छत्तीसगढ़ सरकार ने 'MISA' कैदियों की पेंशन योजना खत्म की, भाजपा जाएगी सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ सरकार ने आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (Maintenance of Internal Security Act) यानि मीसा के तहत के तहत हिरासत में लिए गए लोगों को पेंशन देने की योजना को खत्म कर दिया है। इस योजना की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की थी। मीसा के तहत जिन लोगों को आपातकाल के दौरान हिरासत में लिया गया था, उन्हें पेंशन दिए जाने की योजना की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी सरकार ने की थी। लेकिन अब कांग्रेस सरकार ने इस पेंशन को खत्म करने का फैसला लिया है। कांग्रेस सरकार के इस फैसले का भाजपा विरोध कर रही है और कोर्ट जाने की बात कह रही है।
मुख्यमंत्री
ने
भाजपा
पर
साधा
निशाना
भारतीय
जनता
पार्टी
प्रदेश
में
मुख्य
विपक्षी
दल
है,
उसने
फैसला
लिया
है
कि
वह
सरकार
के
फैसले
के
खिलाफ
सुप्रीम
कोर्ट
का
दरवाजा
खटखटाएगी।
भाजपा
के
इस
फैसले
पर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
भूपेश
बघेल
ने
कहा
कि
जो
लोग
मीसा
के
तहत
जेल
गए
थे
क्या
वो
स्वतंत्रता
सेनानी
थे
कि
उन्हें
पेंशन
दी
जानी
चाहिए।
भूपेश
बघेल
ने
अपने
तेवर
से
साफ
कर
दिया
है
कि
वह
इस
योजना
के
तहत
जिन
लोगों
को
पेंशन
दी
जाती
थी
वह
उसे
बहाल
करने
के
मूड
में
नहीं
हैं।
सरकार
ने
जारी
किया
नोटिफिकेशन
गुरुवार
को
सरकार
की
ओर
से
एक
एक
गैजेट
नोटिफिकेशन
जारी
किया
गया
है
जिसमे
कहा
गया
है
कि
लोकनाथ
जयप्रकाश
नारायण
सम्मान
निधि
रूल,
2008
को
खत्म
किया
जा
रहा
है।
इस
स्कीम
का
मकसद
उन
लोगों
को
पेंशन
देना
था
जिन्हें
मीसा
के
तहत
आपातकाल
में
25
जन
1975
से
31
मार्च
1977
तक
जेल
भेजा
गया
था।
इस
योजना
के
तहत
उन
लोगों
को
पेंशन
दी
जाती
थी
जिन्होंने
आपातकाल
के
दौरान
मीसा
के
तहत
तीन
महीने
तक
जेल
में
बिताया
हो।
इन
लोगगों
को
हर
महीने
10000
रुपए
की
पेंशन
दी
जाती
थी।
जो
लोग
छह
महीने
से
अधिक
समय
तक
के
लिए
जेल
में
थे
उन्हें
25000
रुपए
तक
की
पेंशन
का
प्रावधान
था।
कांग्रेस
ने
किया
स्वागत
बता
दें
कि
प्रदेश
सरकार
ने
पिछले
वर्ष
इस
योजना
को
खत्म
करने
का
एलान
किया
था,
सरकार
की
ओर
से
कहा
गया
था
कि
फरवरी
2019
से
इस
योजना
को
खत्म
कर
दिया
जाएगा।
सरकार
के
फैसले
की
तारीफ
करते
हुए
प्रदेश
कांग्रेस
के
प्रवक्ता
विकास
तिवारी
ने
कहा
था
कि
यह
योजना
इसलिए
शुरू
की
गई
थी
ताकि
भाजपा
और
आरएसएस
के
लोगों
को
खुश
रखा
जा
सके।
अब
इस
योजना
में
खर्च
होने
वाले
पैसे
का
इस्तेमाल
युवाओं
के
लिए
रोजगार
देने
की
योजनाओं
पर
खर्च
किया
जाएगा।