गलवान घाटी में झड़प से पहले चीनी जवानों को मिली थी मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग, एक्सपर्ट पर्वतारोही भी थे शामिल
नई दिल्ली: पिछले दो महीने से एलएसी के विवादित इलाके में चीन कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। इस बीच गलवान घाटी में हुई झड़प में भारतीय सेना के कमांडिंग ऑफिसर समेत 20 जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प के लिए चीन लंबे वक्त से प्लानिंग कर रहा था। जिसके लिए उसने पहले से तैयारियां भी शुरू कर दी थीं। चीन की प्लानिंग का अब धीरे-धीरे खुलासा हो रहा है। इस बीच ये बात भी सामने आई है कि चीन ने गलवान घाटी में तैनाती से पहले जवानों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी थी।
पर्वतारोही भी थे शामिल
चीन को ये बात अच्छे से पता थी कि वो चाह कर भी भारत के खिलाफ हथियार का इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्योंकि इसको लेकर पहले ही दोनों देशों में समझौता हो रखा है। इस वजह से उसने लद्दाख के विवादित इलाके पर कब्जा जमाने के लिए दूसरा प्लान बनाया। स्टेट मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक झड़प से पहले चीन ने मार्शल आर्ट में ट्रेन्ड जवानों को एलएसी पर तैनात किया था। इस दौरान उसमें कई पर्वतारोही भी शामिल थे। चाइनीज डिफेंस न्यूज के मुताबिक पांच नए मिलिशिया डिवीजन जिसमें माउंट एवरेस्ट ओलंपिक रिले टीम और मार्शल आर्ट क्लब भी शामिल थे, उन्होंने खुद को 15 जून को ल्हासा में निरीक्षण के लिए पेश किया था। कुछ स्थानीय चैनलों ने तिब्बत की राजधानी में सैकड़ों नए सैनिकों की फुटेज भी दिखाई थी।
तिब्बत में दी ट्रेनिंग
चीनी मीडिया के मुताबिक तिब्बत के कमांडर वांग हाईजियांग ने कहा है कि एनबो फाइट क्लब की भर्तियां सैनिकों की ताकत और तेजी से प्रतिक्रिया की क्षमता को बढ़ाएगी। उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया कि ये भर्तियां मौजूदा सीमा विवाद के चलते की जा रही हैं या सामान्य प्रक्रिया के तहत। वहीं सूत्रों के मुताबिक 20 ट्रेनर को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए तिब्बत भेजा गया। चीन में दशकों से मार्शल आर्ट का इस्तेमाल सेल्फ डिफेंस के लिए किया जाता रहा है।
क्यों नहीं होता हथियारों का इस्तेमाल?
भारत और चीन के बीच एक समझौता हुआ है। जिसके तहत सीमा की अग्रिम चौकियों पर जो भी सैनिक तैनात होंगे, उनके पास हथियार नहीं होंगे। अगर रैंक के मुताबिक किसी अधिकारी के पास हथियार होगा, तो उसका मुंह जमीन की ओर रहेगा। इस वजह से चीन सीमा पर तैनाती से पहले जवानों को खास ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें जवानों को सिखाया जाता है कि कैसे मुश्किल हालात में चीनी जवानों से बिना हथियार निपटना है। इसी वजह से गलवान घाटी में इतनी बड़ी झड़प के बाद भी एक भी गोली नहीं चली थी।