नेपाली जमीन पर चीन ने खड़ी की 9 इमारत, नेपालियों की एंट्री रोकी
नई दिल्ली- चीन ने पहले नेपाल के कुछ गांवों पर धोखे से अतिक्रमण कर लिया था और अब उसने नेपाल की जमीन पर एक-दो नहीं कुल 9 इमारतें खड़ी कर ली है। इस घटना के सामने आने के बाद से नेपाली प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन केपी शर्मा ओली की सरकार फिलहाल इसपर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। चीन की दादागीरी का स्तर ये है कि नेपाल की जमीन पर बिल्डिंग बनाने के बाद उसने वहां पर नेपाली जनता के फटकने पर भी रोक लगा दी है। गौरतलब है कि कुछ महीने पर यह खुलासा भी हो चुका है कि चीन कैसे नेपाल के कई गांवों की जमीनों पर अतिक्रमण कर लिया था और ये मामला नेपाल की संसद तक पहुंच गया था।
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नेपाली जमीन पर चीन ने खड़ी की 9 इमारत
खबरहब की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने नेपाली जमीन पर 9 इमारतें बना ली हैं और अब वहां नेपाली लोगों को जाने से रोक रहा है। जानकारी के मुताबिक चीन ने जमीन हड़पने के लिए भारत के साथ जारी तनाव की स्थिति का फायदा उठाया है और नेपाली सुरक्षाकर्मियों के अभाव में उसने नेपाल के दूर-दराज वाले इलाके में बिल्डिंगें बनाकर अपना कब्जा जमा लिया है। चीन की इस हरकत का नेपाल के अधिकारियों को तब पता चला जब हुमला जिले के लाप्चा-लिमी क्षेत्र के सहायक मुख्य जिला अधिकारी दलबहादुर हमाल ने हाल ही में उस इलाके का जायजा लिया है। सरकारी अधिकारियों को स्थानीय लोगों से सूचना मिली थी कि चीन वहां गैर-कानूनी ढंग से इमारतें बना रहा है। (पहली 3 तस्वीरें सौजन्य: गीता मोहन के ट्विटर से)
चीन ने इमारतों के पास नेपाली नागरिकों की एंट्री रोकी
दरअसल, नेपाल का यह इलाका जिला मुख्यालय हुमला से काफी दूर है और वहां सरकारी तंत्र की मौजूदगी नहीं के बराबर होती है। जिला प्रशासन ने अब इस घटना की जानकारी नेपाली गृहमंत्रालय को दे दी है और वहां से उसे नेपाली विदेश मंत्रालय को भेज दिया गया है। मौके की निगरानी करने गई टीम के एक सदस्य ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा है कि, 'हम लोग दूर से ही बिल्डिगें देख पा रहे थे। हम लोगों ने अफवाहें सुनी थी कि वहां पर चीन की ओर से एक इमारत का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन जब वहां पहुंचे तो 8 और वहां पर देखीं।' जिस गांव में चीन ने अभी 9 इमारतों का निर्माण करवाया है उसका नाम नामख्या है और अब चीन ने वहां इमारतों के आसपास नेपाली नागरिकों के जाने पर भी रोक लगा दी है।
ओली सरकार क्यों चुप है ?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन खबरों के सामने आने के बाद नेपाली सुरक्षा बलों को माप और सर्वे विभाग के अधिकारियों के साथ मौके की ओर रवाना कर दिया गया है। वैसे इस घटना पर नेपाल के विदेश मंत्रालय या गृहमंत्रालय की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। लेकिन, सवाल उठता है कि 9-9 इमारतें एक दिन में तो बनी नहीं होंगी, तो सवाल उठता है कि प्रशासन किस मजबूरी की वजह से चीन की सेना की इस हरकत पर आंख मूंदे रहा। हो सकता है कि आने वाले दिनों में यह मामला फिर से नेपाल के सियासी घमासान की वजह बन जाए।
नेपाल की कई एकड़ जमीन निगल चुका है ड्रैगन
बीते जून में नेपाल सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन तिब्बत में सड़क निर्माण के जरिए नेपाल की जमीन हड़पना चाहता है और निकट भविष्य में उसपर अपना आउटपोस्ट बना सकता है। इससे पहले नेपाली कृषि मंत्रालय का सर्वे विभाग कह चुका है कि चीन ने उसके 10 जगहों पर अतिक्रमण कर लिया है, जो कि करीब 33 हेक्टेयर जमीन के बराबर है। इतना ही नहीं नेपाल ने कहा था कि चीन अपने इलाके में पानी का रुख करने के लिए नदियों की धारा भी मोड़ रहा है। बाद में नेपाली संसद के सचिव को वहां के विपक्ष ने एक चिट्ठी देकर दावा किया था कि दोलाखा, हुमला, सिंधुपालचौक, गोरखा और रसुवा जिलों में चीन ने करीब 64 एकड़ नेपाली जमीन हड़प ली है।
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