कृषि कानून को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ विधासभा में होगा दो दिवसीय विशेष सत्र
रायपुर। केंद्रीय कृषि कानूनों को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र की बैठक इसी महीने 27 और 28 तारीख को हो सकती है। इस विशेष सत्र की अधिसूचना बुधवार तक जारी होने की संभावना है। जानकारी के मुताबिक इस सत्र के दौरान राज्य सरकार अपने मंडी कानून संशोधन करने जा रही है, ताकि केंद्रीय सरकार के नए कृषि कानून का यहां के किसानों पर असर न हो। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कृषि कानूनों को लेकर आहूत होने वाले विधानसभा के विशेष सत्र की अनुमति की फाइल को वापस कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कानूनों को रोकने के लिए अपना अलग कानून बनाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने वाला छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य है। कांग्रेस शासित पंजाब में विशेष सत्र शुरू हो चुका है। बता दें कि केंद्र सरकार ने दो कृषि कानूनों के साथ ही श्रम और आवश्यक वस्तु कानूनों में संशोधन किया है। छत्तीसगढ़ सरकार इन संशोधनों को जनता के खिलाफ बता रही है। सरकार ने इन कानूनों को राज्य में लागू करने से रोकने के लिए अपना कानून बनाने का एलान किया है। इसको लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में बैठक भी हो चुकी है।
क्या है कृषि संबंधी विधेयक, क्यों मचा है इस पर बवाल?
पहला
बिल
है
:
कृषि
उपज
व्यापार
और
वाणिज्य
(संवर्धन
और
सुविधा)
बिल
दूसरा
बिल
है
:
मूल्य
आश्वासन
और
कृषि
सेवाओं
पर
किसान
(संरक्षण
एवं
सशक्तिकरण
बिल)
तीसरा
बिल
है
:
आवश्यक
वस्तु
संशोधन
बिल
क्यों कर रहे हैं किसान विरोध?
- किसान संगठनों का आरोप है कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को ही होगा।
- अब बाजार में एक बार फिर से पूंजीपतियों का बोलबाला होगा और आम किसान के हाथ में कुछ नहीं आएगा और वो पूंजीपतियों के लिए केवल दया का पात्र रह जाएगा।
- ये विधेयक बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देने वाला है। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल पर किसानों को सबसे ज्यादा आपत्ति है।
- किसानों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली का प्रावधान खत्म हो जाएजा, जो कि किसानों के लिए सही नहीं है।
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