आखिर क्यों चीन ने नहीं दी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने की इजाजत
बेंगलुरु। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती चीन में भी धूमधाम से मनायी जाएगी, यह खबर मीडिया में खूब सुर्खियों में रही। लेकिन जब दो अक्टूबर को पूरी दुनिया में गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रुप में मनाया जा रहा था वहीं दूसरी ओर चीन ने बापू के सम्मान में आयोजित किए जाने वाले समारोह को आखिरी समय में इजाजत न देकर चीन ने पाकिस्तान से अपनी दोस्ती निभाई। जिस कारण पिछले 15 वर्षों में पहली बार हुआ कि चीन के जिस पार्क में महात्मा गांधी की जयंती मनायी जा रही थीं वहां इजाजत न मिल पाने कारण महात्मा गांधी की जयंती समारोह आयोजित नहीं हो पाया।
आखिरी समय में कार्यक्रम भारतीय दूतावास परिसर में स्थानांतरित करना पड़ा परंपरा में यह बदलाव ऐसे समय आया है जब चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के एक अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए इस महीने अंत में भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात होगी। इस यात्रा से पूर्व चीन बापू के कार्यक्रम को इजाजत न देकर आखिर क्या जताना चाहता हैं?
गौरतलब है कि पाकिस्तान का जब कश्मीर मुद्दे पर पूरी दुनिया ने साथ नहीं दिया ऐसे में चीन पाक का पक्का दोस्त बना हुआ हैं। सैन्य शक्ति में मदद करने के साथ चीन कंगाल पाकिस्तान की आर्थिक मदद कर रहा है। इतना ही नहीं लगातार भारत के खिलाफ पाकिस्तान की साजिश में शामिल होकर भारत की पीठ में छूरा भोक रहा हैं।
बता दें चीन एक तानाशाह देश हैं। चाइना की तानाशाही का सबसे बड़ा सबूत पिछले दिनों हांगकांग चीन की सरकार के खिलाफ हुआ आम जनता का विरोध प्रदर्शन हैं। जहां आम जनता ने चीन की तानाशाही के खिलाफ प्रदर्शन किया और चीन सरकार ने तानाशाही रवैये के तहत पुलसिया शक्ति से उनकी आवाज को दबा दिया। जिसका तमाशा पूरी दुनिया ने देखा।
ऐसे में अहिंसा के पुजारी भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती को सार्वजनिक स्थान पर न मनाए जाने देना चाइना की सोची समझी चाल हैं। एक तरफ वो ऐसा करके पाकिस्तान से अपनी दोस्ती निभा रहा वहीं दूसरी ओर उसे डर हैं कि अहिंसा के पुजारी बापू को चाहने वाले बिजिंग में बढ़ गए तो कहीं हांगकांग की तरह वहां भी चीन की तानाशाही के खिलाफ जनता की आवाज न निकलने लगे।
बता दें बीजिंग स्थित चाओयांग पार्क में 2005 के बाद से प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले महात्मा गांधी जयंती समारोह को बुधवार को आखिरी समय में तब भारतीय दूतावास परिसर में स्थानांतरित करना पड़ा जब चीन की सरकार ने कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। यह जानकारी यहां स्थित भारतीय दूतावास अधिकारियों ने दी।
अधिकारियों ने बताया कि यद्यपि चीनी प्राधिकारियों की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि कार्यक्रम के लिए अनुमति क्यों नहीं दी गई। इस बीच चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने गांधी की 150वीं जयंती पर भारतीय दूतावास में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। बाद में शाम में मिसरी ने चाइना आर्टिस्ट एसोसिएशन के 13 चीनी कलाकारों को सम्मानित किया जिन्होंने गांधी के चित्रों को बनाया था। उन चित्रों का विमोचन राजनयिक ने कार्यक्रम के दौरान किया।
2005 में चीन के प्रसिद्ध मूर्तिकार युआन शिकुन द्वारा निर्मित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति बीजिंग के चाओयांग पार्क में लगाये जाने के बाद पिछले 14 वर्षों से गांधी जयंती कार्यक्रम वहां पर आयोजित किया जा रहा था। इस पार्क में गांधी की प्रतिमा चीन में उनकी एकमात्र मूर्ति है। प्रत्येक वर्ष भारतीय दूतावास युआन के साथ मिलकर दो अक्टूबर को कार्यक्रम आयोजित करता है जिसमें चीनी स्कूल के छात्र महात्मा गांधी के प्रसिद्ध विचार उद्धृत करते हैं और भारतीय समुदाय के सदस्य गांधी के भजन गाते हैं।
युआन पार्क में ही स्थित जिन ताय कला संग्रहालय के क्यूरेटर भी हैं। दूतावास के अधिकारियों ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से इस वर्ष अनुमति प्राप्त नहीं हुई जबकि आवेदन काफी समय पहले किया गया था। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम को तब दूतावास के प्रेक्षागृह में स्थानांतरित कर दिया गया जब संग्रहालय ने यह सूचित किया कि अनुमति के बिना कार्यक्रम आयोजित नहीं हो सकता। दूतावास अधिकारी इजाजत नहीं मिलने से हैरान थे और उन्हें कार्यक्रम को दूतावास परिसर में स्थानांतरित करने के लिए हड़बड़ी में वैकल्पिक इंतजाम करना पड़ा।
एक
वर्ष
पूर्व
इसी
पार्क
में
बापू
की
धूमधाम
से
मनी
थी
149वीं
जयंती
गौरतलब
हैं
कि
चीन
में
पिछले
वर्ष
राष्ट्रपिता
महात्मा
गांधी
की
149वीं
जयंती
इसी
पार्क
में
खूब
धूमधाम
से
मनायी
गयी
थी।
बीजिंग
के
मध्य
में
विशाल
शाओयांग
पार्क
में
महात्मा
गांधी
के
पसंदीदा
भजन
एवं
सूत्र
वाक्यों
की
गूंज
सुनाई
दी
थी।
भारतीय
दूतावास
के
एक
सांस्कृतिक
दल
ने
यहां
गांधी
की
दैनिक
प्रार्थना
में
गाया
जाने
वाला
प्रसिद्ध
भजन
वैष्णन
जन
सुनाया
था।
एक
चीनी
विद्यालय
के
लाल
स्कार्फ
के
साथ
हरे
और
सफ़ेद
कपड़े
पहने
बच्चों
के
दल
ने
अपने
विद्यालय
द्वारा
संकलित
गांधी
के
सबसे
लोकप्रिय
सूत्र
वाक्यों
का
वर्णन
किया
था।
चीनी विद्यालय के बच्चों द्वारा वर्णित गांधीवादी सूत्र वाक्य बोले गए थे। जैसे कमजोर कभी भी क्षमा नहीं करते क्षमाशीलता मजबूत व्यक्तियों की विशेषता है और शक्ति आपके शारीरिक बल से नहीं, बल्कि अदम्य इच्छा से आती है, और किसी राष्ट्र की महानता एवं उसकी नैतिक प्रगति का मूल्यांकन उसके यहां जानवरों पर किये गये सलूक से किया जा सकता है, शामिल थे। चीन में बसे गांधी के प्रशंसकों ने गांधी जी की प्रतिमा वाले इस पार्क में प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आए थे। इस बार भी आयोजकों ने इस पार्क में गांधी जयंती पर समारोह की खूब तैयारी की थी लेकिन जिसे इजाजत न मिल पाने कारण भारतीय दूतावास में स्थानांतरित करना पड़ा ।