राफेल पहुंचने की खबरों से घबराया चीन, पहली बार तिब्बत में तैनात किया 'उड़ता अस्पताल'
नई दिल्ली- चीन की सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें पहली बार चाइनीज आर्मी का 'उड़ता अस्पताल' माने जाने वाले वाई-9 विमान को तिब्बत के एक एयरबेस पर उतारा गया है। माना जा रहा है कि जब से चीन को यह भनक लगी है कि इसी महीने फ्रांस से पूरी तरह हथियारों से सुसज्जित राफेल विमान भारत पहुंच रहे हैं, उसकी नींदें उड़ी हुई हैं। इसलिए उसने एलएसी के उस पार तिब्बती के एयरबेस पर अपने जख्मी जवानों के फौरन इलाज करने और उसे शिंजिंग के अस्पताल तक पहुंचाने की ड्रिल शुरू कर दी है।
चीन ने तिब्बत में तैनात किया 'उड़ता अस्पताल'
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सेना के सूत्रों ने बताया है कि पीएलए पर्वतीय इलाकों में सैनिकों के लिए मेडिकल सपोर्ट बढ़ाने की मांग कर रही थी। इसी मांग के आधार पर अत्याधुनिक मेडिकल संसाधनों से लैस वाई-9 'फ्लाइंग हॉस्पिटल' को तिब्बत में एक बेस पर उतारा गया। ऐसा पहली बार हुआ है, जब तिब्बत के इस एयरबेस पर यह 'उड़ता अस्पताल' पहुंचा है। फिर इस एयरबेस से पहली बार एक घायल जवान को इसी उड़ते अस्पताल के जरिए पांच हजार किलोमीटर दूर जमीनी अस्पताल में शिफ्ट भी किया गया है। अखबार लिखता है कि एलएसी पर भारत के साथ जारी तनाव के बीच इस उड़ते अस्पताल को तिब्बत में तैनात करना अहम है, ताकि पीएलए के जवानों को मेडिकल सपोर्ट समय पर मिल सके।
पीएलए के एक जख्मी अफसर को दूसरे बड़े अस्पताल में शिफ्ट किया
बाद में पीएलए एयरफोर्स ने वीचैट पर घोषणा की है कि वेस्टर्न थिएटर कमांड से एक एविएशन टीम को वाई-9 मेडिकल एयरक्राफ्ट से बुरी तरह जख्मी एक ऑफिसर को 5,200 किलोमाटर दूर तिब्बत के बेस से शिंजिंग के अस्पताल तक लाने के लिए भेजा गया। इस बीच चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि झांग टाइटल वाला वह अफसर हाल में हुई एक ड्रिल के दौरान जख्मी हो गया था और उसकी हालत लगातार बिगड़ती ही जा रही थी। 5 सदस्यों वाली मेडिकल टीम ने बेहोश झांग की साढ़े चार घंटे की यात्रा में तबतक निगरानी की, जबतक वे सुरक्षित शिंजिंग अस्पताल नहीं पहुंच गए।
गलवान की मार से चीन ने ली सबक
बीजिंग स्थित सेना के एक सूत्र ने कहा है कि यह जहाज ऊंचाई वाले स्थानों पर पीएलए की जरूरत के मुताबिक उसे सपोर्ट देगा, खासकर भारत के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर। गौरतलब है कि चाइना सेंट्रल टीवी के मुताबिक इस उड़ते अस्पताल में एकबार में 30 घायल जवानों-अफसरों का एकसाथ इलाज चल सकता है। बता दें कि पिछले महीने 15 जून की रात गलवान वैली में चीन और भारतीय सेना के जवान भिड़े थे, जिनमें हताहत हुए चाइनीज सैनिकों की संख्या अभी तक चीन बता नहीं पाया है। वैसे अमेरिकी रिपोर्ट में यह संख्या 40 से ज्यादा बताई गई है। जबकि, उसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे और जो जख्मी थे, वे फिर से अपनी ड्यूटी पर लौट चुके हैं। यही वजह है कि चीन पहले से ही अपने सैनिकों के फौरन इलाज की व्यवस्था में जुट गया है।
सीमावर्ती इलाकों के अस्पतालों का भी इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है चीन
चाइनीज आर्मी के सूत्र ने नाम नहीं बताने की शर्त पर ये भी माना है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पर के आंकलन के बाद ही शी जिनपिंग सरकार ने तिब्बत में पीएलए लिए विशेष मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी की है। उसने कहा कि वाई-9 या उड़ता अस्पताल गंभीर रूप से जख्मियों को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वहीं हिमालय के सीमावर्ती इलाकों में मौजूद ज्यादातर स्थानीय अस्पतालों को हायपर बेरिक ऑक्सीजन चैंबर्स से लैस किया गया है। साथ ही इन अस्पतालों के भी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है।