लद्दाख की ऊंचाईयों पर अभी से बेहोश होने लगे हैं चीन के फौजी, रेस्क्यू कर भर्ती कराए गए अस्पताल में!
नई
दिल्ली।
लद्दाख
में
सर्दियों
का
मौसम
शुरू
हो
चुका
है
और
भारत-चीन
के
बीच
टकराव
पांचवें
माह
में
भी
जारी
है।
गर्मियों
में
शुरू
हुए
इस
टकराव
को
सर्दियों
से
पहले
खत्म
करने
की
कई
कोशिशें
की
गईं
लेकिन
सारी
कोशिशें
बेनतीजा
रहीं।
अब
ऐसी
खबरें
आ
रही
हैं
कि
चीन
की
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
जवान
लद्दाख
की
ऊंची
चोटियों
पर
ऑक्सीन
की
कमी
से
बेहोश
होने
लगे
हैं।
गुरुवार
शाम
सेना
के
सूत्रों
के
हवाले
से
ऐसी
खबरें
आई
हैं।
शुक्रवार
को
अधिकारियों
की
तरफ
से
इसकी
पुष्टि
की
गई
है।
यह भी पढ़ें-Indian Army ने चीन की मीडिया को दिया तगड़ा जवाब
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फिंगर 4 पर बेहोश चीनी सैनिक
पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर स्थित फिंगर एरिया, जहां पर चीनी जवान भारी संख्या में मौजूद हैं, वहां पर भारतीय जवानों ने पीएलए के कुछ जवानों का रेस्क्यू करते हुए देखा है। सूत्रों की मानें तो कुछ चीनी जवानों को फिंगर 4 की ऊंचाईयों से निकालकर उन्हें पास के फील्ड मेडिकल हॉस्पिटल में ले जाया गया है जो कि फिंगर 6 के आगे है। अधिकारियों के मुताबिक पिछले दो से तीन दिनों के अंदर पीएलए के जवानों का स्वास्थ्य बिगड़ना शुरू हो गया है। इस घटनाक्रम से अब साफ है कि लद्दाख में ऊंचाईयों पर तैनाती जारी रखने की दिशा में चीन की चुनौतियां बढ़ गई हैं। यह घटनाक्रम तब हुआ है जब पिछले दिनों चीन की सरकारी मीडिया की तरफ से भारत को धमकाया गया था कि अगर टकराव जारी रहा तो फिर भारतीय जवानों की सर्दियों में जान जा सकती है और वो खुद ही पीछे चले जाएंगे।
आने वाली मुश्किल स्थिति
फिंगर एरिया आठ चोटियों के साथ है जिसमें एक तरफ श्रीजप रेंज हैं जहां से पैंगोंग त्सो नजर आती है। इस समय दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख के हिस्से में सबसे बड़ा टकराव जारी है। दोनों देशों के करीब एक लाख जवान यहां पर इस समय मौजूद हैं। ये जवान हथियार और दूसरे साजो-सामान के साथ डेप्थ एरिया में तैनात हैं। फिंगर 4 पर भारत के सैनिकों ने चीनी सैनिकों से बस कुछ मीटर की दूरी पर अपनी स्थिति को संभाला हुआ है। पूर्वी लद्दाख में सर्दियों में तापमान -50 डिग्री से नीचे पहुंच जाता है और हवाएं भी बहुत तेज चलती हैं।
17,000 फीट तक तैनात रहते हैं जवान
सेना के अधिकारियों की मानें तो 16,000 से 17,000 फीट की ऊंचाईयों पर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से सैनिकों के जूझना पड़ता है। आने वाले दिनों में यहां पर स्थितियां और भी बिगड़ने वाली हैं। भारतीय सैनकों को सियाचिन जैसी जगहों पर तैनाती का अनुभव है और तैनाती से पहले उन्हें यहां के मौसम और वातावरण के अनुकूल बनाया जाता है। इसके बाद पूरी मेडिकल सुविधा के साथ ही उनकी तैनाती होती है ताकि किसी भी इमरजेंसी के दौरान उन्हें मदद की जा सके। ऊंचाईयों पर युद्ध लड़ना एक कला है और पूरी दुनिया इस कला में भारतीय सेना को सलाम करती है।
चीनी मीडिया ने उड़ाया था मजाक
चीन के सरकारी अखबार हू शिजिन की तरफ से गुरुवार को ट्वीट किया गया था जिसमें उन्होंने सर्दी के मौसम में सेना को लेकर कई ऐसी बातें कहीं थीं, जिसके बाद अब पूर्व सैनिक चीनी मीडिया का मजाक उड़ा रहे हैं। हू शिजिन ने अपनी ट्वीट में लिखा था, 'अगर भारतीय जवान पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे से नहीं हटते हैं तो फिर पीएलए उन्हें पूरी सर्दी टक्कर देगी। भारतीय जवानों के संसाधन बहुत खराब है और बहुत से भारतीय सैनिकों की मौत या तो खून जमा देने वाली सर्दी से हो जाएगी या फिर कोविड-19 से वह मर जाएंगे। अगर युद्ध हुआ तो फिर भारतीय सेना को तुरंत ही शिकस्त का सामना करना पड़ेगा।'