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माओत्से तुंग की योजना पर आगे बढ़ रहा है चीन, 'हथेली के बाद पांचों उंगलियां' पर कब्जे की खौफनाक रणनीति समझिए

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नई दिल्ली- लद्दाख की गलवान घाटी में चीन ने जिस तरह से भारतीय सैनिकों के साथ खूनी भिड़ंत की, उस योजना पर चीन ने भले ही अभी अमल किया हो, लेकिन इसकी रणनीति चीन के संस्थापक माओत्से तुंग ही बनाकर गया था। यह दावा किसी और ने नहीं, बल्कि चीन की विस्तारवादी आक्रमक मानसिकता के सबसे बड़े गवाह तिब्बत की निर्वासित सरकार के मुखिया ने किया है। चीन ने गलवान घाटी में बातचीत करने गए भारतीय सैनिकों पर अचानक हमला करने के बाद दलील दी है कि असल में पूरी गलवान घाटी पर तो उसका स्वामित्व है। जबकि चीन ने इस घाटी को लेकर हाल-फिलहाल में ऐसा सीधा दावा कभी नहीं किया था। फिर ऐसा क्या हुआ कि उसने अचानक भारतीय हिस्से को अपना बताना शुरू कर दिया है। चीन की बदली जुबान के बाद तिब्बत की निर्वासित सरकार के मुखिया ने भारत को साफ-साफ आगाह कर दिया है कि भारत 'न भूले कि तिब्बत के साथ क्या हुआ था।'

'हथेली के बाद पांचों उंगलियां' की खौफनाक योजना

'हथेली के बाद पांचों उंगलियां' की खौफनाक योजना

लद्दाख में चीन ने जो हरकत की है, उससे तिब्बत की निर्वासित सरकार के भी कान खड़े हो गए हैं। उसके सामने वहीं मंजर है, जिसकी वजह से आज उन्हें भारत में शरण लेकर निर्वासितों का जीवन जीना पड़ रहा है। इसके बारे में सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन के प्रेसिडेंट लोबसैंग सैंगे ने सीएनएन-न्यूज18 से बातचीत में जो कुछ दावा किया है, उससे चीन के असल इरादे का पता चलता है। उन्होंने भारत को चेतावनी दी है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन ने हाल में जिस तरह की कार्रवाई की है, असल में वह उसकी 'तिब्बत की पांचों उंगलियां' वाली रणनीति का एक हिस्सा मात्र है, जो पीपुल्स रिब्लिक ऑफ चाइना के संस्थापक माओ जेडोंग या माओत्से तुंग ही तय करके गया था। लोबसैंग के मुताबिक, 'जब तिब्बत पर कब्जा किया गया था, तब माओ जेडोंग और दूसरे चीनी नेताओं ने कहा, "तिब्बत तो हथेली है जिसे तो हमें कब्जा करके रखना ही है, उसके बाद हम पांचों उंगलियों के लिए आगे बढ़ेंगे।" पहली उंगली लद्दाख है। बाकी चार हैं- नेपाल, भूटान, सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश। '

नेपाल और भूटान पर भी चीन की नजर-लोबसैंग सैंगे

नेपाल और भूटान पर भी चीन की नजर-लोबसैंग सैंगे

उन्होंने कहा है कि 2017 में सिक्किम के डोकलाम में जो कुछ भी हुआ था और अब जो लद्दाख में संघर्ष की स्थिति पैदा की गई है, वह सारी उसी रणनीति का ही हिस्सा है। उनके मुताबिक तिब्बत के नेता पिछले 60 वर्षों से भारत को यही चेतावनी देते आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि, 'नेपाल और भूटान और अरुणाचल प्रदेश (भारतीय राज्य) पर भी दावा है।' दरअसल, 1962 के युद्ध के बाद गलवान वैली पर अपनी संप्रभुता का दावा जताकर चीन ने इस शांत इलाके को भी विवाद की वजह बना दिया है। गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि 'भारत को मौजूदा हालातों को गलत तरीके से नहीं समझना चाहिए या चीन को कम करके नहीं आंकना चाहिए, चीन अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की सुरक्षा करना जानता है।' जबकि, भारत के लिए यह इलाका सामरिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि, यह भारत के दारबुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्‍डी रोड के पास है जो लेह को काराकोरम दर्रे से जोड़ता है। चीन का यह बयान भारतीय विदेश मंत्रालय के उस बयान के बाद आया है, जिसमें भारत ने चीन के बारे में कहा था कि वह बढ़ा-चढ़ाकर और अपुष्ट दावे कर रहा है।

वो पांचों उंगलियों की ओर बढ़ रहे हैं- तिब्बत के मुख्य प्रशासक

वो पांचों उंगलियों की ओर बढ़ रहे हैं- तिब्बत के मुख्य प्रशासक

तिब्बती नेता ने भारत को चीन की लीडरशिप के प्रति बहुत ही ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है, 'जबतक आप यह नहीं जानेंगे कि तिब्बत के साथ क्या हुआ, आप चाइनीज लीडरशिप की माइंडसेट और उनकी रणनीति को पूरी तरह से समझ ही नहीं पाएंगे। इसलिए, हथेली उनके पास है और अब वे पांचों उंगलियों की ओर बढ़ रहे हैं। 'गलवान घाटी के खूनी संघर्ष पर चिंता जताते हुए कहा कि ज्यादातर मामलों में सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ की घटनाए चीन की ओर से ही हो रही हैं। उन्होंने भारत को सलाह दी है कि ,'बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। यह कहते हुए भारत के अपने क्षेत्र और संप्रभुता की रक्षा करने का पूरा अधिकार है। चीन की रणनीति कैरेट और स्टिक वाली होती है। भारत को भी वही रणनीति अपनानी चाहिए, लेकिन कभी भी पहले कार्रवाई या अतिक्रमण नहीं करना चाहिए।'

जो तिब्बत के साथ हुआ, वो आपके साथ भी हो सकता है- लोबसैंग सैंगे

जो तिब्बत के साथ हुआ, वो आपके साथ भी हो सकता है- लोबसैंग सैंगे

जब लोबसैंग सैंगे से यह सवाल हुआ कि इस मामले पर दलाई लामा क्यों चुप हैं तो उन्होंने बताया कि, 'परम पूज्य दलाई लामा भारत के लिए 60 वर्षों से बोल रहे हैं। 2011 से उन्होंने अपना राजनीतिक प्राधिकार चुने हुए पद के हवाले कर दिया, जो कि अभी मेरे पास है। ' उन्होंने यह भी कहा कि, 'उन्होंने मठ और राज्य-प्रशासन के विषयों को अलग कर दिया है, इसलिए तिब्बत और राजनीतिक और प्रशासनिक मामलों पर बोलने की जिम्मेदारी मेरी है। यही वजह है कि मैं यहां हिंसा की निंदा कर रहा हूं और भारत को और पड़ोसी देशों को चेतावनी दे रहा हूं कि जो तिब्बत के साथ हुआ वह आपके साथ भी हो सकता है।'

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English summary
China is moving ahead on Maotse Tung's creepy plan, understand the strategy of '5 fingers after palm'
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