अलगाववाद की धमकी के बाद भारत को आर्थिक बदहाली की चेतावनी क्यों दे रहा है चीन
नई दिल्ली- चीन ने ताइवान के मसले पर पहले चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के मुखौटा अखबार ग्लोबल टाइम्स के जरिए भारत में अलगाववाद भड़काने की धमकी दी। अब उसी के जरिए उसने यह प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया है कि अगर भारतीय राजनेताओं ने ताइवान कार्ड खेलना जारी रखा तो भारतीय अर्थव्यस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। ग्लोबल टाइम्स ने भारत को धमकी भरे अंदाज में चेताया है कि अगर उसने ताइवान के बहाने चीन को चुनौती देने की कोशिश की तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यही नहीं चीन ने एक बार फिर से पूर्वी लद्दाख में तनाव के लिए भी भारत को ही जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की है।
ग्लोबल टाइम्स ने लद्दाख में तिब्बत की सीमा पर तनाव के लिए फिर से भारत को ही जिम्मेदार ठहराने की कोशिश करते हुए लिखा है कि ताइवान के साथ व्यापार बढ़ाने के मंसूबे को वह खूब बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश कर रहा है। चीन के सरकारी अखबार ने लिखा है कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इसपर एक आम सहमति है। हालांकि, ताइवान विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है, लेकिन चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले किसी भी देश के साथ यह कोई आधिकारिक कूटनीतिक समझौता नहीं कर सकता। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, 'महीनों पहले जब से सीमा विवाद शुरू हुआ है, भारत चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है और मोलभाव के हथकंडे अपनाना रहा है। साथ ही अमेरिका और दूसरों के साथ साझा सैन्य अभ्यास में भागीदारी कर रहा है या फिर चीन की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता घटनाने के लिए नई औद्योगिक श्रृंखला विकसित (ताइवान के साथ भी) करने की कोशिश कर रहा है।........हालांकि, ताइवान कार्ड खेलना और चीन के मूल हितों को नजरअंदाज करना अलग चीज है और इसके गंभीर परिणाम होंगे। '
चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ने भारत पर तंज भरे अंदाज में कहा है कि 'वह चीन की अर्थव्यवस्था पर अपनी निर्भरता कम करने के प्रयासों में जुटा हुआ है। लेकिन, इसे हासिल करना ना सिर्फ मुश्किल है, बल्कि कोविड-19 महामारी ने इसकी राह और मुश्किल कर दी है। भारत में 76 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमण के केस सामने आ चुके हैं, ऐसे में आर्थिक विकास की उसकी उम्मीदें अंधकारों में घिर चुकी हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी उसकी अर्थव्यवस्था को इस साल निगेटिव 10.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।'
'लेकिन, इसी दौरान भारत ने आर्थिक और व्यापारिक मोर्चे पर लगातार चीन से टकराने की कोशिश की है। उसने चीन से जाने वाले सामानों को क्लियरेंस देने में देर करने से लेकर चीन से होने वाले निवेशों की छानबीन बढ़ाने से लेकर, सैकड़ों चाइनीज ऐप्स को बंद कर दिया है।' इसके बाद अखबार ने धमकी भरे अंदाज में भारत को चेतावनी दी है कि यह सब करना अलग बात है, 'लेकिन, ताइवान कार्ड खेलना पूरी तरह से अलग मुद्दा होगा, क्योंकि यह चाइनीज रेड लाइन को क्रॉस करने जैसा है। राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा बरकरार को लेकर चीन का रुख पूरी तरह से साफ है।' ऐसा लिखते हुए ग्लोबल टाइम्स भारत को आगाह करने की कोशिश में कहता है, 'हालांकि, कुछ कट्टर नेता चीन का सामना करने के लिए लगातार ताइवान के इस्तेमाल की कोशिश कर रहे हैं, मोदी प्रशासन को चीन-भारत संबंधों को जोखिम में डालने से बचने के लिए तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।'
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही ग्लोबल टाइम्स ने एक अलग लेख के जरिए भारत को धमकाया था कि अगर उसने ताइवान से ज्यादा तालमेल बढ़ाने की कोशिश की तो वह भारत में अलगवावादी ताकतों को भड़काकर उसे अस्थिर करने की कोशिश करेगा। तब उसका गुस्सा भारत की मीडिया पर था, जिसने ताइवान के राष्ट्रीय दिवस को कवरेज देकर शी जिनपिंग की सरकार को मिर्ची लगा दी थी। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था, 'ताइवान की पृथकतावादी ताकतें और भारतीय अलगाववादी एक ही श्रेणी के हैं। अगर भारत ताइवान कार्ड खेलता है, तो उसे पता होना चाहिए कि चीन भी भारत में अलगाववादी कार्ड खेल सकता है।'
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