गलवान का बदला या कुछ और? क्या है पैंगोंग झील पर दूसरा पुल बनवाने के पीछे कारण?
नई दिल्ली, 22 मई: विस्तारवादी चीन की गतिविधि ने भारत को एक बार फिर चौंका दिया है। चीन ने पैंगोंग त्सो के ऊपर पुल का निर्माण शुरू कर दिया है। 1959 में पीएलए के कब्जे वाले खुर्नक किले क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले एक डबल-स्पैन पुल का निर्माण किया जा रहा है। इससे साबित होता है कि गलवान में सैन्य संघर्ष के बाद चीन चुपचाप बैठने वाला नहीं है और बदला लेने की तैयारी कर रहा है।

तस्वीरों के मुताबिक, चीन ने पैंगोंग त्सो के पार नए पुल का निर्माण शुरू कर दिया है। यह पुल इस बात को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा कि यहां से बख्तरबंद गाड़ियां और चीन की सेना के ट्रक हथियार लेकर आसानी से गुजर सकें। इससे पहले भी चीन इस इलाक़े में अक्टूबर 2021 में पुल बना चुका है। इसी पुल की सहायता से चीन अब पैंगोंग झील पर दूसरा पुल बना रहा है।
1962 युद्ध में छीनी थी जमीन
बताया जा रहा है कि नए पुल को बनाने के लिए क्रेन और दूसरे उपकरण के इस्तेमाल होंगे। उनके आवाजाही पहले पुल से होगी। हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस मामले में चीन का विरोध किया है। कहा है कि भारत, चीन की गतिविधियों पर कड़ी नज़र रख रहा है। 1962 के युद्ध में चीन ने ये जगह हमसे छीन ली और इस पर कब्जा कर लिया। जब देश में जवाहर लाल नेहरु की सरकार थी। अर्थात चीन ये पुल भारत की जमीन पर बना रहा है।
चीनी चाल पर भारत की कड़ी नजर
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अरिंदम बागची ने कहा थी कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पार एक पुल बन रहा है, उन्हें यकीन नहीं है कि यह दूसरा पुल है या मौजूदा का विस्तार किया जा रहा है। अपने बयान में अरिंदम बागची ने कहा कि हमने इस पुल या दूसरे पुल पर रिपोर्ट देखी है... हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। बेशक हमें लगता है कि यह इलाका कब्जा कर लिया गया था। हम इस तरह के घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। इस बारे में चीनी पक्ष के साथ राजनयिक और सैन्य दोनों स्तर पर बातचीत कर रहे हैं।