चीन के कम लागत वाले सैटेलाइट पर इसरो ने दिया करारा जवाब
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच छिड़ी स्पेस वॉर में अब सस्ते सैटेलाइट को लेकर होड़ मची है। चीन ने एक दिन पहले ही कहा था कि वे अपने सैटेलाइट लॉन्च करने की दरों में कटौती करने जा रहे हैं इस पर इसरो ने कड़ा जवाब दिया है। इसरो ने कहा है कि अगर चीन अपने सैटेलाइट लॉन्च करने की दरो को कम कर सकता है, तो भारत भी तैयार है। चीनी एजेंसी ने मंगलवार को कहा था कि वे अपने सैटेलाइट में 5,000 डॉलर की दर से प्रति किलोग्राम के हिसाब से कम करने की योजना बना रही है।
नई तकनीक की लागत को भी कम करने का प्लान-इसरो
सैटेलाइट लॉन्च की लागत को कम करने को लेकर भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा कि वे ना सिर्फ इसकी लॉन्च लागत को कम करने जा रहे हैं, बल्कि नई तकनीक की लागत को भी कम करने पर काम किया जा रहा है। इसरो के मुताबिक, इस नई तकनीक में वर्तमान सैटेलाइट लॉन्च की लागत का 10वें भाग तक कम किए जाने की कोशिश की जा रही है।
इसरो ने अब तक 28 देशों के 209 छोटे-बड़े सैटेलाइट्स लॉन्च किए
चीन ने अपने सैटेलाइट लॉन्च की लागत में 5 हजार डॉलर तक कम करने की घोषणा के बाद इसरो के प्रवक्ता देवी प्रसाद कर्णिक ने कहा कि हम चीन की इस चुनौती से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इसरो ने अबतक कई देशों के सैटेलाइट काफी सस्ती दरों में सफलतापूर्व लॉन्च किए हैं। उन्होंने कहा कि अबतक हमने 28 देशों के 209 छोटे-बड़े सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं।
एक साथ 104 सैटेलाइट भेजने का रिकॉर्ड बना चुका है इसरो
इसरो की कम लागत और उच्च सफलता वाली सैटेलाइट मिसाइल लगातार विदेशी क्लाइंट को आकर्षित कर रही है। सब्सिडी के बाद एरियनस्पेस रॉकेट की लागत 100 मिलियन डॉलर है इसके लिए स्पेस एक्स 60 मिलियन डॉलर देता है। वहीं, इसरो ने 2013 से 2015 तक औसत 3 मिलियन डॉलर प्रति सैटेलाइट के हिसाब से दाम लगाए थे। इस साल फरवरी में इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट भेज कर रूस का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया था, जिसका जिक्र चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में भी हुआ था।
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