छत्तीसगढ़ के इस गांव में एक ही तालाब का पानी पीने को मजबूर इंसान और जानवर
बलरामपुर। छत्तीसगढ के बलरामपुर जिले के एक गांव में पानी की कमी खतरनाक स्तर पर है। यहां के लोगों का दावा है कि पानी की कमी के चलते यहां जानवर और इंसान एक ही तालाब का पानी पीते हैं। ये पानी बेहद दूषित है। राप्ती नदी के किनारे स्थित चरचरी गांव में कुल 150 लोग हैं जो मजदूरी और दिहाड़ी कर अपनी आजीविका चलाते हैं। यहां पानी की कमी से महिलाओं और बच्चों को मीलों धूप में चलकर पानी लाना पड़ती है।
वहीं की एक महिला ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि- बीते चार महीनों से हम गंदा पानी पी रहे हैं। कोई नेता या मंत्री हमारी परेशानी देखने या उसका निवारण करने नहीं आ रहा। वे केवल चुनाव के समय हमारे आस पास भी आते हैं। हर कोई एक ही तालाब से पानी पीता है। हमारे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं।
लोगों ने कहा कि उन्होंने हाल ही में क्षेत्रिय प्रशासन को इसकी जानकारी दी लेकिन उनके कान पर जूं तक न रेंगी। एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि- गांव के एक सरपंच ने हमें बताया कि उन्होंने पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट को मौखिक रूप से जानकारी दे दी। प्रशासन ने इसपर कोई जांच अभी तक नहीं बैठाई है। सरपंच जैसे जवाब दे रहे हैं उससे साफ है कि वे अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं कर रहे।
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पानी की किल्लत से देश में कई जगह लोग परेशान हैं। इसी कड़ी में गुजरात में एशिया का सबसे बड़े सिविल अस्पताल माने जाने वाले अहमदाबाद सिविल मेडिकल कॉलेज का मेडिकल स्टाफ पानी की कमी से जूझ रहा है। पानी के लिए उन्हें बाल्टी लेकर लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है। यह हालत तब हैं, जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हॉस्पिटल का रिनोवेशन करा चुके हैं। यहां जन-स्वास्थ्य के लिए कई नई सुविधाएं भी शुरू की गईं, मगर अब पानी की किल्लत मची हुई है। ऐसे में कुछ लोग गुजरात मॉडल को दोष देने लग गए हैं।
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