छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों को किया संबोधित, फसलों की सुरक्षा को लेकर की बात
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में फसलों को सुरक्षित रखने के लिए रोका-छेका हमारे गांवों की पुरानी व्यवस्था है। इसमें खुले में चरने वाले पशुओं पर रोक लगाने का काम किया जाता है। इससे फसलों की सुरक्षा भी होती है। ये परंपरा आज भी बहुत उपयोगी है। मुख्यमंत्री बघेल ने इस संबंध में किसानों, ग्रामीणों और पंच-सरपंचों से आग्रह किया है कि गांवों में 19 तारीख तक रोका छेका की व्यवस्था कर ली जाए, जिससे फसलों को सुरक्षित रखा जा सके।
भघेल ने किसानों से कहा कि बरसात का मौसम आ चुका है। किसान खेती-किसानी की तैयारी शुरू कर चुके हैं। जिनके पास सिंचाई के साधन हैं, वो किसान थरहा लगाने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ किसान खुर्रा बोनी कर चुके हैं या तैयारी कर रहे हैं। प्रदेश में धान की ही नहीं बल्कि दलहन, तिलहन, फसल की तैयारी भी बहुत जोर-शोर से चल रही है। इस साल बीच-बीच में पानी गिरने के कारण किसान अकसर जुताई कर चुके हैं। किसानों के मन में भारी उत्साह है, उन्हें राजीव गांधी किसान न्याय योजना की एक किश्त मिल चुकी है।
वहीं दूसरी किश्त राजीव गांधी की जयंती पर 20 अगस्त को मिलेगी। किसान नई फसल लगाने के लिए बहुत से सपनों के साथ खेत में जाते हैं। कुछ व्यवस्था किसान खुद करते हैं, कुछ व्यवस्था गांव वाले मिलकर करते हैं। किसान व्यक्तिगत तैयारी भी, चाहे वो धान के लिए हो, दलहन, तिलहन या मक्का के लिए हो, कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने गांव-घर की तैयारी को लेकर भी अपील की है। उन्होंने कहा कि धान की फसल को बचाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, जब अनाज के बीज अंकुरित होते हैं, तब उनकी देखभाल करना। ऐसे समय में जब मवेशी चरते हैं, तो भारी नुकसान होता है। रखवारी की समस्या होती है। हमारे छत्तीसगढ़ में मवेशियों के रोका-छेका की व्यवस्था है। पहाटिया लोग मवेशियों की चराई अपनी देखरेख में करते हैं। यह कार्य अलग-अलग गांवों में अलग-अलग समय में होता है।
बघेल ने कहा, मैं आप सबसे निवेदन करना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ में हमने एक नारा दिया है 'छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी' इस साल हमने नरवा के संरक्षण और पुनर्जीवित करने के लिए 1300 नरवा के लिए प्रोजेक्ट बनाया है। स्ट्रक्चर खड़ा किया है। अगले साल भी इस योजना को लगातार चालू रखेंगे। मनरेगा में बहुत से काम हुए हैं, उनमें गौठान निर्माण का काम भी शामिल है। अभी तक करीब 2200 गौठान का निर्माण हो चुका है। 2800 गौठान निर्माणाधीन हैं, बहुत जल्द वो भी पूरे हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ में करीब 11 हजार ग्राम पंचायत हैं, उनमें से 5 हजार में गौठान पूरे हो जाएंगे। इस साल हमें गौठान का सदुपयोग करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरूवा के रोका-छेका की व्यवस्था हम जितनी जल्दी करेंगे फसल उतनी ही सुरक्षित रहेंगी। इसी कारण से मैं आपसे ये निवेदन करना चाहता हूं कि 19 तारीख तक आप गांव में बैठक कर रोका-छेका की व्यवस्था करें। सरकार की ओर से 10 हजार रूपये प्रति माह गौठान को देना तय किया गया है। गौठान में बहुत सी गतिविधि संचालित होनी हैं। इससे रोजगार के अवसर निर्मित होंगे, खाद भी बनेगी। आजीविका की अनेक प्रकार की व्यवस्था की जाएगी। इन गतिविधियों में आप सबको बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना है। सबसे पहली जरूरत फसल को बचाने की है, इसके लिए रोका-छेका जरूरी है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल हमने 83 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी। इस साल किसानों में उत्साह है, रकबा भी बढ़ेगा और किसानों की संख्या भी बढ़ेगी। जब आप उत्साह से काम कर रहे हैं, तो आपकी फसल भी सुरक्षित होनी चाहिए। सभी किसानों और चरवाहों से मैं निवेदन करना चाहता हूं पंच, सरंपच सभी भाई-बहन अपने गांव में 19 तक बैठक करके रोका-छेका का निर्णय करेंगे, तो छत्तीसगढ़ को एक नई दिशा मिलेगी। यदि हमारे यहां चरागन नहीं होगी, तो हम दूसरी फसल की तैयारी भी जल्दी कर लेंगे। बहुत से किसान इस कारण विलंब से खेती करते हैं क्योंकि पहाटिया लोग पशुओं को अपनी देखरेख में चराई के काम की शुरूआत नहीं करते हैं, गरूवा की व्यवस्था नहीं होती है। इसके कारण रोपाई विलंब से होती है। यदि हम पहले रोपाई कर लेंगे, तो पहले फसल कट जाएगी और दूसरी फसल की तैयारी भी कर लेंगे।
दूसरी फसल के लिए भी जरूरी है कि हमारे गरूवा का प्रबंधन हो और ये हमारे छत्तीसगढ़ के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस साल कोरोना संकट के बावजूद भी किसानों को किसी प्रकार की तकलीफ ना हो, इसके लिए कृषि विभाग और सहकारिता विभाग ने मिलकर प्रत्येक सोसायटी में खाद-बीज की व्यवस्था की है। करीब 60 प्रतिशत किसान खाद-बीज उठा चुके हैं। जिन किसानों ने ये नहीं उठाया है, उनसे आग्रह है कि वे खाद-बीज का उठाव कर लें। ताकि जो हमारे भंडार गृह हैं, उनमें और खाद-बीज लाकर रख सकें।
हमारी जो बाड़ी योजना है, उसमें भी बीज वितरण किया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा भी और जो वनांचल हैं, वहां वन विभाग द्वारा भी, हम चाहते हैं कि आपकी बाड़ी में हर प्रकार की सब्जियों का उत्पादन हो, फलों का भी उत्पादन हो, इसके लिए पर्याप्त बीज की व्यवस्था की गई है। इसका लाभ किसान भाई-बहन उठाएं, ताकि आज जो कुपोषण की लड़ाई छत्तीसगढ़ सरकार लड़ रही है, उसमें हमें सफलता मिल सके। हमारे बच्चे तंदरूस्त हों, इसके लिए उनके भोजन की थाली में हरी सब्जी और फल जरूरी हैं। इसलिए अपनी बाड़ी में हर प्रकार की सब्जी लगाएं, ताकि हम किसी भी प्रकार के कुपोषण से बच सकें।
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