तिब्बत में एक्टिव हुई चीनी एयरफोर्स, भारत के लिए दोगुनी परेशानी
नई दिल्ली। चीन ने भारत की पूर्वी सीमा से सटे तिब्बत में अपने हवाई उपकरण तैनात कर दिए हैं। इंग्लिश डेली इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी एयरफोर्स (पीएलएएएफ) लगातार अभ्यास कर रही है। जिस जगह पर एक्सरसाइज हो रही है वह जगह भारतीय सीमा से सटी हुई है। साथ ही विवादित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के करीब ही है। चीन के इस कदम ने आईएएफ को मजबूर कर दिया है कि वह पूर्वी क्षेत्र में चीन की हिमाकत को रोकने के लिए अब एक्टिव मोड में आ जाए।
यहां तैनात होंगी आकाश मिसाइलें
आईएएफ ने यहां पर आकाश मिसाइल सिस्टम की छह यूनिट को तैनात करने का मन बनाया है। साथ ही चिनहुक और अपाचे हेलीकॉप्टर्स की एक-एक स्क्वाड्रन के अलावा रूस का एस-400 मिसाइल सिस्टम और राफेल फाइटर जेट की भी एक स्क्वाड्रन को रेडी किया जाएगा। चिनहुक और अपाचे हेलीकॉप्टर्स को साल 2020 तक आईएएफ में शामिल कर लिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो एस-400 और राफेल फाइटर जेट्स साल 2021 तक वायुसेना में शामिल होंगे। वहीं इस क्षेत्र में सुखोई की एक और स्क्वाड्रन को शामिल करने पर भी विचार-विमर्श जारी है।
तिब्बत में तैयार हो रहे तीन एयरपोर्ट्स
अखबार ने एक आईएएफ ऑफिसर के हवाले से लिखा है कि चीनी एयरफोर्स ने तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन यानी टीएआर में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना शुरू कर दिया है और साल 2017 में डोकलाम में हुए विवाद के बाद से इसकी शुरुआत हुई है। अगस्त 2014 में आईएएफ ने पूर्वी क्षेत्र में आकाश मिसाइल की छह यूनिट्स को तैनात किया है। आईएएफ ने यहां पर सर्विलांस भी बढ़ाया है। जहां एक तरफ चीन की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी आ रही है तो वहीं चीनी सेना बॉर्डर पर तीन मंजिला इमारतों को भी तैयार कर रही है जिसे बॉर्डर से आसानी से देखा जा सकता है। इंटेलीजेंस रिपोर्ट की मानें तो एलएसी सिर्फ 750 किलोमीटर दूर शिनिइंग के दक्षिण पश्चिम में स्थित किंगहाई में एक नई एयरफील्ड पर काम चल रहा है। इसके अलावा तीन नए एयरपोर्ट्स भी यहां पर आने वाले हैं।