अब समुद्र में हजारों भारतीयों की जॉब खा रहा है ड्रैगन, सीफेयरर संगठन ने सरकार को भेजा त्राहिमाम संदेश
नई दिल्ली, 25 जुलाई: मर्चेंट नेवी में काम करने वाले 21 हजार से ज्यादा भारतीयों की नौकरी चीन की वजह से खतरे में पड़ गई है। खबर है कि चीन ने भारतीय क्रू वाले जहाजों को अपने बंदरगाहों के इस्तेमाल करने पर अघोषित बैन लगा दिया है। चीन की ओर से विदेशी जहाज कंपनियों पर दबाव डाला जा रहा है कि वह चीन से माल ढुलाई करना चाहते हैं तो अपने जहाजों से भारतीय नाविकों को वापस भेज दें। चीन की इस हरकत के चलते भारतीय नाविक संगठनों में खलबली मची हुई है। वह सरकार से जल्द ही इसपर कोई ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
21,000 भारतीयों की जॉब खा रहा है ड्रैगन
चीन के एक अनाधिकारिक बैन से 21,000 से ज्यादा भारतीय नाविकों की नौकरी संकट में है। इसकी रक्षा के लिए ऑल इंडिया सीफेयरर एंड जेनरल वर्कर्स यूनियन ने केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, डायरेक्टर जनरल शिपिंग और विदेश मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक इंडियन सीफेयरर संगठन का कहना है कि चीन ने भारतीय नाविकों के चीन के समंदर में घुसने पर अनाधिकारिक तौर पर 'पाबंदी' लगा दी है, जिससे '21,000 भारतीय नाविकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है।'
भारतीय क्रू वाले दो जहाज को हफ्तेभर रोक चुका है चीन
संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अभिजीत सांगले ने अखबार से बातचीत में आरोप लगाया है कि 'हमारे नाविकों को अलग-थलग करके अपने नाविकों के लिए बेहतर मौके बनाने की यह चीन की चाल है। इस साल की शुरुआत में हमारे नाविकों को इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा था, जब चीन ने भारतीय चालक दल के साथ दो विदेशी जहाजों को अपने बंदरगाह पर जगह देने से इनकार कर दिया था। इसका नतीजा ये हुआ कि हमारे 40 सदस्यीय क्रू कई हफ्तों तक चीन में फंसे रहे।'
'वास्तव में यह चीन की 'गुंडागर्दी' है'
नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य कैप्टन संजय पाराशर ने अखबार से कहा है कि चीन अब अपनी शर्तें थोप रहा है। उनके मुताबिक, 'उसने विदेशी शिपिंग कंपनियों से कहा है कि वो चीन से तभी कार्गो उठा सकते हैं या अनलोड कर सकते हैं, जब वो यह शर्त मान लें कि चीन के समंदर में घुसना चाहते हैं तो भारतीय क्रू को नौकरी पर नहीं रखेंगे। इससे कॉमर्शियल लागत बढ़ जाती है। या तो आपको अपने जहाज को डायरवर्ट करना पड़ता है, जिससे ईंधन का खर्चा बढ़ जाता है या फिर इंडियन क्रू को बदलना होगा और इसपर भी बहुत ज्यादा खर्चा आता है। 5 सदस्यीय क्रू को बदलने का मतलब है 3,00,000 डॉलर से 5,00,000 डॉलर ज्यादा लागत।' उन्होंने कहा कि वास्तव में यह चीन की 'गुंडागर्दी' है। उनके मुताबिक इस मसले को सिर्फ राजनयिक तरीके से ही हल किया जा सकता है।
शिपिंग डीजी और विदेश मंत्रालय ने जानकारी से इनकार किया
हालांकि, जब अखबार ने डीजी शिपिंग अमिताभ कुमार से यूनियन के खत के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'हमें इस तरह के किसी प्रतिबंध के बारे में चीन की सरकार या विदेश मंत्रालय से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। हमारे आंकड़े उस तरह की स्थिति नहीं बता रहे (कि 21,000 से ज्यादा भारतीय नागरिकों की नौकरी पर संकट है)।' विदेश मंत्रालय के सूत्र के मुताबिक भी उन्हें इस तरह के किसी खत की जानकारी नहीं है।
'मार्च से ही ड्रैगन की शुरू हो चुकी है ये हरकत'
यूनाइटेड किंग्डम स्थित एक शिपिंग कंपनी के भारतीय ब्रांच के हेड कैप्टन राकेश कोएल्हो ने कहा है, 'भारतीय चालक दल के खिलाफ चीन की ओर से पाबंदियां मार्च से शुरू हुई है। लेकिन, कोविड की दूसरी लहर के बाद उसने अपना स्टैंड कठोर कर लिया है। वैसे चीन आधिकारिक तौर पर इसके बारे में कोई जवाब नहीं दे रहा है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट की वजह से भारतीय हाई रिस्क श्रेणी में हैं। लेकिन, यह बेकार की दलील है, क्योंकि डेल्टा केस अब कई देशों में पाए जा चुके हैं।'
चीन के दबाव में आ रही हैं कुछ विदेश कंपनियां!
खबरें हैं कि चीन के इस रवैए के बाद अमेरिका और यूके समेत कई पश्चिमी देश अभी भारतीय नाविकों को रखने से परहेज करने लगे हैं। इनकी जगह वो चीन, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों के क्रू को रखकर काम चलाना चाहते हैं, ताकि ड्रैगन अपने समंदर में कोई पंगा ना करे। बता दें कि पिछले दशकों में मर्चेंट नेवी के क्षेत्र में भारतीय युवाओं ने अपना डंका बजाकर दिखाया है। कोरोना महामारी से पहले तक भारत से हर साल करीब 2.40 लाख क्रू समंदर में सेलिंग के लिए निकलते थे, जिनमें करीब 30 हजार ही भारतीय जहाजों पर जाते थे। बाकी 2.10 लाख को तो विदेशी शिपिंग कंपनियों से ही बेहतरीन ऑफर मिलते थे। (तस्वीरें- फाइल)