छत्तीसगढ़: चुनाव का बहिष्कार करने के लिए ग्रामीणों को धमका रहे नक्सली
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में खबर है कि आदिवासी और दूरदराज के इलाकों में नक्सली गांव वालों को राज्य के चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी दे रहे हैं। यहां तक कि चुनाव में हिस्सा लेने पर उन्हें गंभीर परिणामों की धमकी दे रहे हैं। इसके लिए 10-20 नक्सलियों का समूह इलाके वासियों को धमकी दे रहे हैं।
पूरा बस्तर क्षेत्र नक्सल से पीड़ित है लेकिन सुक्मा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले ऐसे क्षेत्र हैं जहां नक्सलियों की पैठ ज्यादा है। लेकिन सुक्मा सबसे संवेदनशील जिला है और सबसे ज्यादा धमकी इसी जिले में मिल रही है। हालांकि, बहादुर ग्रामीण वोट देने के लिए तैयार हैं क्योंकि उनको पहले भी नक्सलियों को ओर से धमकी मिल चुकी है। असल में जिला प्रशासन ने 8-10 गांवों के लोगों को एक स्थान पर आयोजित करके नक्सल से प्रभावित क्षेत्रों में विधानसभा चुनावों के लिए एक अभियान चलाया था ताकि वे उन्हें बता सकें कि सरकार उनके साथ है। किसी से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।
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सुरक्षा बलों के सूत्रों ने कहा कि 10 और 20 पुरुषों के एक समूह में नक्सलियों ग्रामीणों के बीच घुस गए। इसके बाद गांव वालों से चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी देने लगे। समस्या यह है कि स्थानीय लोग भी नक्सलियों के समूह में हैं। लेकिन इन समूहों को ज्यादातर तेलुगू भाषी नक्सलियों द्वारा दिया जाता है लेकिन वे ग्रामीणों को प्रेरित करने के लिए गोंड बोलने वाले नक्सलियों के साथ लेते हैं।
दरअसल राज्य के सुदूर इलाकों में नक्सलियों की उपस्थिति की उपस्थिति की वजह से सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), स्वास्थ्य, स्कूल और सरकार की अन्य योजनाएं सुदूर इलाकों तक पहुंचने में नाकाम रही हैं। सड़कें बनाई गई हैं लेकिन क्षेत्र के लोगों को भोजन की जरूरत है। हालांकि शिक्षा के लिए भी स्कूलों का निर्माण किया गया है। इसके साथ-साथ आईआईटी और मेडिकल कॉलेजों जैसे संस्थानों भी संचालित किए जा रहे हैं। राज्य के सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।
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