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वैश्विक एकजुटता से भारत के सामने घुटने टेकने को मजबूर है चीन, इन हरकतों से समझें हकीकत?

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बेंगलुरू। एशिया की महाशक्ति में शुमार में चीन अपने पड़ोसी देशों की जमीनी, सामुद्रिक और आकाशीय सरहदों में अवैध कब्जे की रणनीति बनाना उसकी पुरानी रवायत है और अपनी इसी विस्तारवादी नीति के चलते चीन भारत समेत सभी देशों की आंखों की किरकिरी बना हुआ था, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के जन्मदाता चीन ने वायरस से जुड़ी तथ्यों को छिपाकर अब पूरी दुनिया का दुश्मन बना लिया है, जिसका खामियाजा ही कहेंगे कि चीन को लचीला रूख अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

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चीन ने डोकलाम के बाद भारत के साथ दोबारा संघर्ष को जन्म दिया

चीन ने डोकलाम के बाद भारत के साथ दोबारा संघर्ष को जन्म दिया

पूर्वी लद्दाख में एलएसी के निकट भारत द्वारा सड़क निर्माण पर एतराज जताकर चीन ने डोकलाम के बाद दोबारा संघर्ष को जन्म दिया, लेकिन उसकी हेकड़ी तब टूट गई जब भारतीयों सैनिकों ने चीनी सैनिकों को मुंह तोड़ जवाब देते हुए उसके 43 से अधिक सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। चीन जवाबी कार्रवाई चाहकर भी नहीं कर सका, क्योंकि रूस और अमेरिका समेत पूरा यूरोपियन चीन के खिलाफ और भारत के साथ प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से खड़ा था। पूर्वी लद्दाख में चीनी-भारतीय सैनिकों के बीच झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद भारत ने चीन से व्यापारिक रिश्ते तोड़ दिए।

निर्यात पर केंद्रित चीनी अर्थव्यस्था को झटका लगना तय था

निर्यात पर केंद्रित चीनी अर्थव्यस्था को झटका लगना तय था

भारत सरकार द्वारा चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों तोड़ने से निर्यात पर केंद्रित चीनी अर्थव्यस्था को झटका लगना तय था। चीन भारत के एक बड़े कंज्यूमर मार्केट में अपने चीन उत्पादों की एक खपत भेजता है। भारत सरकार ने चीनी सामनों के आयातों पर प्रतिबंधित करने के लिए आत्म निर्भर अभियान का नारा दिया। साथ ही, चीनी आयातित मालों पर शुल्क बढ़ा दिए, ताकि चीनी सामानों के आयात पर निर्भरता कम की जा सके। भारत सरकार ने चीनी मोबाइल एप्स को प्रतिबंधित करने की घोषणा की तो चीन बिलबिला उठा।

कोरोना महामारी फैलाने के आरोप से चीन चारों ओर से घिरा हुआ है चीन

कोरोना महामारी फैलाने के आरोप से चीन चारों ओर से घिरा हुआ है चीन

एक ओर कोरोनावायरम महामारी फैलाने के आरोप से चीन चारों ओर घिरा हुआ था, तो दूसरी ओर निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था पर लगी चोट से चीन के बर्दाश्त के बाहर हो गया, क्योकि चीनी अर्थव्यवस्था भी कोरोना काल में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं, जिससे उबरने के लिए उसे निर्यात को बढ़ाना था, लेकिन प्रोडक्शन के बाद तैयार हुए चीनी मालों पर कोरोना महामारी से लगा ब्रेक थोड़ा हटा तो पूर्वी लद्दाख में उसकी नाजायज हरकतों ने चीनी उत्पादों को गोदामों से बाहर नहीं निकलने दिया, जिससे चीन की हालत पतली हो गई है।

भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों की बहाली के लिए विनती करनी पड़ी

भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों की बहाली के लिए विनती करनी पड़ी

यही कारण है कि चीन को भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों की बहाली के लिए विनती भी चेतावनी लब्ज में देनी पड़ी। भारत द्वारा लगातार चीनी सामनों के आयातों पर प्रतिबंध लगाने से तिलमिलाए चीन ने एक बयान जारी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था से चीन की अर्थव्यवस्था को अलग करने की कोशिश ना करे और अगर भारत ऐसा करता है तो दोनों देशों को ही नुकसान होगा। चीन ने आगे कहा कि चीन भारत के लिए रणनीतिक रूप से कोई खतरा नहीं है और दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है।

भारत- चीन की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे में गुथी हुई हैंः चीनी राजदूत

भारत- चीन की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे में गुथी हुई हैंः चीनी राजदूत

भारत में चीनी राजदूत सुन वेडोंग ने जारी एक बयान में कहना पड़ा कि भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे में गुथी हुई और एक दूसरे पर आश्रित हैं और इन दोनों को जबरन अलग करने से सबका नुकसान ही होगा। यहां चीन भारत के बहाने अपनी अंतर्व्यथा सुना रहा था कि कैसे चीन के खिलाफ उठाए गए कदमों से चीन को नुकसान उठाना पड़ रहा है। वेडोंग आगे कहते हैं, चीन भारत के लिए "सामरिक खतरा" नहीं है और दोनों देश एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते, इस ढांचे में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

चीन की हेकड़ी को तोड़ने के लिए सबसे बड़ा हथियार है व्यापारिक प्रतिबंध

चीन की हेकड़ी को तोड़ने के लिए सबसे बड़ा हथियार है व्यापारिक प्रतिबंध

चीनी राजदूत सुन वेडोंग का यह बयान उस चीन की हेकड़ी के टूटने की आवाज को सुनाई देती है, जिसके नशे में वह अपने हरेक पड़ोसी को न केवल डराता आया है, बल्कि हथियाता आया है। दक्षिणी चीन सागर इसका बड़ा उदाहरण है, जिस पर चीन अपना एक छत्र राज चाहता है। उसने उन तमाम दक्षिण एशियाई राष्ट्रों को किनारे लगा दिया, जिनका दक्षिणी चीन सागर पर हक था अथवा जो हक जता रहे थे। चीन की हेकड़ी को तोड़ने के लिए सबसे बड़ा हथियार चीनी सामानों के आयात पर प्रतिबंध से समझा जा सकता है।

पाक प्रायोजित आतंकवाद का अंध समर्थन करने से भी नहीं चूकता है चीन

पाक प्रायोजित आतंकवाद का अंध समर्थन करने से भी नहीं चूकता है चीन

चीन इसी हेकड़ी में पड़ोसी देश पाकिस्तान आतंकवाद को प्रश्रय देती आई है और पाक प्रायोजित आतंकवाद का अंध समर्थन करने से भी नहीं चूकती है। चीन ने कई बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर जैसे कुख्यात आतंकवादी को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा चुका है। सुरक्षा परिषद के 13 सदस्यों के प्रस्ताव पर चीन के वीटो के कारण एक बार फिर मसूद अजहर अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित नहीं हो सका।

पूरा विश्व एकजुट होकर अब चीन को सबक सिखाना चाहता है

पूरा विश्व एकजुट होकर अब चीन को सबक सिखाना चाहता है

आतंकवाद के खिलाफ चीन के इस व्यवहार से भारत ही नहीं, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के कई देश खुश नहीं थे और कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद अब पूरा विश्व चीन के खिलाफ एकजुट होकर उसे सबक सिखाना चाहता है। यह सर्वविदित सत्य मान लिया गया है कि अगर चीन को सबक सिखाना है तो उसके खिलाफ कूटनीतिक से लेकर आर्थिक कदम तक उठाने होंगे। इसकी शुरूआत भारत द्वारा लगाए गए चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध से हो गुई है और अब अमेरिका भी चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कमर कस चुकी है, जिसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है।

भारी सब्सिडी के कारण चीन ने दुनिया के बाजारों पर कब्जा कर रखा है

भारी सब्सिडी के कारण चीन ने दुनिया के बाजारों पर कब्जा कर रखा है

चीनी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से दूसरे देशों में किए जाने वाले निर्यातों पर निर्भर है, क्योंकि भारी सब्सिडी के कारण उसने दुनिया के बाजारों पर कब्जा जमा रखा है। चीन के सस्ते विनिर्माण उत्पादों से पूरी दुनिया का विनिर्माण मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भारी नुकसान हुआ। इसके प्रभाव से भारत भला कैसे वंचित रह सकता है।

कई मुल्कों में बेरोजगारी बढ़ने का मुख्य कारण चीन है

कई मुल्कों में बेरोजगारी बढ़ने का मुख्य कारण चीन है

पिछले कुछ समय से अमेरिका ने चीन से आने वाले साजो-सामान पर आयात शुल्क बढ़ा दिए हैं, जिसके कारण चीन के निर्यातों पर भारी प्रभाव पड़ा है। अमेरिका चीन के सामान का सबसे बड़ा बाजार है और उसे चीन से 419 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है। भारत भी चीन के सामान का एक बड़ा बाजार है और चीन भारत में लगभग 76 अरब डॉलर का सामान निर्यात करता है और चीन से हमारा व्यापार घाटा 63 अरब डॉलर है।

वर्तमान में पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ माहौल है

वर्तमान में पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ माहौल है

चीन को उसके कुकृत्य की सजा देने का वक्त दुनिया के पास नहीं हो सकता है। व्यापारिक प्रतिबंधों के साथ ही भारत को अब चीन के खिलाफ और कठोर कदम उठाने से चीन का टूटना जारी रह सकता है, क्योंकि चीन जितना टूटेगा, भारत उतना ही आत्मनिर्भर और ताकतवर होगा। अगली कड़ी के रूप में भारत सरकार चीन से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन' (एमएफएन) का दर्जा भी वापस ले लेना चाहिए।

कार्रवाई से चीनी सामानों के आयात पर असर देखा गया है

कार्रवाई से चीनी सामानों के आयात पर असर देखा गया है

भारत ने वर्ष 2018 के बजट में चीनी सामान पर आयात शुल्क बढ़ाए गए थे, जिससे छह माह में ही चीनी आयात 2.5 अरब डॉलर कम हो गया था। भारत सरकार द्वारा लगातार तीन बार चीन से आने वाले सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने से चीनी उत्पाद, जिसमें वस्त्र और कई गैर जरूरी चीनी आयातों पर असर पड़ा है। डब्लूटीओ समझौते के अनुसार जो आयात शुल्क लगाया जा सकता है, उससे भी कम शुल्क चीनी सामानों पर लगाया जाता है। चीनी सामानों के आयात को कम करने के लिए अगर भारत सरकार को शुल्क बढ़ा दे, तो चीन की हेकड़ी का कचूमड़ बनना तय है।

आर्थिक मोर्चे पर काफी जूझ रहा है चीन

आर्थिक मोर्चे पर काफी जूझ रहा है चीन

चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुए ट्रेड वार के चलते अमेरिका ने चीन से आने वाली तमाम वस्तुओं पर आयात शुल्क में खासी वृद्धि की है, जिसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। हालांकि चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के अपने साइड इफैक्ट है, क्योंकि सस्ते उत्पादों पर निर्भऱता और अतिशीघ्र ऐसे उत्पादों पर आत्मनिर्भरता टेढ़ी खीर साबित है, लेकिन सस्ती सामानों के लिए संप्रभुता और सम्मान को गिरवी नहीं रखी जा सकती है और अगर इससे चीन की हेकड़ी टूटती है, तो पूरी दुनिया का भविष्य बेहतर होगा।

टेलीकॉम क्षेत्र में चीनी कंपनियों को खिलाफ शुरू हुआ मुहिम

टेलीकॉम क्षेत्र में चीनी कंपनियों को खिलाफ शुरू हुआ मुहिम

चीनी सामानों के खिलाफ शुरू हुई मुहिम आगे बढ़कर चीनी कंपनियों के साथ हुए करारों तक जा पहुंची है, जिसकी तपन चीन कंपनियां भारत में ही नहीं, अमेरिका और यूरोप में महसूस कर रही है। अमेरिकी और यूरो में चीनी टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू किया। चीन के खिलाफ यह कार्रवाई चीन के सब्सडाईज्ड उत्पादों के साथ चीनी हरकतों से निपटने के लिए भी किया गया। चीन पर आरोप है कि वह चीनी कंपनियों के जरिए खुफिया जानकारियां चीन तक पहुंचाती हैं। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से भी चीन के रक्षा और टेलीकॉम उपकरणों पर भी प्रतिबंध लगा रहे हैं।

एलएससी पर गतिरोध प्वाइंट से ऐसे नहीं है हटा है चीन

एलएससी पर गतिरोध प्वाइंट से ऐसे नहीं है हटा है चीन

पूर्वी लद्दाख में एलएसी के निकट गलवान घाटी में भारत और चीन सैनिकों के बीच गतिरोध करीब तीन महीने तक चला। इस बीच चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प भी हुई, जिसमें दोनों ओर के सैनिक हताहत हुए, लेकिन पूरी दुनिया की निगाहों में किरकिरी बने हुए चीन को अंततः चीनी सैनिकों को पेट्रोल पॉइंट 14 से 1.5-2 किमी पीछे हटना पड़ गया। चीन अपनी फितरत से मजबूर है, लेकिन चीन की हेकड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थोड़ी टूटी जरूर है।

भारत ने चीन के खिलाफ आक्रामक रूख बनाए रखी है

भारत ने चीन के खिलाफ आक्रामक रूख बनाए रखी है

एक तरफ लद्दाख में जहां भारत ने बड़ी संख्या में जवानों को तैनात कर रखा है। वहीं, चीन से लगती सीमा पर ITBP से लेकर सेना के जवान चीनी फितरतों का जवाब देने के लिए भारत सरकार ने तैयार रखा है, क्योंकि इससे पहले 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भी गलवान घाटी से सैनिकों के हटाने के बाद चीन ने नेहरु से दोस्ती के बावजूद भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और भारत 200 सैनिकों को अपनी शहादत देनी पड़ी थी।

प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का लेह का दौरा

प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का लेह का दौरा

एलएली पर युद्ध जैसी स्थिति के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लेह-लद्दाख में दौरान करना चीन को बताने के लिए काफी है कि वर्तमान का भारत 1962 से कितना कितना बदल चुका है और वह पलटकर जवाब ही नहीं, घुटने भी टेकने के लिए मजबूर कर सकता है और चीनी राजूदत के बाद नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली का हालिया बयान इसकी तस्दीक करते हैं, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्तों पर एशिया का भविष्य निर्भर तय करता है।

पहले से डूब रही चीन अर्थव्यस्था का मटियामेट होना तय है

पहले से डूब रही चीन अर्थव्यस्था का मटियामेट होना तय है

भारत को संयुक्त राष्ट्र के अन्य स्थायी सदस्यों- अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस के साथ मिलकर चीन को सुरक्षा परिषद से बाहर करने की कवायद भी शुरू करनी चाहिए। साथ ही, आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के साथ खड़े चीन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तिरस्कृत भी किया जाना चाहिए, जिससे पूरी तरह से अलग-थलग किया जा सके। चीनी सामानों और चीन करारों के निरस्तीकरण से चीन को अच्छी चोट पहुंचाई जा रही है, जिससे पहले से डूब रही चीन अर्थव्यस्था का मिटियामेट होना तय है।

वर्ष 2017 में चीन ने डोकलाम में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ

वर्ष 2017 में चीन ने डोकलाम में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ

वर्ष 2017 में चीन ने एलएसी का सम्मान नहीं किया और धोखेबाजी करते हुए सीमा पर तनाव बढ़ा दिया था। डोकलाम में चीन सैनिकों ने की घुसपैठ की कोशिश की, जिसके चलते करीब 73 दिन तनाव रहा। यह अलग बात है कि चीन को घुटने टेकने पड़े और डोकलम से सैनिकों को हटाना पड़ गया।

चीन की फितरत कभी भी बदल सकती है

चीन की फितरत कभी भी बदल सकती है

वर्ष 2014 में भारत में सत्ता परिवर्तन के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछले 6 सालों में करीब 18 बार मुलाकात हो चुकी है। कई बार दोनों नेताओं के बीच वन टू वन की मुलाकात हुई है तो कई बार महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। हर मुलाकात में चीन शांति का राग ही अलापता नजर आता है, लेकिन गलवान घाटी में जो कुछ हुआ, उससे कोई अनभिज्ञ नहीं है, जब चीनी सैनिकों ने पीछे भारतीय सैनिकों पर हमला करके 20 सैनिकों को शहीद कर दिया, लेकिन चीन भूल गया था कि उसको बराबर टक्कर मिलेगा।

दो कदम पीछे लेकर, एक कदम आगे बढ़ाने को लेकर कुख्यात है चीन

दो कदम पीछे लेकर, एक कदम आगे बढ़ाने को लेकर कुख्यात है चीन

भारत के आक्रामक रूख से चीन को पूर्वी लद्दाख के गतिरोध स्थल से दो कदम पीछे लेना पड़ा है, लेकिन चीन के लिए कुख्यात है कि वह दो कदम पीछे लेकर, एक कदम आगे बढ़ा देते है। चूंकि चीन अभी विश्वसनियता, अंतर्राष्ट्रीयता मान्यता और व्यापारिक दृष्टि से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, इसलिए संभव है कि फिलहाल चीन अपनी फितरतों को पोस्टपोन कर सकता है, लेकिन सही वक्त आने पर चीन दोबारा स्ट्राइक करने से बाज नहीं आएगा।

Comments
English summary
Seeking to be a superpower in Asia, China is an old concession to the strategy of illegal occupation of land, maritime and celestial borders of its neighboring countries, and due to this expansionary policy, China was the eyes of all countries including India. , But the father of the coronavirus pandemic has now become the enemy of the whole world by hiding the facts related to the virus by China, which will only say that China is forced to take a flexible approach.
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