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पाकिस्तान से सीख कर चीन ने छिपाया गलवान का सच, US इंटेलिजेंस की दावा

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नई दिल्ली- गलवान घाटी की खूनी घटना के एक महीने गुजर चुके हैं, लेकिन चीन ने अबतक वहां के बारे में सच नहीं उगला है। भारत ने फौरन मान लिया कि उसके 20 जवान वहां शहीद हो गए और दर्जनों जख्मी हुए जो अब ठीक भी हो चुके हैं। सभी शहीदों का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन, चीन ने दुनिया से तो क्या अपने देश को भी अब तक सच्चाई नहीं बताई है। लेकिन, अब अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी ने उसकी राज पर से पर्दा उठा दिया है। यूएस न्यूज के मुताबिक चीन को ऐसा करने का मंत्र पाकिस्तान से मिला है, जो कभी भी एलओसी में सीजफायर के उल्लंघन के दौरान होने वाली घटनाएं हों या करगिल युद्ध के दौरान अपने सैनिकों के हताहतों की संख्या देश की जनता को नहीं बताता है। आइए जानते हैं कि अमेरिकी इंटेलिजेंस ने कहा क्या है?

पाकिस्तान से सीख कर चीन ने छिपाया गलवान का सच

पाकिस्तान से सीख कर चीन ने छिपाया गलवान का सच

अमेरिकी इंटेलिजेंस के आंकलन के मुताबिक चीन ने गलवान में मारे गए अपने पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवानों के परिवार वालों पर दबाव डाला कि वह न तो उनका अंतिम संस्कार करें और न ही उससे जुड़े कोई कार्यक्रम करें। चीन ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उसे लग रहा था कि गलवान में उससे बहुत बड़ी गलती हो चुकी है, इसलिए उसका सच कभी भी सामने नहीं आना चाहिए। चीन की ये हरकत उसके यार पाकिस्तान की तरह है, जिसने करगिल युद्ध के दौरान अपने जवानों का शव तक परिजनों को नहीं दिया और उन सबको चोरी-छिपे दफना देता था। नियंत्रण रेखा पर होने वाली कार्रवाई के वक्त भी वह ऐसा ही करने की कोशिश करता है, ताकि जवानों के मारे जाने की खबर सुनकर वहां की आवाम न भड़क जाए। शायद इसबार ऐसा ही डर चीन को भी सता रहा है।

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जनता के विद्रोह के भय से डर गया ड्रैगन

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अमेरिकी इंटेलिजेंस के मुताबिक चीन के मिनिस्ट्री ऑफ सिविल अफेयर्स ने मारे गए जवानों के परिवार वालों से कहा था कि अंतिम संस्कार का काम गुप्त तरीके से करना है और किसी को भनक तक नहीं होने देना है। हालांकि, इसके लिए दलील ये दी गई कि ऐसा कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए करना जरूरी है। लेकिन, अमेरिकी इंटेलिजेंस का मानना है कि ऐसा करके चीन सरकार का हिंसक झड़पों के बारे में अपनी जनता को सही बात पता होने देने से रोकना था, ताकि उनके दिमाग में इस घटना का कोई जिक्र ही न रह जाए। यूएस न्यूज ने इंटेलिजेंस के एक अनाम सूत्र का हवाला देते हुए लिखा है, 'सच्चाई ये है कि वो सैनिकों को शहीद नहीं बनने देना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने कार्यक्रमों पर ही पाबंदी लगा दी, जिससे परिवार और दोस्त पीएलए के मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि न अर्पित कर सकें।' ऐसा इसलिए किया गया, जिससे कि पीएलए के उन सैनिकों की समाधि की कोई तस्वीर न ली जा सके, जो सोशल मीडिया पर फैल जाए और कभी भावना भड़कने का कारण बन जाय।

गलवान में पीएलए के 35 जवानों के मारे जाने की सूचना

गलवान में पीएलए के 35 जवानों के मारे जाने की सूचना

यही वजह है कि गलवान घाटी की घटना के एक महीने बाद भी चीन यह नहीं बता पाया है कि उस खूनी संघर्ष में भारतीय जवानों के हाथों उसके कितने जवान मारे गए थे। उसने सिर्फ एक कमांडिंग ऑफिसर और उसके डिप्टी के मारे जाने की बात कबूल की थी। जबकि, अमेरिकी इंटेलिजेंस चीन के 35 जवानों के मारे जाने की सूचना की बात कह चुका है। उसके ठीक उलट भारत ने अपने सभी 20 शहीदों को पूरे सम्मान के साथ इस दुनिया से भावपूर्ण विदाई दी। यही नहीं, उस घटना में भारतीय सेना के जो जवान जख्मी हुए थे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद लेह जाकर उनका कुशल-मंगल पूछ कर आए थे।

'21वीं सदी में दुनिया को हिंसक नजर से देखने की कोई जगह नहीं है'

'21वीं सदी में दुनिया को हिंसक नजर से देखने की कोई जगह नहीं है'

गौरतलब है कि गलवान की घटना के बाद से अमेरिका ने तो चीन के खिलाफ मोर्चा ही खोल रखा है। मंगलवार को ट्रंप सरकार ने चीन से दो टूक कह दिया कि '21वीं सदी में दुनिया को हिंसक नजर से देखने की कोई जगह नहीं है।' दरअसल, अमेरिका ने चीन के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल उसके साउथ चाइना सी में जारी हरकतों को लेकर किया है, लेकिन उसका भाव वही है, जिस अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेह से चीन को सुना आए थे कि 'विस्तारवाद का युग अब समाप्त हो चुका है।' असल में अमेरिका ने साउथ चाइना सी के खुले समुद्र में मौजूद संसाधनों पर चीन का दावा सिरे से खारिज कर दिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि, 'दुनिया बीजिंग को साउथ चाइन सी को उसके समुद्री साम्राज्य की तरह व्यवहार करने की इजाजत नहीं देगी।'

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English summary
China hides Galwan Valley's truth after learning from Pakistan, US intelligence claims
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