चीफ जस्टिस बोबडे ने "योर ऑनर" कहे जाने पर जतायी आपत्ति, बोले- ये अमेरिका की अदालत नहीं है
चीफ जस्टिस बोबडे ने "योर ऑनर" कहे जाने पर जतायी आपत्ति, बोले- ये अमेरिका की अदालत नहीं है
दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सोमवार को "योर ऑनर" कहे जाने पर आपत्ति जतायी। सीजेआई बोबडे ने वकील को कहा ये अमेरिका की अदालन नहीं है साथ ही उसे ये याद दिलाया कि इस शब्द का इस्तेमाल संयुक्त राज्य के सर्वोच्च न्यायालय या मजिस्ट्रेट के न्यायाधीशों के लिए किया जाता है। बोबडे के ऐतराज जताने पर वकील ने उनसे माफी मांगी और फिर माई लॉर्ड कहकर उन्हें संबोधित किया।
बोडले ने वकील से कहा कि जब आप हमें अपना सम्मान कहते हैं, तो आपके पास या तो संयुक्त राज्य का सर्वोच्च न्यायालय या मजिस्ट्रेट होता है। हम नहीं हैं सीजेआई बोडले की अगुवाई वाली बेंच में बतौर वकील लॉ स्टूडेंट खुद पेश हुए थे और उन्होंने चीफ जस्टिस को योर ऑनर संबोधित किया तो तब सीजेआई ने तब चीफ जस्टिस ने आपत्ति जताई और कहा कि अमेरिका का कोर्ट नहीं है। इसलिए योन ऑनर संबोधन से आप संबोधित न करें। याची लॉ स्टूडेंट ने माफी मांगते हुए माई लॉर्ड संबोधित किया तब चीफ जस्टिस ने कहा कि ठीक है और कहा कि आप गलत टर्म से संबोधित न करें।
बोबडे बोले - "क्या आप अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश हो रहे हैं?
बोबडे ने कहा "क्या आप अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश हो रहे हैं? "आपका सम्मान 'का उपयोग अमेरिका में होता है और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में नहीं है," बोबडे ने वकील से पूछा, जिन्होंने तर्क दिया कि ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके लिए न्यायाधीशों को संबोधित करने के लिए अधिवक्ताओं को किसी विशेष सम्मान का उपयोग करने की आवश्यकता हो।
बोबडे पहले भी जता चुके हैं ऐतराज
बता दें वर्षों से उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएँ दायर की गई हैं, जो न्यायाधीशों को संबोधित करने के तरीकों पर बहस करते हुए औपनिवेशिक व्यवहार पर समीक्षा की मांग करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2014 में, जस्टिस बोबडे जस्टिस एचएल दत्तू के साथ सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा थे, जब उन्होंने निर्देश दिया था कि उन्हें "मी लार्ड ", "आपका आधिपत्य" या "योर आनर " कहना अनिवार्य नहीं है। सीजेआई बोबड़े के कार्यकाल पर आपत्ति लेने की यह पहली घटना नहीं है। पिछले साल अगस्त में, उन्होंने एक वकील को "योर आनर" कहकर संबोधित किया।
दो हफ्तें के लिए केस की सुनवाई टाली
बता दें सीजेआई बोबडे ने वकील द्वारा कोर्ट में गलत टर्म का इस्तेमाल किया इसका हवाला देते हुए उन्होंने संबंधित केस की सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दीफ मालूम हो कि निचली अदालत में न्यायधीशों की नियुक्ति को लेकर निचली अदालत में जजों की नियुक्ति को लेकर अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने याचिककर्ता से कहा कि आपकी तैयारी पूरी नहीं है आप मलिक मजहर सुल्तान केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं सुना है आप तैयारी के साथ आएं।
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्राइवेट बसों के जाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक