'ब्रह्मपुत्र में जहर घोल रहा है चीन', असम सरकार ने IIT को भेजा पानी का सैंपल
आपको बता दें कि सियांग नदी दक्षिणी तिब्बत में निकलती है और अरुणाचल प्रदेश होते हुए असम में प्रवेश करती है।
नई दिल्ली। असम की लाइफलाइन कही जाने वाली सियांग (ब्रह्मपुत्र) नदी का पानी काला होता जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश से कांग्रेस सांसद निनॉंग एरिंग द्वारा मामला उठाए जाने के बाद असम सरकार की बीजेपी सरकार भी सियांग नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर गंभीर दिख रही है। शनिवार को असम सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का सैंपल जांच के लिए IICM हैदराबाद और IIT गुवाहाटी को भेजा है। सैंपल राज्य की फायर सर्विस डिपार्टमेंट ने 15 लोकेशंस से लिए है। ब्रह्मपुत्र नदी के पानी की जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाएगी। ब्रह्मपुत्र नदी के पानी काला होने के पीछे चीन का हाथ बताया जा रहा है।
कांग्रेस सांसद निनॉंग एरिंग ने पीएम मोदी को खत लिखा था
आपको बता दें कि सियांग नदी दक्षिणी तिब्बत में निकलती है और अरुणाचल प्रदेश होते हुए असम में प्रवेश करती है। हाल ही में कांग्रेस सांसद निनॉंग एरिंग ने पीएम मोदी को खत लिखा था और कहा था कि सर्दियों के महीने में ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का रंग बदलना असामान्य घटना है। उन्होंने कहा कि यह चीनी सरकार सियांग नदी (तिब्बत में सांगपो) को संभवतः मोड़ने के कारण यह हो सकता है। प्रधान मंत्री से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की मांग की थी। आपको बता दें कि एक लैब की रिपोर्ट में ब्रह्मपुत्र नदी के पानी में सीमेंट की मात्रा पाई गई थी।
अरुणाचल के सीएम ने भी चिंता जताई थी
ब्रह्मपुत्र नदी की हालत पर अरुणाचल के सीएम ने भी चिंता जताई थी। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार उपाय के लिए कहती है। इससे पहले असम सरकार ने पहले ही संदेह व्यक्त किया है कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी को दूषित कर रहा है। एक चैनल से खास बातचीत में असम स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि उनकी सरकार को डर है कि चीन या तो अपने क्षेत्र के तहत नदी पर कुछ बड़े निर्माण कार्य कर रहा है या ब्रह्मपुत्र नदी के जल को हटाने की कोशिश कर रहा है। इसके चलते नदी के पानी के रंग में असामान्य परिवर्तन आ रहा है।
जहरीले पानी से मर रही है मछलियां
सियांग नदी में बड़ी मात्रा में मछली की मौत की घटना हो रही है। इस मामले पर लोकसभा के सदस्य ने चिंता जताते हुए कहा कि वह ऊपरी सीमा से कूटिंग और गेलिंग जैसे ऊपरी सियांग से पुष्टि कर रहे हैं जो चीनी सीमा के करीब है कि गंदा पानी चीनी क्षेत्र से आ रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब हम सियांग नदी पर यहां बड़ी हाइड्रो परियोजना की स्थापना के खिलाफ लड़ रहे हैं, वहीं चीन ने पहले से ही बड़े बांध बना लिया है। जबकि अब इसे अपने वांछित स्थानों से हटाने की कोशिश भी कर रहा है। इससे पूरे सियांग व ब्रह्मपुत्र के आसपास के मानवीय जीवन संकट में पड़ सकता है।
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