असम की लाइफलाइन ब्रह्मपुत्र के पानी में जहर घोल रहा चीन, सामने आए कई सबूत
नई दिल्ली। असम की लाइफलाइन कही जाने वाली सियांग (ब्रह्मपुत्र) नदी का पानी काला हो गया है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इसके पीछे चीन का हाथ है। वहीं अंग्रेजी चैनल टाइम्स नाऊ ने ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का लैब टेस्ट रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है और पुष्टि की है कि इसके पीछे चीन की हर साजिश है। आपको बता दें कि सियांग नदी दक्षिणी तिब्बत में निकलती है और अरुणाचल प्रदेश होते हुए असम में प्रवेश करती है। हाला ही में कांग्रेस सांसद निनॉंग एरिंग ने पीएम मोदी को खत लिखा था और कहा था कि सर्दियों के महीने में ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का रंग बदलना असामान्य घटना है। उन्होंने कहा कि यह चीनी सरकार सियांग नदी (तिब्बत में सांगपो) को संभवतः मोड़ने के कारण यह हो सकता है। प्रधान मंत्री से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की मांग की थी।
पानी में मिली सीमेंट की मात्रा
लैब टेस्ट के लिए जो पानी लिया गया था उसमें सीमेंट की मात्रा पाई गई। ब्रह्मपुत्र नदी की हालत पर चिंता जताते हुए अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार उपाय के लिए कहती है। इससे पहले असम सरकार ने पहले ही संदेह व्यक्त किया है कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी को दूषित कर रहा है। चैनल से खास बातचीत में असम स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उनकी सरकार को डर है कि चीन या तो अपने क्षेत्र के तहत नदी पर कुछ बड़े निर्माण कार्य कर रहा है या ब्रह्मपुत्र नदी के जल को हटाने की कोशिश कर रहा है। इसके चलते नदी के पानी के रंग में असामान्य परिवर्तन आ रहा है।
भारत और बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन
शक्तिशाली सियांग नदी नवम्बर के महीने में गंदा होने का कोई अन्य कारण नहीं हो सकता है। यह चीनी क्षेत्र में नदी में बड़े स्तर पर खुदाई के कारण हुआ होगा। जिसे जमीनी वास्तविकता का पता लगाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए। यदि यह सच है तो यह भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन है।
जहरीले पानी से मर रही है मछलियां
सियांग नदी में बड़ी मात्रा में मछली की मौत की घटना हो रही है। इस मामले पर लोकसभा के सदस्य ने चिंता जताते हुए कहा कि वह ऊपरी सीमा से कूटिंग और गेलिंग जैसे ऊपरी सियांग से पुष्टि कर रहे हैं जो चीनी सीमा के करीब है कि गंदा पानी चीनी क्षेत्र से आ रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब हम सियांग नदी पर यहां बड़ी हाइड्रो परियोजना की स्थापना के खिलाफ लड़ रहे हैं, वहीं चीन ने पहले से ही बड़े बांध बना लिया है। जबकि अब इसे अपने वांछित स्थानों से हटाने की कोशिश भी कर रहा है। इससे पूरे सियांग व ब्रह्मपुत्र के आसपास के मानवीय जीवन संकट में पड़ सकता है।