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Doklam Crisis के बाद चीन की इस नई रणनीति ने बढ़ाई भारत की मुश्किल

डोकलाम विवाद के बाद भारत-चीन के बीच रिश्तों में तनातनी बढ़ गई थी, लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत से यह मुद्दा सुलझा लिया गया था। लेकिन इन सबके बीच चीन अपनी नई रणनीति बनाने में जुट गया है।

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नई दिल्ली। डोकलाम विवाद के बाद भारत-चीन के बीच रिश्तों में तनातनी बढ़ गई थी, लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत से यह मुद्दा सुलझा लिया गया था। लेकिन इन सबके बीच चीन अपनी नई रणनीति बनाने में जुट गया है। चीन की स्टेट मीडिया के अनुसार चीन तिब्बत में अब ब्रह्मपुत्र नदियों पर डैम बनाने की योजना बना रहा है जोकि भारत की सीमा के पास है। चीन अब ब्रम्हपुत्र नदी से इतर भारत के पास सीमा पर बहने वाली नदियों पर ब्रिज बनाने की योजना बना रहा है। चीन की इस नई रणनीति ने भारत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

हाल की खबरों को बताया था झूठ

हाल की खबरों को बताया था झूठ

हाल ही में चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी के पानी की दिशा को बदलने के लिए 1000 किलोमीटर की टनल को बनाने की खबर को खारिज कर दिया था। चीन ने मीडिया की खबर को झूठ बताया था। मीडिया में यह रिपोर्ट सामने आई थी कि चीन ब्रह्मपुत्र जिसे यारलंग सैंगपो के नाम से जाना जाता है की दिशा को बदलने के लिए योजना बना रहा था। यह अरुणाचल प्रदेश के काफी करीब है। भारत ने चीन की नई योजना पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए अपनी आपत्ति भी दर्ज की है।

डैम की संभावना से इनकार नहीं

डैम की संभावना से इनकार नहीं

ग्लोबल टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक तिब्बत में जिन्स्हा, लैंकैंग, नुजिआंग प्रसिद्ध नदी हैं, यहां हाइड्रोपॉवर की अपार संभावनाएं हैं लेकिन भारत यहां पर किसी भी हाइड्रोपॉवर को नहीं चला रहा है। ऐसे में इसका मतलब यह नहीं है कि चीन से भारत की ओर बहने वाली इन नदियों जिनमे यारलंग गैंगबो नदी के पानी को यूं ही पठार में नहीं बहने दिया जाएगा। हालांकि इस बात की इसमे पुष्टि नहीं की गई है कि चीन ने इसके लिए काम करना शुरू कर दिया है।

2014 में ब्रह्मपुत्र नदी पर बना था डैम

2014 में ब्रह्मपुत्र नदी पर बना था डैम

ब्रह्मपुत्र नदी पर बना जंगमू डैम जोकि 2014 में शुरू हो गया था, इस डैम के शुरू होने के बाद भारत ने अपनी चिंता जाहिर की थी, हालांकि यह पहला डैम था, लेकिन जिस तरह से चीन ने तिब्बत में अन्य डैम बनाने की योजना बना रहा था उसने भारत की चिंता को और बढ़ा दिया है। इस डैम की क्षमता 86.6 मिलियन क्युबिट मीटर है। ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में कहा गया है कि भारत को इस डैम को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। तिब्बत चाहता है कि उसके देश में पानी के संसाधनों का इस्तेमाल बढ़े जिससे कि उसकी आर्थिक विकास में रफ्तार आए।

2021 तक शुरू हो जाएगा डैम

2021 तक शुरू हो जाएगा डैम

लेख के अनुसार इस प्रोजेक्ट में अभी भी और चुनौतिंया हैं, एक बार जब इस प्रोजेक्ट में खर्च होने वाली राशि का अनुमान सामने आने के बाद इस प्रोजेक्ट पर फैसला लिया जाएगा। तिब्बत को बिजली देने के लिए मुख्य रूप से जिन्हसा नदी पर हाइड्रोप्रोजेक्ट का निर्माण किया जाएगा जोकि जिन्हास नदी, लैंगकैंग नदी और नूजिआंग नदी से होकर जाएगा। यह सभी नदियां चीन और तिब्बत की सीमा के करीब हैं। आपको बता दें कि जिन्हसा यांगशे नदी की सहायक नदी है। स्वालोंग प्रोजेक्ट तिब्बत के मंगकाम काउंटी के पास है जोकि चीन के सीचुन इलाके के करीब है। यह तिब्बत में सबसे बड़ा पॉवर प्रोजेक्ट होगा, यह जैंगमू डैम से भी बड़ा होगा जोकि ब्रह्मपुत्र नदी पर है। इस पॉवर प्रोजेक्ट की कुल क्षमता 1.2 मिलियन किलोवाट है, यहां से 5.4 बिलियन किलोवाट बिजली का हर साल उत्पादन होगा। 112 मीटर उंचा यह डैम 674 मिलियन क्युबिक मीटर पानी का इस्तेमाल करेगा, जानकारी के अनुसार इस डैम के जेनरेटर 2021 तक शुरू हो जाएंगे।

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English summary
Doklam Crisis - China's plan to construct more dam on rivers is a new challenge to India. China is planning to built the dam on rivers other than Brmhaputra.
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