LAC-LoC और J&K में तबाही की जुगलबंदी, चीन-पाकिस्तान और अल बदर ने मिलाए हाथ
नई दिल्ली- अब लगभग ये बात पक्की हो गई है कि चीन ने भारत को तीन मोर्चे पर घेरने की तैयारी कर ली है। जो भी सूचनाएं मिल रही हैं, उससे जाहिर होता है कि पूर्वी लद्दाख की लड़ाई में चीन अकेले नहीं है। उसने उत्तरी लद्दाख के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली है और जम्मू-कश्मीर में दहशत फैलाने के लिए पाकिस्तानी आतंकी संगठन अल बदर के साथ बातचीत में लगा हुआ है। हम यहां जिन तथ्यों के साथ आए हैं, वह जानकर हर किसी को चौकन्ना हो जाना चाहिए कि चीन का मंसूबा कितना खतरनाक है। क्योंकि, बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान ने जितना फोर्स नियंत्रण रेखा पर नहीं भेजा था, उससे कहीं ज्यादा पाकिस्तानी सेना की तैनाती उसने उत्तरी लद्दाख के गिलगित-बाल्टिस्तान वाले इलाके में एलओसी पर कर दी है।
भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान और अल बदर ने मिलाए हाथ
खुफिया जानकारियों के मुताबिक जो संकेत मिल रहे हैं उससे यह साफ हो रहा है कि पूर्वी लद्दाख में चीन जितनी भी चालबाजियां कर रहा है, उसमें उसके साथ पाकिस्तान भी पूरी तरह से शामिल हो चुका है। इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान के इलाके में नियंत्रण रेखा के आसपास दो डिविजन जवानों की तैनाती कर रहा है। यही नहीं चीन के अधिकारी जम्मू-कश्मीर के अंदर हिंसा भड़काने के लिए लगभग मर चुके पाकिस्तानी आतंकी संगठन अल बदर के सरगनाओं से भी बातचीत करने में लगे हुए हैं। यानि भारतीय सेना को ड्रैगन का सामना सिर्फ पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो में ही नहीं करना है। उसे उत्तरी लद्दाख के पाकिस्तानी कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान से सटे नियंत्रण रेखा पर भी मोर्चा संभालना है और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खूनी इरादों को भी कुलचना है।
उत्तरी लद्दाख में एलओसी पर पाकिस्तान ने भेजे 20,000 जवान
हमनें पाकिस्तानी सेना के जिस दो डिविजन सैनिकों की बात कही है, वह करीब 20,000 सैनिकों की टुकड़ियां हैं, जो उत्तरी लद्दाख में एलओसी के पार पहले से ही तैनात पाकिस्तानी जवानों के अतिरिकत हैं। जबकि, चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी लगातार पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के उस पार अपनी सेना बढ़ाती जा रही है। भारत के दुश्मनों के इरादे कितने खतरनाक हैं, यह इसी से पता चल जाता है कि पाकिस्तान एलओसी पर अपनी सेना का जितना जमावड़ा कर रहा है, उतना उसने बालाकोट एयर स्ट्राइक के वक्त में भी नहीं किया था। इतना ही नहीं जानकारी के मुताबिक इलाके में पाकिस्तान के रडार भी पूरी तरह से ऑपरेशन में आ चुके हैं। जानकारों की मानें तो भारत के दोनों दुश्मन जिस तरीके से दो मोर्चे पर जंग छेड़ना चाहते हैं और कश्मीर में आतंकियों का इस्तेमाल करना चाहते हैं, वह सामरिक दृष्टिकोण से बहुत ही चुनौतीपूर्ण स्थिति साबित हो सकती है।
गिलगित-कारगिल-द्रास इलाके में 1999 में पिट चुका है पाकिस्तान
सूत्रों की मानें तो भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान और चीन के अधिकारी लगातार संपर्क में हैं। जाहिर है कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने चीनियों की नकेल जिस तरह से कस दिए हैं, उसी के चलते उसने उत्तरी लद्दाख में पाकिस्तान को अपनी गतिविधियां बढ़ाने को कह दिया है, ताकि भारत पर एक साथ दो मोर्चों पर लड़ने की चुनौती आ जाए। गौरतलब है कि जम्मू और कश्मीर के दो हिस्सों में विभाजन के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान संघ शासित प्रदेश लद्दाख में आ चुका है, लेकिन फिलहाल वो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। यह वही गिलगित-कारगिल-द्रास का इलाका है, जहां 1999 में भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों को मार-मार कर भगा चुकी है और अपने इलाके पर फिर से कब्जा किया है।
जम्मू-कश्मीर में हालात बदलने से बदले की ताक में पाकिस्तान
यही नहीं इंटेलिजेंस रिपोर्ट यह भी बता रही हैं कि चाइनीज कश्मीर में हिंसा के लिए कुख्यात रहे आतंकी संगठन अल बदर के सरगनाओं से भी कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो चीन इस संगठन को फिर से खड़े होने में मदद दे सकता है। सूत्र यह भी बताते हैं कि चीन और पाकिस्तान की साठगांठ का यह बहुत ही बड़ा संकेत है। क्योंकि, जब से जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 हटाया गया है और प्रदेश का दो हिस्सों में विभाजन हुआ है, पाकिस्तान बहुत ही ज्यादा बिलबिलाया हुआ है और ऊपर से भारत ने उसके भीतर घुसकर एयरस्ट्राइक करके उसकी औकात दिखा चुका है।
पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले इलाके के दम पर कूद रहा है ड्रैगन
गौरतलब है कि पिछले महीने की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के डीजी दिलबाग सिंह ने भी कहा था कि तबाह हो चुके आतंकी संगठन अल बदर के फिर से संगठित होने के संकेत मिल रहे हैं। जाहिर है कि ऐसे में एलएसी पर पूर्वी लद्दाख से लेकर उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के उस पार पीएलए का बढ़ता जमावड़ा भारत के लिए बहुत ज्यादा सतर्क रहने का संकेत है। गौरतलब है कि हाल ही में ऐसी खबरें आई थीं कि पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर के स्कार्दू एयरबेस पर चाइनीज रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट उतरा था। हाल में ड्रैगन ने जिस तरह से पूर्वी लद्दाख के उसपार वाले इलाके में जिस तरह से अपनी गतिविधि बढ़ाई है, उससे यह आशंका पैदा हो गई है कि कहीं पीएलए एयरपोर्स पाकिस्तानी कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान एयरबेस का इस्तेमाल तो नहीं कर रहा है। पिछले महीने स्कार्दू एयरबेस पर चाइनीज एयरफोर्स का IL 78 टैंकर उतरा था।