चीन ने भूटान के अंदर सड़क बनाई-गांव बसाया, डोकलाम के लिए फिर पैदा हुआ खतरा- रिपोर्ट
नई दिल्ली- सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने न केवल भूटान की जमीन पर एक गांव बसा दिया है, बल्कि डोकलाम पठार के पूर्वी क्षेत्र में भूटान के इलाके में काफी अंदर सड़क भी बना ली है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन को ऐसा करके उस जोम्पेलरी रिज तक अपनी सेना को पहुंचाने के लिए एक वैकल्पिक रास्ता मिल सकता है, पीएलए के जिस मंसूबे को भारतीय सेना ने 2017 में नाकाम कर दिया था। गौरतलब है कि भारतीय सेना के जवानों ने उस वक्त चीन के कंस्ट्रक्शन वर्करों को काम करने से सख्ती से रोक दिया था और लंबे गतिरोध के बाद आखिरकार चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा था। लेकिन, अब लगता है कि चीन का खौफनाक मंसूबा कभी खत्म ही नहीं हुआ था।
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एनडीटीवी ने हाई रिजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर दावा किया है कि चीन ने भूटान के दो किलोमीटर से भी ज्यादा अंदर घुसकर एक गांव बसा लिया है, यह इलाका डोकलाम पठार के पूर्वी परिधि के पास है, जिसको लेकर तीन साल पहले चीन और भारत की सेनाएं आमने-सामने थीं। यही नहीं चीन ने भूटान के उसी इलाके में करीब 9 किलोमीटर लंबी सड़क भी बना ली है। पिछली बार चीन के कंस्ट्रक्शन वर्करों ने उसी रिज इलाके में उसके मौजूदा ट्रैक से आगे बढ़कर सिक्किम में डोका ला स्थित भारतीय सेना की पोस्ट के नजदीक तक पहुंच का रास्ता बनाने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना ने उनका मंसूबा सख्ती से ध्वस्त कर दिया था।
तब भारतीय सेना के जवानों चीन के सड़क निर्माण में लगे मजदूरों को जोम्पेलरी रिज लाइन तक पहुंचने के लिए निर्माण का काम करने ही नहीं दिया। क्योंकि, इससे चीन की सेना भारत के उस 'चिकेन नेक' पर आसानी से नजर रख सकती थी, जो कि ऐसी भूमि है, जो पूरे भारत को उत्तर-पूर्व से जोड़ती है। ऐसी जगह के नजदीक चीन की पहुंच भारत के लिए सामरिक नजरिए से बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन, तीन साल बाद चीन के कंस्ट्रक्शन मजदूरों ने चीन-भूटान सीमा के काफी दक्षिण में तोरसा नदी के किनारे सड़क बना ली है, जिससे भारत के लिए वही खतरा पैदा होने की आशंका पैदा हो गई है, जिसे पहले नाकाम कर दिया गया था। यह इलाक 2017 के विवाद वाली जगह से 10 किलोमीटर से भी कम दूरी पर है, जहां तब दो महीने से ज्यादा दिनों तक गतिरोध रहा था और मामला तब जाकर सुलझा था, जब अप्रैल, 2018 में वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तनाव कम करने पर राजी हुए थे।
रणनीतिक मामलों के एक्सपर्ट डॉक्टर ब्रह्मा चेलानी ने कहा है, '2017 की विवाद वाली जगह को चीन ने वैसे ही छोड़ दिया है।..........लेकिन, धीरे-धीरे डोकलाम के बाकी हिस्सों में वह यथास्थिति बदल रहा है, वह स्थायी स्ट्रक्चर और सड़कों का भी निर्माण कर रहा है और यहां तक कि एक ऐसे पठार पर गांव बसा रहा है, जहां तीन साल पहले तक कोई आबादी नहीं थी।'
एनडीटीवी ने नई सैटेलाइज तस्वीरों के बारे में उसे उपलब्ध कराने वाले मैक्सार कंपनी को कोट करते हुए बताया है, 'इस साल तोरसा नदी के किनारे घाटी के इलाके में महत्वपूर्ण निर्माण की गतिविधि हुई है, जिसमें बड़े स्तर पर सड़क निर्माण और दूसरे निर्माण की गतिविधियां चल रही हैं, क्योंकि डोकलाम इलाके के पास चीन सेना का माल रखने के लिए नए बंकर बनवा रहा है।'
एनडीटीवी ने यह भी दावा किया है कि मुख्य तस्वीर नई दिल्ली में भूटान के राजदूत मेजर जनरल वेत्सोप नामग्येल रे बयान के उलट है। उन्होंने 19 नवंबर को कहा था कि 'भूटान के अंदर चीन का कोई गांव नहीं है।' उस समय उन्होंने सीमा मामले पर कुछ भी जानकारी देने से इनकार कर दिया था, लेकिन इतना माना था कि दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर बातचीत चल रही है। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है।
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