चीन अब भारतीय निर्यातकों पर निकाल रहा है अपना गुस्सा, चीनी बंदरगाहों पर फंसे सैकड़ों शिपमेंट
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर हुए हुए झड़प के बाद भारत में चीनी सामानों के पूर्ण बहिष्कार की मुहिम चल रही है, जिससे चीन और भारत का व्यापार बाधित हुआ है। इस बीच भारतीय निर्यातकों ने चीन में अपने खेपों के अटकाने की शिकायत दर्ज कराई। कथित तौर पर चीन के कई बंदरगाहों पर भारतीय निर्यातकों के शिपमेंट में अवरोध पैदा कर रहा है, यही नहीं, भारतीय निर्यातकों ने अपने शिपमेंट के साथ पड़ोसी देश में समान समस्याओं की सूचना दे रहे हैं।
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गौरतलब है वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को हाल ही के एक नोट में निर्यात संवर्धन परिषदों का सर्वोच्च निकाय फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) ने कहा है कि पिछले कुछ समय से हांगकांग और चीनी कस्टम भारत से निर्यात खेप वापस ले रहे थे। यह ऐसे समय में आया है जब इस महीने की शुरुआत में भारत और चीन के बीच लद्दाख में अपने सैनिकों के बीच घातक संघर्ष के बाद संबंधों में खटास आ गई थी।
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एफआईईओ के अनुसार कुछ निर्यातकों ने चीन के लिए अपने शिपमेंट के साथ मुश्किलों का सामना करने की सूचना दी है। एक निर्यातक ने कहा कि चीन और हांगकांग में क्लीयरेंस के लिए ढेर सारे शिपमेंट में कार्बनिक रसायन शामिल हैं। हमें पता चला है कि कस्टम चीन से सभी आयातों की फिजिकली जांच कर रहे हैं, जिससे शिपमेंट की निकासी में देरी हो रही है।
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उन्होंने बताया कि इसमें आयात की लागत को भी जोड़ा जा रहा है, जबकि हमें इस बारे कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई, लेकिन इस बारे में कई अखबारों ने भी लिखा है कि फिजिकल जांच शिपमेंट की निकासी में देरी की प्रमुख वजह है। कुछ निर्यातकों ने सूचित किया है कि इस तरह की कार्रवाई के जवाब में हांगकांग और चीनी कस्टम भी भारत से निर्यात खेप वापस ले रहे हैं।
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निकाय ने मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के साथ भारत में बंदरगाहों पर देरी की मंजूरी का मामला उठाए और यदि कोई निर्देश सीमा शुल्क अधिकारियों को नहीं दिए गए थे, तो इसे अस्वीकार कर दें। सीबीआईसी के अध्यक्ष एम अजीत कुमार ने कहा कि विभाग मंजूरी के लिए कम समय लगे, इसको सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है, ताकि कीमतें कम हों और सामान अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनें।
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उन्होंने आगे कहा कि जब तक हम यह सुनिश्चित नहीं करते हैं कि आपकी कीमतें कम हो और मंजूरी के लिए लिया गया समय कम हो गया है, यह वास्तव में हमारी मदद नहीं करता है। आपके इस प्रयास में हम वास्तव में आपके सहयोगी हैं। हम यहां केवल टैक्स कलेक्टर के रूप में नहीं हैं, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपका समय और मूल्य दोनों कम हो, आप अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत प्रतिस्पर्धी बन पाएं।
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एक निर्यातक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या यह प्रतिशोधात्मक कार्रवाई है, लेकिन यहां निर्यातकों की एक छोटी संख्या वाले खेप वहां पर बंदरगाहों पर रखे हुए है। इस बीच, कुछ कंपनियों ने भारत के लिए चीन से शिपमेंट लेना बंद कर दिया है। जर्मन एक्सप्रेस सेवा कंपनी की भारतीय शाखा डीएचएल एक्सप्रेस इंडिया ने एक बयान में कहा कि वे अगले 10 दिनों के लिए चीन, हांगकांग और मकाऊ से आयात शिपमेंट को अस्थायी रूप से निलंबित कर रहे हैं।
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उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ दिनों से हम भारत के सभी बंदरगाहों में चीन, हांगकांग और मकाओ से होने वाले शिपमेंट के लिए कस्टम निकासी में एक गंभीर अंतराल देख रहे हैं। इसने देश भर में हमारे निकासी बंदरगाहों में बेकाबू कतार, भीड़ और लदान की देरी को जन्म दिया है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दुनिया भर के अन्य देशों से आने वाले शिपमेंट इस भीड़ से प्रभावित न हों। इसलिए तत्काल प्रभाव से हम अगले 10 दिनों के लिए चीन, हांगकांग और मकाओ से आयात शिपमेंट को अस्थायी रूप से निलंबित कर देंगे।
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