पीछे हटने के मूड में नहीं है चीन, युद्ध के लिए अब LAC पर अपना रहा यह रणनीति
नई दिल्ली। लद्दाख में सोमवार को भारत और चीन के बीच सांतवें दौर की कोर कमांडर वार्ता जारी है। इस वर्ष मई से ही पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। लेकिन अब इस बात के संकेत भी मिलने लगे हैं पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) का पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। सुत्रों की मानें तो पीएलए के जवानों को रोटेशन विधि के तहत फॉरवर्ड इलाकों में तैनात किया जा रहा है। ये ऐसे फॉरवर्ड इलाके हैं जहां पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच बस कुछ ही मीटर का फासला है।
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हर दो हफ्तों में नए जवानों की तैनाती
अधिकारियों की मानें तो भारत की तरफ से अनुमान लगाया गया है कि हर दो हफ्तों में पीएलए अपने जवानों को बदल-बदल (रोटेशन विधि पर) कर तैनात कर रहा। यह अनुमान इसलिए भी काफी अहम है क्योंकि चीन का मकाद अपने जवानों को युद्ध के लिए रेडी रखने के लिए हर पल तैयार रखना है। पीएलए की तरफ से रोटेशन विधि के तहत जवानों की तैनाती का पहला संकेत पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर नजर आता है। यहां पर फिंगर 3 और फिंगर 4 के बीच करीब 2,000 जवानों को तैनात किया गया है। इतने ही जवान भारत की तरफ से भी तैनात हैं और आठ सितंबर से ही यही स्थिति है। अधिकारियों के मुताबिक भारत की तरफ से जवानों की तैनाती को बरकरार रखा गया है तो वहीं पीएलए हर दो हफ्तों के बाद 200 सैनिकों की अदला-बदली करता है। पैंगोंग झील का उत्तरी किनारा वही हिस्सा है जहां पर सबसे पहले टकराव शुरू हुआ था। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की तरफ से पहले अनुमान लगाया गया था कि पीएलए के कम से कम 50,000 जवान एलएसी पर तैनात थे लेकिन ताजा जानकारी पर अगर यकीन करें तो यह संख्या ज्यादा हो सकती है।
भारत से की कहा पीछे हटने की मांग
21 सितंबर को हुई कोर कमांडर वार्ता में चीन की तरफ से कहा गया था कि भारत पहले डि-एस्कलेशन की तरफ कदम बढ़ाए। मगर भारत को आशंका है कि अगर उसने अपने जवानों को पीछे किया तो फिर चीन के जवान उन पोस्ट्स पर कब्जा कर सकते हैं। चीन का मुख्य लक्ष्य पैंगोंग त्सो का दक्षिण हिस्सा है। यहां पर 29 और 30 अगस्त और सितंबर माह के पहले हफ्ते में हुई झड़प के बाद भारत की सेना ने रेजांग ला, रेकिन ला पास समेत मुखपारी और गुरूंग हिल पर कब्जा कर लिया है। चीन का कहना है कि यह एलएसी का वॉयलेशन है मगर भारतीय सेना की तरफ से स्पष्ट किया जा चुका है कि यह भारत की सीमा में आता है। भारत और चीन के बीच आज सांतवें दौर की कोर कमांडर वार्ता दोपहर 12 बजे शुरू हुई है। सूत्रों का कहना है कि भारत की तरफ से अप्रैल 2020 वाली यथास्थिति को बहाल करने की मांग की जाएगी। आज की वार्ता की अगुवाई लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करने वाले हैं। इसके बाद 14 अक्टूबर को वह अपना एक साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद 15 अक्टूबर को देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री कमांडर (आईएमए) की जिम्मेदारी संभालेंगे। ले. जनरल सिंह के साथ ले. जनरल पीजीके मेनन भी वार्ता में मौजूद रहेंगे जो कि जनरल सिंह के बाद 14 कोर के कमांडर बनने वाले हैं।