकी संगठन थाईलैंड के आतंकी संगठन 'डिप्लो टेररिज्म' नीति को आगे बढ़ा रहे हैं। थिंक टैंक की तरफ से इस रिपोर्ट की पुष्टि की गई है कि म्यांमार-थाइलैंड बॉर्डर पर जो हथियार मिले हैं, वो चीन के बने हैं। थिंक टैंक की तरफ से सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ये वो हथियार नहीं है जिनका प्रयोग म्यांमार का संगठन अराकान आर्मी (एए) कर रही है। इन हथियारों को Wa (यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी) और किया (काचिन इंडीपेंडेंस आर्मी) की तरफ से बनाया गया है। ये हथियार ऑटोमैटिक फायर नहीं कर सकते हैं। जब्त किए गए हथियार असली हैं और चीन में बने हैं।
नॉर्थ ईस्ट के उग्रवादियों को म्यांमार में पनाह
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के नॉर्थ ईस्ट में मौजूद उग्रवादी जिन्हें पिछले कई वर्षों से म्यांमार में शरण मिल रही थी और जिन्हें एए ने जगह दी है, दोनों ही अब देश के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। एए संगठन म्यांमार के राखिने राज्य में काफी सक्रिय है। इसके अलावा नॉर्थ-ईस्ट के चरमपंथी भारत सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के भी खिलाफ हैं। भारतीय एजेंसियों को डर है कि जिस तरह से देश में एक्ट ईस्ट नीति के तहत प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया जा रहा है, उसने चीन को मुश्किल में डाल दिया है। थाइलैंड में हथियारों का मिलना इसका ही एक हिस्सा है। 20 जुलाई को थाईलैंड में भारत की राजदूत सुचित्रा दुराई ने भी थाईलैंड के टाक प्रांत के गर्वनर के साथ इस मसले पर मुलाकात की थी। माए सातो इसी प्रांत का हिस्सा है। भारतीय एजेंसियां लगातार म्यांमार और थाइलैंड में अपने समकक्षों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं।