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Aksai chin है UT लद्दाख का हिस्सा, चीन को इसलिए लगी है मिर्ची

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बंगलुरू। संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित कर भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनने के भारत सरकार के फैसले का विरोध में पाकिस्तान में रोना जायज है, लेकिन चीन क्यों रो रहा है यह जानना अधिक दिलचस्प है। चीन और पाकिस्तान की दोस्ती की वजह भारतीय केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का विस्तार वाला हिस्सा है, जिसे अक्साई चिन कहा जाता है।

Amit Shah

अक्साई चिन पर अभी चीन का कब्जा है, जिसे एक संधि के जरिए उसने पाकिस्तान से ले लिया था। केंद्रशासित प्रदेश के रूप पुनर्गठन होने के बाद से लद्दाख और उसका विस्तार अक्साई चिन सीधे केंद्र सरकार की निगरानी में आ गया है, जिससे अक्साई चीन में चीन के मंसूबों को पलीता लग गया है।

गौरतलब है चीन के कब्जे में मौजूद अक्साई चिन इलाके में चीन ने प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रदेश के काश्गर विभाग के कार्गिलिक जिले का हिस्सा बनाया हुआ है और वर्ष 1950 पर अक्साई चिन और सीमावर्ती ट्रांस काराकोरम (शक्सगाम घाटी) पर कब्जे के बाद चीन हमेशा दावा करता आ रहा है कि अक्साई चिन शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा है।

Aksai chin

करीब 37 हजार 244 स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में फैले अक्साई चिन इलाके पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है, लेकिन भारत सरकार के फैसले से चीन घबरा गया है कि लद्दाख का विस्तार अक्साई चिन पर अब दिल्ली में बैठी सरकार की नज़र रहेगी। चीन इसलिए और घबड़ाया हुआ है, क्योंकि चीन ने अक्साई चीन इलाके पर काफी निवेश कर रहा है।

1950 के दशक के आख़िर में तिब्बत को अपने में मिलाने के बाद चीन ने अक्साई चिन के क़रीब 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर इलाक़ों को अपने अधिकार में कर लिया था। उक्त इलाक़े लद्दाख से जुड़े थे। चीन ने यहां नेशनल हाइवे 219 बनाया, जो उसके पूर्वी प्रांत शिन्जियांग को जोड़ता है।

Modi

भारत अक्साई चिन और 5000 किमी में फैले सीमावर्ती ट्रांस काराकोरम पर चीन का अवैध क़ब्ज़ा मानता है, लेकिन चीन अक्साई चिन के 38 हज़ार किलोमीटर पर अपने प्रभुत्व का दावा करता है। अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर के अलावा शक्सगाम घाटी के 5,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक इलाक़े पर भी चीन का नियंत्रण है।

उल्लेखनीय है काराकोरम पर्वतों से निकलने वाली शक्सगाम नदी के दोनों ओर फैले शक्सगाम वादी पर वर्ष 1948 में पाकिस्तान ने अपना क़ब्ज़ा जमा लिया था और वर्ष 1963 में एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने शक्सगाम घाटी को चीन को सौंप दिया। चूंकि तब यहां अंतरराष्ट्रीय सीमा निर्धारित नहीं थी, लिहाजा पाकिस्तान को चीन को सौंपने से कोई नुक़सान नहीं हुआ।

काराकोरम हाइवे से एकदूसरे के साथ व्यापार करते हैं चीन और पाक

आज चीन और पाकिस्तान शक्सगाम घाटी पर निर्मित काराकोरम हाइवे से एक दूसरे के साथ व्यापार करते हैं,जो पश्चिमी कश्मीर के ज़रिए दोनों देशों को जोड़ता है। यहीं पर चीन अरबों डॉलर खर्च करके आर्थिक गलियारे में मल्टीलेन एस्फाल्ट की सड़कें बना रहा ताकि पूरे साल आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।

हालांकि भारत सरकार के फैसले से चीन को डर सता रहा है कि काराकोरम हाइवे पर अरबों डालर खर्च करके बनाए जा रहे मल्टीलेन एस्फाल्ट की सड़क पर उसका निवेश खटाई पर पड़ सकता है, क्योंकि चीन को पता है केंद्रशासित प्रदेश बनने से लद्दाख क्षेत्र का पूरी निगरानी अब केंद्र सरकार करेगी।

चीन को यह भी आशंका है कि भारत सरकार अब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी गिलगित, बाल्टिस्तान और अक्साई चिन पर अपना दावा ठोक सकता है और पाकिस्तान से एक संधि के जरिए अक्साई चिन और सीमावर्ती ट्रांस काराकोरम पर उसका अवैध कब्जा मुश्किल में आ जाएगा।

Amit shah

अक्साई चिन जम्मू-कश्मीर के पूरे क्षेत्रफल का 15 फीसदी हिस्सा है। गृहमंत्री अमित शाह ने जब भारतीय संसद में अक्साई चीन को भारत का हिस्सा बताने और पीओके के लिए जान लगा देने की बात कहने के बाद चीन परेशान है, क्योंकि चीन हमेशा से ही दावा करता रहा है कि अक्साई चिन झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा है और जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने को अक्साई चिन और सीमावर्ती ट्रांस काराकोरम पर अपने अवैध कब्जे को चीन की संप्रुभता को खतरा बतलाया है जबकि वो अच्छी तरह से जानता है कि उसने जबरन अक्साई चिन पर कब्जा कर रखा है।

बंटवारे के बाद पाक का था अक्साई चिन का कब्जा

समुद्रतल से करीब 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अक्साई चिन एक साल्ट फ्लैट विशाल रेगिस्तान है, जिस पर पाकिस्तान ने वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद से कब्जा किया हुआ है। एक संधि के जरिए अक्साई चिन और सीमावर्ती ट्रांस काराकोरम को चीन को सौंपने के बाद मौजूदा पीओके वाले हिस्से को पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है, जिनमें गिलगित और बाल्टिस्तान का इलाका प्रमुख है।

सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं अक्साई चिन व पीओके

भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण गिलगित और बाल्टिस्तान पर शासन पाकिस्तान ही करता है। 8 114 वर्ग किमी में फैला पीओके में कश्मीरी मूल से अधिक पंजाब के नागरिक रहते हैं, जो पूरे कश्मीर का 30 हिस्सा है और सबसे बड़ी बात यह है कि तथाकथित आजाद कश्मीर में रह रहे लोग पाकिस्तान से अपनी आजादी के लिए पिछले कई दशकों से लड़ रहे हैं और पाकिस्तान के जुल्मों की कहानी भी बयां करते आ रहे हैं।

यह भी पढ़़ें-जम्मू-कश्मीर से क्यों अलग होना चाहते थे लेह के लोग: ग्राउंड रिपोर्ट

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English summary
After removal of article 370 and 35 A from Jammu-Kashmir china afraid with Aksai chin area which is illegally occupied with China,
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