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चीन के मिलिट्री एक्सपर्ट ने माना भारतीय सेना का लोहा, कह दी बड़ी बात

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नई दिल्ली- पहाड़ों और ऊंचे पठारों पर होने वाली जंग में दुनिया में भारतीय सेना का कोई जवाब नहीं है। ये बात चीन के एक मिलिट्री एक्सपर्ट ने कही है। चीन के हुआंग गुओझी नाम के इस मिलिट्री एक्सपर्ट का यह लेख उस वक्त सामने आया है जब तिब्बत के पहाड़ी इलाके में वास्तविक नियंत्रण के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनाव का माहौल है। हालांकि, गुओझी ने यह नहीं बताया है कि उन्होंने अपने लेख में जो दावा किया है, उसका स्रोत क्या है। लेकिन, जिस चीनी ई-पेपर ने इस लेख को प्रकाशित किया है, वह भारतीय सेना का कटु आलोचक रहा है और सिर्फ अपने आकाओं का ही बखान करता रहा है।

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पहाड़ पर जंग में भारतीय सेना का जवाब नहीं

पहाड़ पर जंग में भारतीय सेना का जवाब नहीं

चीन के एक मिलिट्री एक्सपर्ट ने कहा है कि ऊंचाई पर लड़ी जाने वाली जंग के लिए भारतीय सेना दुनिया की सबसे प्रशिक्षित और सबसे अनुभवी सेना है। ये बात चीन के पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के लिए हथियार बनाने वाले एक बड़े निर्माता से जुड़े एक्सपर्ट ने कही है। उन्होंने कहा है कि जिस किसी भारतीय जवान की पहाड़ों पर तैनाती होती है, उसके लिए पर्वातारोहण एक 'आवश्यक कौशल' है। आधुनिक हथियारों से जुड़ी एक मैगजीन के सीनियर एडिटर हुआंग गुओझी ने लिखा है, 'मौजूदा समय में पठार और पर्वतीय सैनिकों के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा और अनुभवी देश न तो अमेरिका और रूस है और न ही यूरोपीय पावरहाउस हैं, बल्कि भारत है। ' हुआंग गुओझी का यह लेख उस वक्त सामने आया है जब तिब्बत के पहाड़ी इलाके में वास्तविक नियंत्रण के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनाव का माहौल है।

लेखक चीन के रक्षा मामलों के बड़े एक्सपर्ट हैं

लेखक चीन के रक्षा मामलों के बड़े एक्सपर्ट हैं

चीन के उस मैगजीन को वहां की मिलिट्री और डिफेंस का एक संपूर्ण जर्नल माना जाता है। यह मैगजीन चीन की सरकारी कंपनी नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉर्पोरेशन लिमिटेड से मान्यता प्राप्त है, जो खुद को पीएलए के लिए अत्याधुनिक उपकरण विकसित करने का सबसे जिम्मेदार प्लेटफॉर्म होने का दावा करता है। ये दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर्स में से भी एक है और इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाता है कि यह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के चहेते प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड से भी जुड़ा हुआ है। बता दें कि लद्दाख में एलएसी के पास दोनों देशों के जवानों के बीच पिछले महीने से ही तनातनी है और पिछले हफ्ते इसको लेकर दोनों देशों के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के स्तर पर बातचीत भी हो चुकी है।

भारतीय सेना पर्वतारोहण में माहिर है- चीन के डिफेंस एक्सपर्ट

भारतीय सेना पर्वतारोहण में माहिर है- चीन के डिफेंस एक्सपर्ट

बड़ी बात ये है कि हुआंग गुओझी का यह लेख चीन के thepaper.cn में प्रकाशित हुआ है, जो चीनी मीडिया में भारतीय सेना का बहुत बड़ा आलोचक है और वह अक्सर भारत के मामले में हमेशा चीन का ही राग अलापता देखा गया है। ऐसा भी नहीं है कि लेखक ने भारतीय सेना के बारे में यूं ही इतनी बड़ी टिप्पणी कर दी है। उन्होंने अपने हिसाब से अपने लेख को तथ्यों के आधार पर रखने की कोशिश की है। वो लिखते हैं, 'भारतीय पर्वतीय सेना के लगभग हर सदस्य के लिए पर्वतारोहण एक आवश्यक कौशल है। इसके लिए, भारत ने निजी क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में पेशेवर पर्वतारोहियों और शौकिया पर्वतारोहियों की भर्ती की है।' वो लिखते हैं, '12 डिविजनों के 2,00,000 से ज्यादा सैनिकों में भारतीय पर्वतीय बल विश्व में सबसे बड़ा पर्वतीय लड़ाका बल है। '

सियाचिन ग्लेशियर का भी दिया हवाला

सियाचिन ग्लेशियर का भी दिया हवाला

उनके मुताबिक भारत 1970 से ही अपने पर्वतीय सेना की संख्या के विस्तार में लगा हुआ है और उसकी 50,000 से ज्यादा जवानों वाली एक माउंटेन स्ट्राइक फोर्स गठित करने की भी योजना है। इसके लिए उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर का भी हवाला दिया है। उनका कहना है कि '5,000 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई पर भारत सेना ने सियाचिन ग्लेशियर में सैकड़ों आउटपोस्ट बना लिया है और 6,000 से 7,000 जवानों को तैनात कर रखा है। सबसे ऊंची पोस्ट तो 6,749 मीटर पर बना रखी है।'

स्रोत की नहीं दी है जानकारी

स्रोत की नहीं दी है जानकारी

हालांकि, भारतीय सेना के बारे में उनकी इन जानकारियों का स्रोत क्या है इसका जिक्र उन्होंने नहीं किया है। अलबत्ता, उन्होंने उन हथियारों की लिस्ट जरूर दी है, जो उनके मुताबिक पहाड़ों के लिए उपयुक्त हैं और जिसे भारतीय सेना ने तैनात कर रखे हैं। उन्होंने लिखा है कि भारतीय सेना ने विदेशों से खरीदकर और घरेलू अनुसंधान और विकास के जरिए बड़ी मात्रा में पहाड़ों और पठारों में जंग करने लायक मुख्य युद्धक हथियारों से खुद को सुसज्जित कर रखा है।

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English summary
China's military expert admitted that the Indian Army is the world's most experienced on the mountain
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