'ब्रह्मोस जैसा हथियार चीन और पाकिस्तान के पास भी नहीं'
भारत ने पहली बार सुखोई जेट से सुपरसोनिक ब्रम्होस मिसाइल का किया सफल परीक्षण.
भारत ने पहली बार सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रम्होस का सुखोई लड़ाकू विमान से सफल परीक्षण कर बड़ी कामयाबी हासिल की है.
भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम के तहत तैयार इस मिसाइल के जल और थल परीक्षण पहले ही हो चुके हैं.
रक्षा विशेषज्ञ कोमोडोर उदय भास्कर का कहना है कि एयर लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल परीक्षण की सफलता ने सामरिक क्षमता में ख़ासा इजाफ़ा किया है.
उदय भास्कर ने बीबीसी से कहा कि "इस परीक्षण से सीमा पर दूर से किसी लक्ष्य को निशाना बनाने की क्षमता में बढ़ोत्तरी हुई है."
उनके मुताबिक, सुखोई लड़ाकू विमान आम तौर पर ज़मीन से तीन से 3.5 किलोमीटर ऊपर उड़ता है.
अगर सुखोई जैसे लड़ाकू विमान से इसे दागा जाता है तो इसकी रेंज और मारक क्षमता, लंबी दूर और ऊंचाई दोनों स्तरों पर स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगी.
ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक मिसाइल माना जाता है, जिसकी रफ़्तार 2.8 मैक है. मैक ध्वनि की रफ़्तार के बराबर की इकाई है.
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चीन के पास भी नहीं
इसकी रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है. इसकी क्षमता को देखते हुए कई देशों ने इसमें अपनी रुचि भी दिखाई है.
कोमोडोर उदय भास्कर के मुताबिक, एयर लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल की तकनीक पाकिस्तान के पास नहीं है और यहां तक कि मौजूदा समय में चीन के पास भी नहीं है.
हालांकि उनका कहना है कि कुल मिसाइल क्षमता को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर चीन चाहे तो ऐसी तकनीक विकसित कर सकता है.
सामान्य क्रूज मिसाइलें चीन, पाकिस्तान और भारत के पास पहले से हैं और तीनों देश परमाणु हथियार संपन्न देश हैं.
उदय भास्कर कहते हैं कि क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए इस इलाके की शक्तियों को आपस में इस मुद्दे पर बात शुरू करनी चाहिए कि क्रूज़ मिसाइलों पर परमाणु हथियार नहीं लगाए जाएंगे.
वो शीत युद्ध के दौरान तत्कालीन सोवियत संघ और अमरीका के बीच हुए एक समझौते का ज़िक्र करते हैं जब दोनों देशों में क्रूज मिसाइलों पर परमाणु हथियार न लगाने पर सहमति बनी थी. उनके अनुसार, क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ये बहुत ज़रूरी कदम होगा.
(बीबीसी संवाददाता संदीप राय से बातचीत पर आधारित.)
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