Exclusive: भारत के साथ माइंड गेम खेल रहा है चीन, LAC पर युद्ध की न तो मंशा, न ही हिम्मत
नई दिल्ली। भारत और चीन की सीमा में पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी टकराव को अब पांच माह होने वाले हैं। किसी को भी नहीं समझ आ रहा है कब और कहां जाकर यह टकराव खत्म होगा। लद्दाख में अब सर्दियां शुरू होने वाली हैं और भारतीय सेना की तैयारियां भी पूरी हो गई हैं। सेना किसी भी स्थिति के लिए खुद को रेडी कर चुके हैं। किसी को भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर चीन, लद्दाख में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की आक्रामकता का प्रदर्शन करके आखिर क्या हासिल करना चाहता है? वनइंडिया हिंदी ने राजपूताना राइफल्स के साथ तैनात रहे कैप्टन (रिटायर्ड) जसदीप सिंह से पूरे संकट पर खास बातचीत की है और जाना कि आखिर चीन, लद्दाख में क्या साबित करना चाहता है।
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भारत के साथ चीन का साइकोलॉजिकल वॉर
कैप्टन जसदीप की आखिरी पोस्टिंग सिक्किम में थी और चीन बॉर्डर के करीब उन्होंने स्थितियों को काफी बेहतरी से परखा है। कैप्टन जसदीप कहते हैं, 'लद्दाख में स्थितियों को देखने के बाद यह साफ है कि चीन एक मनोवैज्ञानिक युद्ध भारत के साथ लड़ रहा है। वह दुनिया को खासतौर पर अपने पड़ोसियों जिसमें भारत सबसे ऊपर उन्हें दिखाना चाहता है कि उसकी क्षमताएं क्या है और वह क्या कर सकता है। भारत और अमेरिका इस लिहाज से उसकी लिस्ट में सबसे ऊपर हैं।' वह कहते हैं कि अपने वीडियोज को यू-ट्यूब पर डालकर या ग्लोबल टाइम्स पर रिलीज करके एक तरह से दुनिया के सामने शक्ति प्रदर्शन करने की मंशा रखता है। उनका कहना है कि चीन एलएसी पर इस समय दबाव की नीति अपना रहा है। वह पूरी दुनिया को बता रहा है कि उसके पास किस तरह की टेक्नोलॉजी है, तिब्बत में उसकी सेनाएं कितनी मजबूत हैं, उसके एयरक्राफ्ट कितने क्षमतावान है।
लद्दाख में 62 वाली गलती नहीं करेगा चीन
वह
कहते
हैं
कि
चीन,
भारत
और
अमेरिका
के
साथ
साइकोलॉजिकल
वॉर
को
अंजाम
दे
रहा
है।
उन्होंने
कहा
कि
गलवान
और
हेलमेट
टॉप
पर
पिछले
दिनों
में
जो
कुछ
हुआ
है,
उस
तरह
के
संघर्ष
हुए
हैं,
वो
आगे
भी
चलते
रहेंगे।
सेना
इसके
लिए
पूरी
तरह
से
तैयार
है।
चीन
यह
जानता
है
कि
भारत
के
साथ
युद्ध
इस
समय
चीन
के
हित
में
नहीं
हैं
क्योंकि
उसके
व्यवसायिक
हित
बहुत
हद
तक
दिल्ली
से
जुड़े
हैं।
कैप्टन
जसदीप
के
मुताबिक
चीन
यह
बात
भी
जानता
है
कि
अगर
उसने
लद्दाख
में
कुछ
भी
किया
तो
फिर
सिक्किम
में
एलएसी
पर
तैनात
जवान
उसके
लिए
मुश्किल
खड़ा
कर
सकते
हैं।
ऐसे
में
वह
लद्दाख
के
साथ
कोई
हरकत
करने
कीजुर्रत
नहीं
कर
सकता
है।
कैप्टन
जसदीप
की
आखिरी
पोस्टिंग
सिक्किम
में
ही
थी।
उनका
कहना
है
कि
चीन
अब
सन्
1962
वाली
गलती
नहीं
दोहराएगा।
कैप्टन
जसदीप
की
मानें
तो
भारतीय
सेना
के
जवान
चीन
की
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
जवानों
की
तुलना
में
शारीरिक
और
मानसिक
तौर
पर
काफी
मजबूत
हैं।
ऐसे
में
इन
साइकोलॉजिकल
वॉर
का
ज्यादा
असर
नहीं
पड़ेगा।
तेवरों के बाद बदली रणनीति
लद्दाख में पहले कभी भी सेना पूरे साल तैनात नहीं रहती थी। सर्दियों में कुछ जवानों को वहां पर तैनात रखा जाता था और ऑब्वजर्वेशन प्वाइंट्स पर हमेशा पेट्रोलिंग रहती थी। इसके अलावा इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) अक्सर पेट्रोलिंग करती रहती है। करीब 70 प्रतिशत जवान लद्दाख के कुछ खास हिस्सों में पूरे साल तैनात रहते थे। लेकिन अब फैसला लिया गया है कि सेना को अगले कुछ वर्षों तक पूरे साल तैनात रखा जाएगा। आईटीबीपी के जवान पूरे साल पेट्रोलिंग करते रहते हैं। कैप्टन जसदीप ने बताया कि इस नए संकट के बाद सेना को पूरे साल तैनात रखने का फैसला किया गया है। कैप्टन जसदीप की मानें तो भारत अब अपनी कोई पोस्ट फिलहाल खाली छोड़ने के मूड में नहीं है और हमेशा सेना की तैनाती रखी जाएगी।
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सियाचिन से अलग है लद्दाख
जब हमने उनसे पूछा कि लद्दाख की स्थितियां सियाचिन से कितनी अलग हैं? इस पर उन्होंने हमें बताया कि सेना हमेशा सियाचिन में पूरी तरह से मुस्तैद रहती हैं। वहां पर सब कुछ पूर्वनियोजित योजना के तहत होता है। लेकिन अगर लद्दाख से इसकी तुलना करें तो यह बात गौर करने वाली है कि लद्दाख में तापमान उतना नहीं गिरता है जितना कि सियाचिन में है। साथ ही अब लद्दाख में भी हर वह सुविधा मौजूद है और सेना के पास हर वो चीज इस समय मौजूद है जो उसे चाहिए। सियाचिन और लद्दाख में बड़ा अंतर यह है कि आप ग्लेशियर में मौसम की अधिकता की वजह से ज्यादा पेट्रोलिंग नहीं कर सकते हैं। लेकिन लद्दाख में ऐसा कुछ नहीं है। पेट्रोलिंग में ज्यादा मुश्किलें नहीं होती हैं। हालांकि लद्दाख में कुछ रास्ते ऐसे हैं जो काफी मुश्किल हैं।
इसलिए परेशान है चीन
कैप्टन जसदीप ने कहा, ' हमेशा से लद्दाख के कुछ हिस्सों को खाली ही छोड़ दिया गया था। पूर्व की सरकारों ने हमेशा इसके साथ एक ऐसे बच्चे की तरह बर्ताव किया जिसकी परवाह किसी को भी नहीं रही। कभी यहां पर इनफ्रास्ट्रक्चर पर कोई ध्यान नहीं दिया। साल 2014 के बाद से यहां पर स्थितियां बदली हैं। ' उन्होंने बताया कि चीन से सटे इलाकों के करीब सड़क और ब्रिज निर्माण कार्य तेजी से हो रहे हैं। दौलत बेग ओल्डी जो चीन के ठीक सामने है, वहां पर तेजी से होते निर्माण कार्यों से पीएलए घबराई है। उसे लगता है कि भारत अगर अक्साई चिन तक पहुंच गया तो फिर उसकी मुसीबतें बढ़ जाएंगी। चीन भारत की तरफ से तेजी से हो रहे निर्माण कार्यों से परेशान है। अक्साई चिन के अलावा वह तिब्बत को लेकर भी थोड़ा आशंकित है। भारत के खिलाफ उसकी बौखलाहट और घबराहट एलएसी पर महसूस की जा सकती है।